Bihar Politics: आरजेडी ने फिर राहुल गांधी की क्षमता पर उठाए सवाल, चुनाव में हार की खीझ उतारा
Bihar Politics माना जाता है कि जो आड़ी-तीरछी बातें लालू खुद नहीं कह पाते वह शिवानंद के जिम्मे रहता है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने फिर राहुल गांधी की क्षमता पर सवाल उठाहै। उन्होंने पहले भी हार का ठीकरा राहुल गांधी पर फोड़ा था।
पटना, अरविंद शर्मा । बिहार की सत्ता में आते-आते पिछड़ गए राजद का मलाल जा नहीं रहा है। इसीलिए वक्त-बेवक्त राजद की ओर से कांग्रेस नेतृत्व पर हमले जारी हैं। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के ताजा बयान को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है। दिल्ली में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की अहम बैठक से पहले शिवानंद ने राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता को फिर कठघरे में खड़ा किया है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी किया था। तब राजद के शीर्ष नेतृत्व की ओर से शिवानंद का निजी विचार बताकर रफा-दफा करने की कोशिश की गई थी। इस बार भी जब मामले ने तूल पकडऩा शुरू किया तो राजद के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने वैसा ही बयान जारी कर दिया। कह दिया कि पार्टी का नहीं, उनका निजी विचार है।
जो लालू नहीं कह पाते वो शिवानंद कह रहे
हालांकि राजद की राजनीति को समझने वाले इसे लालू प्रसाद से जोड़कर देखते हैं। शिवानंद तिवारी को राजद प्रमुख लालू प्रसाद का करीबी माना जाता है। लालू जो आड़ी-तिरछी बातें खुद से नहीं कह पाते हैं, उसे अपने करीबियों से कहवाते हैं। पहले यह भूमिका पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के पास थी। अब शिवानंद के पास है और उनके ताजा बयान को इसी आईने में देखा-परखा जा रहा है।
शिवानंद का गुब्बार नया नहीं
राजद उपाध्यक्ष ने कांग्रेस को बिना पतवार की नाव करार दिया है और लोकतंत्र की हिफाजत के लिए सोनिया को पुत्रमोह त्यागने की सलाह दी है। शिवानंद का गुब्बार नया नहीं है। उन्होंने राहुल की क्षमता पर तब भी सवाल उठाया था, जब महीने भर पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा-जदयू की संयुक्त ताकत के सामने महागठबंधन को घुटने टेकने पड़े थे। हार का मलाल इसलिए भी ज्यादा था कि एक्जिट पोल में सभी एजेंसियों ने तेजस्वी यादव को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बताया था। मगर नतीजा आया तो मामूली अंतर से राजद सत्ता से वंचित रह गया था।
राहुल गांधी पर फोड़ा था हार का ठीकरा
शिवानंद ने तब इस हार का ठीकरा राहुल गांधी पर फोड़ा था। उनकी क्षमता और मंशा पर सवाल उठाया था। साफ कहा था कि कांग्रेस बिहार में 70 सीटों की हकदार नहीं थी। फिर भी राहुल गांधी ने जिद करके तेजस्वी यादव को मजबूर कर दिया। हैसियत से बहुत ज्यादा सीटें लेकर कांग्रेस ने प्रत्याशियों का चयन भी ठीक से नहीं किया और चुनाव लडऩे को लेकर गंभीरता भी नहीं दिखाई। राहुल गांधी ने पूरे चुनाव में सिर्फ चार सभाएं कीं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उम्र में बड़े होकर भी राहुल से ज्यादा सभाएं कीं।