बिहार सरकार की खोई जमीन ढूंढने के लिए लगाए गए अफसर, CM नीतीश कुमार खुद ले रहे दिलचस्पी
मामले में मुख्यमंत्री नीतीष कुमार खुद दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्होंने हाल ही में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की समीक्षा की थी। इधर सरकारी जमीन पर कब्जे का हाल यह है कि लोग श्मषान और कब्रिस्तान की जमीन तक पर कब्जा किए बैठे हैं।
पटना, राज्य ब्यूरो। लगातार मांग के बावजूद सरकारी जमीन का ब्यौरा न देने वाले बंदोबस्त पदाधिकारियों पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग सख्त हुआ है। प्लाट की संख्या लाखों में है। अबतक सिर्फ 90 हजार से कुछ अधिक प्लाट का पता चल पाया है। भूमि सर्वेक्षण वाले 20 जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों को कहा गया है कि अधिकतम तीन दिनों के भीतर वे सरकारी जमीन का पूरा रिकार्ड विभाग को उपलब्ध कराएं। शपथ पत्र देकर गारंटी करें कि रिकार्ड से अलग कोई सरकारी जमीन उनके जिले में नहीं है। समझा जाता है कि विभाग की यह चुस्ती मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर नजर आ रही है। पत्र में कहा गया है-रिकार्ड की साफ्ट कापी की मांग उच्च स्तर से की जा रही है।
- शपथ पत्र के साथ देना होगा सरकारी जमीन का रिकार्ड
- अब तक 90,688 प्लाट की जानकारी मिली
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद ले रहे दिलचस्पी
भू अभिलेख एवं परिमाप के निदेशक जय सिंह के पत्र के साथ एक फार्मेट भी है। इसमें जमीन का ब्यौरा दर्ज होगा। अंचल, राजस्व ग्राम, थाना, खाता एवं खेसरा संख्या, रकबा के अलावा यह भी बताना है कि सरकार के पास यह जमीन किस स्रोत से आई है। स्रोत के तौर पर दान, भू अर्जन, अंतरण एवं अन्य का विकल्प है। अभियुक्ति में जमीन पर दखल कब्जा की अद्यतन स्थिति का जिक्र करना है। यानी जमीन पर फिलहाल किसका दखल है।
राजस्व के पास अधिक जमीन
42 विभागों से अबतक 90,688 प्लाट की जानकारी मिली है। सबसे अधिक 44,532 प्लाट राजस्व एवं भूमि सुधार का है। अल्पसंख्यक कल्याण के प्लाटों की संख्या 12866 है। शिक्षा विभाग की ओर से 10325 खेसरों की सूचना दी गई है। इन विभागों के पास अधिक जमीन है:-कृषि, पशु एवं मत्स्य संसाधन, पिछड़ा एवं अत्यंत पिछड़ा कल्याण, भूदान, भवन निर्माण, कैबिनेट सचिवालय, कॉमर्शियल टैक्स, सहकारिता, उदयोग, कानून, राजस्व, विज्ञान एवं प्रावैधिकी, आपदा प्रबंधन, ऊर्जा, पर्यावरण और वन, वित, सामान्य प्रशासन, श्रम, सूचना एवं जनसपर्क।
इन जिलों को भेजा गया है
बेगूसराय, खगडिय़ा, लखीसराय, जहानाबाद, अरवल शिवहर, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, सीतामढ़ी, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पश्चिम चंपारण,बांका, जमुई, शेखपुरा, मुंगेर एवं नालंदा।
क्या परेशानी है
अपनी जमीन उपलब्ध रहने के बावजूद सरकार का उस पर दखल कब्जा नहीं है। लिहाजाए सार्वजनिक निर्माण और गरीबों की आवास योजना के लिए सरकार को बाजार दर पर जमीन की खरीद करनी पड़ रही है। पंचायत सरकार भवन का निर्माण चल रहा है। अब सरकार सभी पंचायतों में सामुदायिक भवन के तौर पर सम्राट अशोक भवन बनाने जा रही है। इसके लिए भी जमीन की जरूरत है।
मुख्यमंत्री की है दिलचस्पी
जमीन से जुड़े मामलों में मुख्यमंत्री नीतीष कुमार खुद दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्होंने हाल ही में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की समीक्षा की थी। इधर सरकारी जमीन पर कब्जे का हाल यह है कि लोग श्मषान और कब्रिस्तान की जमीन तक पर कब्जा किए बैठे हैं। विभाग की ओर से इस साल फरवरी महीने में जारी एक पत्र के मुताबिक श्मषान और कब्रिस्तान की जमीन पर निजी निर्माण हुआ है। कहीं.कहीं सरकारी भवन भी बना दिए गए हैं।