साल में एक बार जरूर कराएं दांतों की सफाई
हर व्यक्ति को साल में एक बार दांतों की सफाई जरूर करानी चाहिए।
पटना । हर व्यक्ति को साल में एक बार दांतों की सफाई जरूर करानी चाहिए। इससे दांत हमेशा साफ एवं स्वस्थ रहते हैं। प्रत्येक वर्ष दांतों की सफाई होने से अगर कोई बीमारी भी होती है तो प्रारंभिक चरण में ही पकड़ी जाती है और उसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। ये बातें रविवार को दैनिक जागरण द्वारा आयोजित हेलो डॉक्टर कार्यक्रम में पटना डेंटल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. ज्योतिर्मय सिंह ने राज्यभर से पाठकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में कहीं।
मेरे दांत में काफी दर्द रहता है। कभी-कभी दांतों के अंदर से खून भी आता है। सुनील सिंह, आरा, सुधीर कुमार, महेंद्रु पटना, अरविंद ओझा, डुमराव
आप अपने दांतों की जांच कराएं। एक एक्स-रे की जांच से पता चल जाएगा कि बीमारी किस स्थिति में है। उसके बाद सफाई कर दी जाएगी। कुछ दवाओं के सेवन से आपकी बीमारी ठीक हो जाएगी।
मसूढ़ा में गड्ढा हो गया है। काफी दर्द रहता है। राजू कुमार, रसुलपुर, वैशाली
आप एक बार दांतों की जांच करा लें। यह बीमारी खतरे का संकेत है। आप इसे हल्के में न लें। समुचित इलाज कराने की जरूरत है।
ठंडा एवं गर्म चीज पीने से दांतों में सनसनाहट महसूस होती है। रेखा राय, बुद्धा कॉलोनी, पटना, पल्लवी, इंद्रपुरी, ब्रिजमोहन, वैशाली आपको आरसीटी कराने की जरूरत पड़ सकती है। आप दांत रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर लें। समुचित इलाज से बीमारी ठीक हो जाएगी।
ओरल कैंसर की पहचान क्या है? विकास कुमार, गया
ओरल कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू है। ओरल कैंसर का प्राथमिक लक्षण है कि मुंह में छाले पड़ने लगते हैं। छालों का रंग दही जैसे होता है। लेकिन हटाने पर छल्ला अपनी जगह से हटता नहीं है। इस तरह की बीमारी की जांच ट्यिूमर नोड्स मेटास्टेटिस तकनीक से की जाती है। इस विधि से पता चल जाता है कि बीमारी किस स्टेज में है। एक बार ओरल कैंसर के बारे में जानकारी हासिल होने के बाद, डॉक्टर उसका समुचित इलाज प्रारंभ कर देते हैं।
खाना खाते वक्त दांतों में अन्न के टुकड़े फंस जाते हैं। अजीत कुमार, खिंजरसराय
आपके दांतों की जांच की जरूरत है। जांच के उपरांत समुचित इलाज किया जा सकता है। दांतों में अन्न का टुकड़ा फंसना ठीक नहीं है। दांतों के बीच फंसे हुए अन्न के टुकड़ों में सड़न होने लगती है, जिससे बाद में परेशानी बढ़ जाती है।
दूध के दांत कितने वर्षाें में टूट जाते हैं। आर्यन कुमार, बाराचट्टी, गया
दूध के दांत छह वर्ष के बाद से टूटने लगते हैं। यह सिलसिला 11 वर्ष तक चलता है। अगर इसके बाद भी दूध के दांत नहीं टूटते हैं तो चिकित्सक का सहयोग लेना चाहिए। कुछ दांत मसुढ़ा में फंस जाते हैं, जिससे वे बाहर नहीं निकल पाते हैं। इससे मरीजों को बाद में काफी परेशानी होने लगती है।
दातों से मसुढ़ा हटते जा रहा है। शोभा यादव, बिहटा, पटना
दांतों की सफाई की जरूरत है। दांतों में गंदगी होने के कारण ही इस तरह की समस्या पैदा हो रही है।
कृत्रिम दांत बनवाने से कोई परेशानी होती है। संजय पंडित, सारण
कृत्रिम दांत लगवाने से कोई परेशानी नहीं होती है। कृत्रिम दांत दो तरह के होते हैं। एक स्थाई रूप से लगाए जाते हैं। कुछ ऐसे भी दांत बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग केवल खाने के वक्त किया जाता है। उसके बाद निकाल कर रख देते हैं।