खुदरा बाजार का सूत्र वाक्य, जो दिखेगा वह बिकेगा
जमाना तेजी से बदला है और रिटेल क्षेत्र में अवसरों के साथ ही चुनौतियां भी सामने आई हैं।
पटना। खुदरा बाजार का सूत्र वाक्य है- जो दिखेगा वह बिकेगा। जमाना तेजी से बदला है और रिटेल क्षेत्र विजुअल मर्चेटाइजिंग का माध्यम एक निष्क्रिय ग्राहकों को भी खरीदारी के लिए सक्रिय बनाने में मदद कर रहा है। परंपरागत खुदरा बाजार तेजी से बदल रहा है। डिपार्टमेंटल स्टोर और मॉल के बाद अब ऑनलाइन व्यापार व्यवस्थित कारोबार में बड़ा हिस्सेदार बन गया है। ग्राहकों को अपने स्टोर तक खींच लाने और आए हुए ग्राहक को खरीदारी के लिए प्रेरित करना विजिुअल मर्चेटाइजिंग का कमाल है।
आप अपने आउटलेट में उत्पाद का बेहतर प्रदर्शन, लाइटिंग और रंगों का चयन और इससे आगे अब तो परफ्यूम भी ग्राहकों को न केवल आकर्षित कर रहा, बल्कि खरीदने के लिए प्रेरित करता है। दरअसल सबसे अधिक खरीदार युवा वर्ग है जो खूब खर्चे करता है। ऐसे ग्राहकों का ख्याल रखते हुए खुदरा बाजार में नए आइडिया अपनाए जा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा महत्वपूर्ण भूमिका विज्ञापन की है।
दैनिक जागरण रिटेल गुरु के विशेषज्ञ पवन शुक्ला ने शनिवार को पटना के कारोबारियों के साथ व्यापार के विस्तार में नए आइडिया को साझा किया। प्रकृति और पर्यावरण का ख्याल रखते हुए व्यापार में नए अवसर आ रहे हैं। लोगों की आवश्यकता और मांग के अनुसार उत्पाद भी आ रहे हैं। इससे पूर्व क्षेत्रीय विज्ञापन प्रबंधक जयप्रकाश ने कहा कि दैनिक जागरण रिटेल गुरु कार्यक्रम के माध्यम से छोटे-छोटे कारोबार को विस्तार देने के लिए प्लेटफॉर्म मुहैया कराते आ रहा है। जो परंपरागत कारोबार करते आ रहे हैं वैसे लोगों के लिए रिटेल गुरु लाभकारी साबित हुआ है।
--ग्राहक कैसे बनते सक्रिय खरीदार-
पटना अब तेजी से विजुअल मचर्ेंडाइजिंग की ओर बढ़ा है। मॉल और डिपार्टमेंटल स्टोर के साथ तेजी से छोटे-छोटे दुकानों को भी अपडेट करने लगे हैं। रिटेल सेक्टर में आए उछाल और मॉल कल्चर के बढ़ते चलन के कारण डिस्प्ले डेकोरेशन अर्थात विजुअल मचर्ेंडाइजिंग की माग ग्राहक को उत्पाद से संवाद करने के तरीके सभी क्षेत्रों में देखने को मिल रही है। शोरूम, फूड प्लाजा, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक, रेडिमेड कपड़े, ज्वेलरी हो या फिर रेस्टोरेंट सभी जगह ग्राहकों को खरीदारी के लिए प्रेरित करने वाला लुक दिया जा रहा है।
-- जो दिखता है वह बिकता है --
राजधानी में कुछ वर्षो पहले तक कपड़े और जेवर की दुकानें ही व्यवस्थित दिखती थीं। अब पटना के रिटेल बाजार के विस्तार में सूत्र वाक्य- 'जो दिखता है, वही बिकता है' के साथ बदल गया। बाजार में कुछ वषरें पूर्व तक विजुअल मचर्ेंडाइजर कपड़े, रेडीमेड और ज्वेलरी की दुकानों तक सीमित नहीं रहीं। अब हर क्षेत्र में कारोबारी अपनी दुकानें सजाने-संवारने और आकर्षक बनाने की होड़ में शामिल हो गए हैं। पार्लर, बुटीक, मिठाई, सौंदर्य प्रसाधन, फर्नीचर, मेडिकल स्टोर, बेकरी और बच्चों के लिए अलग सेक्टर बन रहे हैं। महिलाओं और युवाओं को बाजार टारगेट कर रहा है।
-- आउटलेट की सजावट कैसी हो --
रिटेल स्टोर को अलग-अलग उपभोक्ता वर्गो के हिसाब से सजाया जाना चाहिए। उत्पादों के अनुसार विंडो का आकार, डिजाइन, रंगों, खुशबू, संगीत की धुन ग्राहकों को आकर्षित करने में मददगार होती है। उत्पादों के प्रदर्शन करने का भी मैकेनिज्म है। किसे कहां सजाया जाए यह विजुअल मर्जेटाइजिंग का हिस्सा है। एक सामान्य उत्पाद भी स्टोर में विजुअल मचर्ेंडाइजिंग की बदौलत ग्राहकों को हाथ लगाने का मजबूर करता है। 50 प्रतिशत ग्राहकों को खरीदार बना देता है।
-- साधारण उत्पाद का बेहतर लुक --
बाजार की सामान्य भाषा में कहा जाए तो सामान्य सा उत्पाद जब रिटेल आउटलेट में डिस्प्ले पाता है तो गुड लुकिंग में बदल जाता है। ग्राहकों को लुभाना और उन्हें उत्पाद तक खींचकर लाना, वर्तमान दौर में केवल ब्राड ही नहीं, बल्कि प्रोडक्ट का खास लुक भी अहम स्थान रखता है। शोरूम में प्रवेश करने वाला ग्राहक पहले किसी डिस्प्ले विंडो को निहारता है। ग्राहक नीरस होगा तो वहा जाने से कतराएगा। एक प्रोफेशनल मर्चेटाइजर ग्राहकों की माग की समझ के अनुसार स्टोर को लुक देता है।
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-- इनसेट के लिए :--
-रिटेल क्षेत्र में नियोजन का अवसर --
पटना : रिटेल क्षेत्र में नियोजन का बड़ा अवसर है। उत्पादकों और ग्राहकों के बीच सीधा संपर्क स्थापित करने में रिटेल एक कड़ी की भूमिका निभाता है। खुदरा बाजार का आकार इतना बड़ा है कि करीब आठ से दस फीसद लोगों को नियोजन का मौका दे रहा है। 1990 के दशक में मंदी का दौर था लेकिन रिटेल क्षेत्र एक मात्र था जो 15 फीसद की दर से बढ़त बनाए रखा। वर्तमान में मंदी की बात कही जा रही है, लेकिन सबसे अधिक पैसा लोग सोने में लगा रहे हैं।
-- 8500 व्यवस्थित व्यापार --
एक दशक पहले 2006 में डिपार्टमेंटल स्टोर, मॉल और व्यवस्थित कारोबार करने वाले सिर्फ 500 आउटलेट देश में थे। 10 वर्षो में करीब 8500 आउटलेट हो चुके हैं। इस सेक्टर ने करीब 25 फीसद ग्रोथ दर्ज की है। रिटेल बाजार में असंगठित कारोबार आज भी 15 फीसद से अधिक नहीं बढ़ रहा है। इसके पीछे समय के अनुसार अपडेट नहीं होना बड़ा कारण है।
--शहरीकरण रिटेल बाजार की उम्मीद--
तेजी से हो रहे शहरीकरण को रिटेल बाजार के लिए उज्ज्वल भविष्य के तौर पर देखा जा रहा है। शहर में नए लोग आते हैं तो उनकी जरूरत अधिक होती है। घर के लिए टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, फोन, मोबाइल, फर्नीचर, स्टोरवेल, किचेन, बाथ रूम और मकान के सजावट से लेकर कपड़े, जूते, स्कूल, अस्पताल सभी के लिए नए ग्राहक होते हैं। जो शहर के स्थायी निवासी हैं, उनकी तुलना वे ज्यादा खर्च करते हैं। रिटेल सेक्टर इस अवसर को कैसे कैप्चर करता है, उसके उपर निर्भर करता है।
-- युवा ग्राहक अनुभव खरीदता --
शहर में युवा पीढ़ी बाजार में अनुभव खरीदती है। रेस्टोरेंट, इलेक्ट्रानिक शॉप, फैशन और अन्य जरूरत की चीजों के लिए रिटेल बाजार में अनुभव के लिए पैसे खर्च करती है। ऐसे ग्राहक किसी एक के प्रति आकर्षित और स्थायी नहीं होंगे। उन्हें जहां बेहतर माहौल, सजावट, ग्राहक सेवा और ब्रांड मिलेगा, वहां चले जाएंगे। संभव है कि पहले दिन जिस दुकान में जाता है वहां कुछ नहीं खरीदे और दूसरे दिन बगल की दुकान में वही उत्पाद खरीद ले।
--कम उम्र में कमाई, खर्च अधिक --
पहले रोजगार और कमाई करने वालों की औसत आयु 26-29 वर्ष होती थी। अब 20-22 वर्षो में कुछ न कुछ कमाने लगते हैं। ऐसे युवा खर्च के मामले में साहसी होते हैं। नए उत्पाद, खानपान और फैशन पर ज्यादा खर्च करते हैं। जो नहीं कमाते वे माता-पिता से पैसे लेकर बाजार में आते हैं। रिटेल सेक्टर को युवाओं के मनोभाव के अनुसार अपडेट होने की जरूरत है।