बिहार विधान परिषद चुनाव: राजद प्रत्याशियों ने दाखिल किया पर्चा
बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए राजद कोटे के सभी चारों प्रत्याशी आज एक साथ नामांकन पत्र किया। राबड़ी एवं पूर्वे तीसरी बार विधान परिषद सदस्य बनेंगे।
पटना [राज्य ब्यूरो]। विधान परिषद चुनाव में राजद कोटे के सभी चारों प्रत्याशी शुक्रवार को एक साथ नामांकन पत्र भरने पहुंचे।राजद ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे और सैयद मोहसिन खुर्शीद को प्रत्याशी बनाया है। हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रत्याशी के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के पुत्र संतोष सुमन को राजद समर्थन करेगा।
संतोष और मोहसिन पहली बार विधान परिषद जाएंगे, जबकि राबड़ी और पूर्वे की यह तीसरी पारी है। राबड़ी की यह लगातार दूसरी पारी होगी, जबकि एक बार वह पहले भी जा चुकी हैं। पूर्वे भी दो बार विधान परिषद का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट के जरिए पार्टी प्रत्याशियों का ऐलान किया है।
चारों प्रत्याशियों पर लालू की थी मंजूरी
राजद के सभी चारों प्रत्याशियों की दावेदारी पर लालू प्रसाद की मंजूरी बहुत पहले ही मिल चुकी थी। संतोष सुमन का प्रत्याशी बनना तभी पक्का हो गया था, जब जीतनराम मांझी ने राजग से दोस्ती तोड़कर महागठबंधन से हाथ मिलाया था। रामचंद्र पूर्वे को प्रदेश में पार्टी की मजबूती के लिए मेहनत और नेतृत्व के प्रति समर्पण का पुरस्कार मिला है, जबकि सैयद मोहसिन खुर्शीद का चयन लालू परिवार से पिछले करीब 28 वर्षों की वफादारी का परिणाम है।
कांग्रेस के सहयोग की दरकार
राजद को चार सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस से मदद की दरकार होगी। विधायकों की संख्या के हिसाब से एक सीट पर जीत के लिए प्रथम वरीयता क्रम में कम से कम 21 वोट चाहिए। राजद के पास अभी 80 विधायक हैं। हम की एक सीट मिलाकर कुल 81 हो जाएंगे, जबकि चार सीटों पर जीत के लिए राजद को 84 वोट चाहिए। ऐसे में उसे तीन सीटों का अतिरिक्त प्रबंध करना पड़ेगा, जिसे कांग्र्रेस के सहयोग से पूरा किया जा सकता है। कांग्र्रेस के पास 27 विधायक हैं। इस हिसाब से उसकी भी एक सीट निकल जाएगी। उसके छह अतिरिक्त सीटें राजद प्रत्याशियों के काम आएंगे।
नामांकन में कांग्रेस को भी बुलावा
राजद प्रत्याशियों के नामांकन के वक्त विधानसभा सचिवालय में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत पार्टी के सभी बड़े नेता मौजूद रहेंगे। राजद के राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव के मुताबिक नामांकन के दौरान कांग्रेस नेताओं को भी बुलाया जाएगा। सत्ता से बेदखल होने के बाद राजद की कोशिश सियासी तौर-तरीके बदलने की है। साथ ही पार्टी को अटूट-एकजुट बनाए रखते हुए जनाधार बढ़ाने की चुनौती भी है। यही कारण है कि नया नेतृत्व समान विचारधारा वाले दलों से सामंजस्य बनाकर चल रहा है।