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2000 साल पुराने दुर्लभ संग्रह का आज से दीदार

पटना । पटना विश्वविद्यालय की 'शताब्दी वर्ष प्रदर्शनी' में पटना विश्वविद्यालय के वहीलर सीनेट हाउस में 2000 साल पुरानी दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह 8 से 15 दिसंबर तक देखने को मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Dec 2017 03:02 AM (IST)Updated: Fri, 08 Dec 2017 03:02 AM (IST)
2000 साल पुराने दुर्लभ संग्रह का आज से दीदार
2000 साल पुराने दुर्लभ संग्रह का आज से दीदार

पटना । पटना विश्वविद्यालय की 'शताब्दी वर्ष प्रदर्शनी' में 2000 साल पुरानी दुर्लभ वस्तुओं को देखने का अवसर शुक्रवार से लोगों को मिलेगा। विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी में प्रदर्शनी का उद्घाटन सुबह 11:30 बजे राज्यपाल सह कुलाधिपति सत्य पाल मलिक करेंगे। दुर्लभ और ऐतिहासिक पांडुलिपि, एक से डेढ़ हजार साल पुराने सिक्के, मूर्तिया, अंग्रेजी शासन काल के गजट, पेंटिंग आदि आकर्षक रूप से लाइब्रेरी के भूतल और प्रथम तल पर सजाए गए हैं। डीएसडब्ल्यू प्रो. एनके झा ने बताया कि प्रदर्शनी 15 दिसंबर तक रहेगी। आम लोगों को सुबह 9:00 से शाम 7:00 बजे तक अपना आधार कार्ड तथा फोटोयुक्त पहचानपत्र दिखाने पर प्रवेश मिलेगा। इसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और कॉलेजों में संग्रहित बहुमूल्य एवं ऐतिहासिक धरोहर प्रदर्शित की जाएगी।

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ह्वीलर सीनेट हॉउस में मुख्य कार्यक्रम :

कुलाधिपति लाइब्रेरी में प्रदर्शनी का शुभारंभ करने के बाद ह्वीलर सीनेट हॉउस में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में शामिल होंगे। यहां पटना विश्वविद्यालय के इतिहास पर लिखी गई पुस्तक और डाक विभाग द्वारा विशेष पोस्टल कवर का विमोचन राज्यपाल करेंगे। 'हिस्ट्री ऑफ पटना यूनिवर्सिटी' में विश्वविद्यालय के स्थापना काल से 2017 तक की प्रमुख घटनाओं को समाहित किया गया है।

400 साल पुरानी लैला-मजनूं की पांडुलिपि :

प्रदर्शनी में मुख्य आकर्षण का केंद्र 17वीं शताब्दी में लिखी गई लैला-मजनूं की पांडुलिपि है। फारसी में लिखी पूरी प्रेम कहानी को समझने के चित्रों का भी सहारा लिया गया है। पांडुलिपि के दर्जनों पन्ने प्रदर्शनी में लगाए गए हैं। पटना सेंट्रल लाइब्रेरी में चार हजार पांडुलिपियों का संग्रह है। इसके साथ-साथ 14वीं सदी की 'सरोज कालिका' और 'मालती माधवन', 15वीं सदी की 'तोलीनामा' और 'रिसाला सिफत जरूरिया', 16वीं सदी की 'जहांगीरनामा' और 'खतमाये फरहांशे जहांगीरी' तथा 17वीं सदी की 'मसनवी सीन खुसरो' की दुर्लभ पांडुलिपि देखने का भी अवसर मिलेगा।

1862 से आजादी तक का दिखेगा गजट :

पटना कॉलेज की स्थापना से लेकर पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी काल में हुए विकास की पूरी कहानी गजट बयां कर रहे हैं। कंप्यूटर रूम में अभिलेख भवन से लाए गए पटना विश्वविद्यालय से जुड़े 21 गजट प्रदर्शनी में लगाए गए हैं। 1842 में पटना कॉलेज की स्थापना, पटना विश्वविद्यालय की स्थापना, पटना मेडिकल कॉलेज, पटना लॉ कॉलेज, बीएन कॉलेज सहित 100 साल पुराने कई कॉलेजों के गजट प्रदर्शनी में लगाए गए हैं।

दिखेगा सूबे का गौरवपूर्ण इतिहास :

विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग में संग्रहित विक्रमशिला, मौर्य काल के सिक्के, मूर्तिया और पांच सौ साल पुराने अरबी शिक्षण संस्थानों के साक्ष्य दिखेंगे। इनकी महत्ता बताने के लिए विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे। प्राचीन मूर्तियों के रंगीन फोटो भूतल पर प्रदर्शित किए गए हैं।


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