Move to Jagran APP

राज्‍यसभा चुनाव के लिए आरसीपी सिंह का क्‍या हुआ? जदयू में अब क्‍या होगा? जानिए अपडेट

JDU Rajya Sabha Candidate करीब 15 दिनों से चल रही तमाम तरह की चर्चाओं के बाद आज जदयू ने राज्‍यसभा चुनाव के लिए अपने उम्‍मीदवार का एलान कर चुकी है। आरसीपी सिंह के नाम को लेकर चला आ रहा संशय खत्‍म हो चुका है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sun, 29 May 2022 02:22 PM (IST)Updated: Mon, 30 May 2022 06:41 AM (IST)
राज्‍यसभा चुनाव के लिए आरसीपी सिंह का क्‍या हुआ? जदयू में अब क्‍या होगा? जानिए अपडेट
आरसीपी सिंह, नीतीश कुमार और ललन सिंह। फाइल फोटो

पटना, राज्‍य ब्‍यूरो। Bihar Politics: केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह को राज्‍यसभा में दोबारा भेजे जाने पर बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने क्‍या फैसला लिया? इस फैसले का असर क्‍या होगा? ये दोनों ही सवाल बिहार में राजनीतिक रूप से सजग हर आदमी के दिमाग में पिछले एक महीने से घूमते रहे हैं। रविवार की शाम जदयू नेे इनमें से एक सवाल का जवाब तो साफ कर दिया, अब दूसरे सवाल के जवाब को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। 

loksabha election banner

यह भी पढ़ें : आरएसएस का खुला ऐलान, अखंड भारत में मिलाए जाएंगे पाकिस्तान के ये सभी शहर, दरभंगा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ने की घोषणा

केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के लिए रविवार का दिन बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। अब वे राज्‍यसभा के सदस्‍य तो नहीं ही बन पाएंगे, केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी उनकी भूमिका पर सवाल खड़ा हो गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए संसद के दो में किसी एक सदन का सदस्‍य होना जरूरी है। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहें तो छह महीने तक आरसीपी बिना किसी सदन के सदस्‍य रहे भी मंत्रिमंडल में रह सकते हैं। मंत्रिमंडल में बने रहने के लिए उन्‍हें छह महीने के अंदर लोकसभा या राज्‍यसभा का सदस्‍य बनना जरूरी होगा। 

नामांकन के दो दिन शेष रह गए तो जदयू ने अचानक रहस्य से पर्दा उठाया। आरसीपी को जदयू अगर फिर से राज्यसभा भेज देती है तो यह सामान्य बात थी, लेकिन जो हुुुआ है, वह बिहार की राजनीति के लिए यह बड़ी घटना है। जदयू नेतृत्व ने आरसीपी पर अगर भरोसा किया होता तो वह मजबूत बनकर उभर सकते थे और पार्टी में चल रही गुटबाजी की चर्चाओं पर काफी हद तक विराम लग जाता। नए हालात में टकराव बढ़ सकता है। सबकुछ स्‍वभाविक नहीं रह जाएगा। ऐसी स्थिति में जदयू में गुटबाजी खुलकर सामने आ सकती है। पार्टी को एकजुट बनाए रखना भी एक चुनौती बन सकता है।

नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे हैं आरसीपी 

आरसीपी सिंह, नीतीश कुमार के करीबी और विश्‍वस्‍त लोगों की सूची में टाप पर रहे हैं। नीतीश कुमार ने जब जदयू अध्‍यक्ष का पद छोड़ा तो आरसीपी सिंह को ही यह जिम्‍मेदारी सौंपी गई। आरसीपी सिंह केंद्रीय मं‍त्रि‍मंडल में शाम‍िल हो गए, तो यह पद ललन सिंह को दिया गया। इसी के बाद जदयू में गुटबाजी की चर्चाएं सामने आने लगीं। कहा गया कि आरसीपी अपनी मर्जी से केंद्रीय मं‍त्रिमंडल में शा‍मिल हो गए, जबकि जदयू के दूसरे नेता कम से कम दो मंत्री पद चाहते थे। 

आरसीपी को अगर जदयू नेतृत्व का भरोसा नहीं मिल पाता है तो भाजपा पर भी सबकी नजर रहेगी। भाजपा उनके साथ क्या व्यवहार करती है, क्योंकि राज्यसभा की सदस्यता से वंचित रह जाने की स्थिति में वह छह महीने तक ही मंत्री रह सकते हैं। उसके बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में आरसीपी को  भाजपा की कृपा की जरूरत पड़ेगी।

यह भी पढ़ें : Amazing Wedding: चौथी बार महिला का दिल गलती कर बैठा, पश्चिम चंपारण के मोबाइल दुकानदार के प्यार में हुई पागल तो बन गई अनूठी कहानी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.