दरिंदों ने दी AIDS की सौगात, कराना चाहती गर्भपात, लेकिन यहां भी मुश्किल
हवस के दरिंदों ने उसे एड्स की सौगात दी है। वह अपने अनचाहे गर्भ से छुटकारा भी पाना चाहती है। लेकिन, डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। अब न्याय के लिए वह हाईकोर्ट की शरण में है।
पटना [निर्भय सिंह]। पति ने छोड़ा तो मायके आ गई। यहां भी शरण नहीं मिली तो भीख मांग कर गुजारा करने लगी। लेकिन, हवस के दरिंदों ने उसे यहां भी नहीं छोड़ा। अब वह एड्स व दुष्कर्म पीडि़त गर्भवती अपने अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती है। लेकिन, डॉक्टर गर्भापात को खतरनाक बता रहे हैं। अब इस मामले की सुनवाई पटना हाईकोर्ट में चल रही है। महिला ने गर्भपात कराने के लिए हाईकोर्ट से अनुमति मांगी है।
अदालत के समक्ष अजीब परेशानी उत्पन्न हो गई है कि वह क्या करे? महिला की मर्जी के खिलाफ बच्चे पैदा करवाना सही होगा या गर्भपात करवाकर जान को जोखिम डालना?
समाज को आईना दिखाती कहानी
यह समाज को आईना दिखाती उस महिला की कहानी है, जिसके पति ने दो बच्चे पैदा करने के बाद उसे छोडकर दूसरी शादी कर ली। ससुराल में दाना-पानी बंद कर देने के बाद वह सहारे के लिए वह माता-पिता की शरण में गई, लेकिन वहां भी उसे आश्रय नहीं मिला। लाचार होकर वह भीख मांगकर अपनी गुजर-बसर करने लगी। लेकिन, मनचलों ने भीख मांगकर जीवन निर्वाह करने वाली परित्यक्ता को भी नहीं छोड़ा।
हवस के दरिंओं ने उसके साथ लगातार दुष्कर्म किया और गर्भवती बनाकर बीच बाजार में छोड़ दिया। अब वह न केवल 23 सप्ताह की गर्भवती है, बल्कि एड्स पीडि़त भी है। महिला अब गर्भ से छुटकारा पाना चाहती है। याचिकाकर्ता के वकील अंशुल ने पीडि़त महिला का पक्ष रखते हुए कहा कि मां एचआइवी पीडि़त है तो उससे पैदा लेने वाला बच्चा भी संक्रमित ही पैदा लेगा। वैसे भी वह दुष्कर्म के सहारे जन्म लेने वाले बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती है। वह खुद गुजारा करने में असमर्थ है तो उसके बच्चे को कौन पालेगा। वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि वहां से 24 सप्ताह की गर्भधारण करने वाली एक महिला को गर्भपात कराने की अनुमति दी गई थी।
यहां मिली यह महिला
यह महिला शांति कुटीर महिला पुर्नवास केन्द्र (एनजीओ) को इसी साल 25 जनवरी को फुलवारी शरीफ ब्लॉक के पास भिक्षा मांगते दिखी थी। उसे इस संस्था में लाकर मेडिकल टेस्ट के लिए पीएमसीएच भेजा गया था। वहां डॉक्टरों ने बताया कि वह 13 सप्ताह 6 दिन की गर्भवती है। डॉक्टर ने यह भी बताया कि महिला मानसिक रूप से निर्णय लेने में असमर्थ प्रतीत होती है।
पिता व भाई ने अपनाने से किया इंकार
बाद में पता चला कि महिला विनोद शर्मा की पत्नी, जो दिल्ली में रहता है। विनोद शर्मा का उससे फैमिली कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। इसके बाद महिला के पिता एवं भाई बुलाये गये, लेकिन उन्होंने भी उसे अपनाने से इंकार कर दिया।
अब हाईकोर्ट से न्याय का आसरा
फिलहाल यह महिला ठोकरें खाते-खातेे विक्षिप्त सी हो गई है। अब हाईकोर्ट के आदेश के सहारे उसकी जिन्दगी में जीने की आस बची है। हाईकोर्ट ने उसके पति को नोटिस जारी कर 20 अप्रैल को मौजूद रहने का आदेश दिया है।