Bihar Election Result 2025: शाहाबाद और मगध में NDA के लिए ऋतुराज ने कर दिया कमाल, 40 सीटों पर मारी बाजी
भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा बिहार की राजनीति में एक रणनीतिकार के रूप में उभरे हैं। उन्होंने मगध-शाहाबाद क्षेत्र में भाजपा को मजबूत किया और महागठबंधन के किले को भेदने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सूक्ष्म प्रबंधन क्षमता और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद उन्हें खास बनाता है। उन्होंने स्थानीय मुद्दों को उठाकर मतदाताओं को आकर्षित किया और भाजपा के रणनीतिक शिल्पकार के रूप में अपनी पहचान बनाई।

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार की राजनीति इस बार जिन चेहरों को नए अंदाज में उभरते हुए देख रही है, उनमें भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री एवं मगध-शाहाबाद क्षेत्र के चुनाव प्रभारी ऋतुराज सिन्हा सबसे प्रमुख हैं। संगठनात्मक जमीन पर उनकी पकड़, विरोधियों की चालों को पहले ही भांप लेने की क्षमता और शांत स्वभाव में छिपी तेज राजनीतिक समझ इन सबने उन्हें इस पूरे इलाके में भाजपा का बड़ा रणनीतिकार बनाकर सामने ला दिया है।
दोनों क्षेत्र में स्पष्ट तौर पर भाजपा की 40 सीटों प्रचंड विजय के रणनीति के नए शिल्पकार बन ऋतुराज सिन्हा उभरे हैं। सीधे कहें तो महागठबंधन के सबसे मजबूत किले को भेद कर उनकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी।
शाहाबाद हो या मगध, दोनों ही क्षेत्र राजनीतिक रूप से बेहद एनडीए के लिए जटिल माने जा रहे थे। ज्ञात हो कि इन क्षेत्रों में पिछले बार के चुनाव में एनडीए के मात्र 8 विधायक जीत पाए थे और जदयू का तो खाता भी नहीं खुल पाया था।
जातीय संतुलन, स्थानीय समीकरण, पुराने गुटों का प्रभाव एवं नए मतदाताओं का तेज बदलाव यहां चुनावी रणनीति बनाना किसी परीक्षा से कम नहीं होता, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने ऋतुराज सिन्हा पर भरोसा जताया, और उन्होंने इस भरोसे को जमीनी स्तर पर कड़ी मेहनत, लगातार फीडबैक और डेटा-आधारित रणनीति से साबित किया।
संगठन के भीतर यह माना जाता है कि ऋतुराज सिन्हा की सबसे बड़ी ताकत उनकी सूक्ष्म प्रबंधन क्षमता है। वे केवल नेताओं से ही नहीं, बल्कि बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद रखते हैं। दोनों क्षेत्रों की 48 सीटों पर ऋतुराज की सभाओं, नुक्कड़ संवादों और कोर-ग्रुप बैठकों में उनकी उपस्थिति ने एक संदेश दिया कि लड़ाई सिर्फ टिकट देने तक नहीं, बल्कि हर सीट को जीतने की बनाई गई व्यापक रणनीति तक है।
रणनीति का सबसे अहम हिस्सा रहा स्थानीय मुद्दों का पुनर्पैकेजिंग। चाहे शाहाबाद में सिंचाई एवं सड़क सुधार का प्रश्न हो या मगध में रोजगार से जुड़ी प्रतीक्षा। भाजपा एवं एनडीए के विकास माडल को स्थानीय आकांक्षाओं के साथ जोड़कर पेश किया। उम्मीदवार चयन में भी उन्होंने सामाजिक सूक्ष्म संतुलन के साथ, उन क्षेत्रों पर फोकस रखा जहां पिछले चुनावों में भाजपा मामूली अंतर से हार गई थी। कई जगह टिकट परिवर्तन, कई जगह युवा चेहरों को आगे लाना यह सब उसी रणनीति का हिस्सा रहा जिसने क्षेत्र में नई ऊर्जा भरी।
भाजपा के महामंत्री राजेश वर्मा का कहना है कि हर विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग माइक्रो-प्लान बनाया, जिसमें इंटरनेट मीडिया से लेकर गांव-स्तरीय बैठकों तक का एकीकृत खाका था। यही वजह है कि भाजपा के कई उम्मीदवारों को संगठन का मजबूत ग्राउंड सपोर्ट तुरंत दिखने लगा।
प्रतिद्वंद्वी दल भी स्वीकारने लगे हैं कि मगध और शाहाबाद में भाजपा की मजबूती के पीछे इस बार ऋतुराज सिन्हा की इनविजिबल इफेक्ट सबसे प्रमुख है। सामने भले बड़े नेता प्रचार कर रहे हों, लेकिन पूरी रणनीति की स्क्रिप्ट उन्होंने चुपचाप तैयार की। इस युवा रणनीतिकार को भी जाएगा, जिसने जमीन पर खेल का पूरा नक्शा बदल दिया है। ऋतुराज सिन्हा इस चुनाव में भाजपा के रणनीतिक शिल्पकार के रूप में उभर चुके हैं। यही उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक उपलब्धि मानी जा रही है।

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