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बिहार की इन ‘निर्भयाओं’ को भी है न्याय का इंतजार, जानिए

बिहार में एक साल में दुष्कर्म की करीब 800 घटनायें हुई है। सुप्रीम कोर्ट से निर्भया कांड में फैसला आने के बाद बिहार की निर्भया और उसके परिवारवालों को न्याय की उम्मीद जगी है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 06 May 2017 01:44 PM (IST)Updated: Sat, 06 May 2017 07:25 PM (IST)
बिहार की इन ‘निर्भयाओं’ को भी है न्याय का इंतजार, जानिए
बिहार की इन ‘निर्भयाओं’ को भी है न्याय का इंतजार, जानिए

पटना [जेएनएन]। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के चर्चित निर्भया गैंग रेप व हत्याकांड में अपना फैसला सुनाया। लेकिन, पटना में दलित निर्भया को न्याय के लिए लंबी जंग लड़नी है। पूर्वी चंपारण की निर्भया को भी अभी लंबी लड़ाई लड़नी है। मुजफ्फरपुर में निर्भया इंसाफ की आस लगाये बैठी हुई है। कइयों की हत्या हो चुकी है। बिहार की बात करें तो एक साल में दुष्कर्म की करीब आठ सौ घटनाएं हुई हैं।

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दिल्ली की एक निर्भया को सुप्रीम कोर्ट से न्याय  मिला। इसके बाद कई दुष्कर्म पीडि़ता के मन में इंसाफ की उम्मीद जग गई है। वैसे स्थानीय स्तर पर ज्यादातर मामले में समझौता कराने का ही खेल चलता है। इस वजह से पीडि़ता को समय से न्याय नहीं मिल पाता है। 

मुजफ्फरपुर में लगभग ढ़ाई साल पूर्व कलेक्ट्रेट परिसर में भी एक निर्भया कांड हुआ था। इस घटना ने जिले को सुर्खियों में ला दिया था। मामले में आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। लेकिन, सजा दिलाने की दिशा में जांच एजेंसी की कार्रवाई धीमी गति से चल रही है। 

कई दुष्कर्म मामले को दबाने की कोशिश

पुलिस रिकार्ड पर गौर करें तो गत कुछ महीने में जिले के गायघाट, बोचहां, पीयर व नगर समेत कई थाना क्षेत्र में दुष्कर्म के दो दर्जन से अधिक मामले सामने आए। गायघाट, पीयर व बोचहां से आई दुष्कर्म पीडि़ता को गांव में पंचायती कराकर समझौता कराने की कोशिश की गई थी।

लेकिन, ऐन वक्त पर वरीय पुलिस अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली तब पुलिस सक्रिय हुई। फिर आनन-फानन में प्राथमिकी दर्ज कर आरोपितों को जेल भेजा गया। वहीं समझौता कराने वाले लोगों पर भी कानूनी कार्रवाई की गई।

मोतिहारी के पीपरा में गैंगरेप की घटना को जून 2016 में हुई थी। इस मामले में पीड़ित मासूम के पिता ने थाने में दो लोगों को नामजद करते हुए पीपरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। आरोपितों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई की मांग को लेकर जिला मुख्यालय समेत प्रभावित इलाके में लोगों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया गया था। लोगों का आक्रोश बढ़ता देख पुलिस ने भी इस मामले में त्वरित कार्रवाई की। साथ ही न्यायालय से सालभर में ही एक अभियुक्त को सजा भी सुना दी।

वहीं, दूसरे को अभी सजा नहीं सुनाई जा सकी है। पीड़ित मासूम और उसके परिजन पूर्ण न्याय की आस लगाए हैं। इस मामले में दो लोगों को नामजद किया गया है। न्यायालय ने बंजरिया थाना क्षेत्र के झखिया गांव निवासी कमलेश सहनी को सात साल की सजा इसी वर्ष सुनाई है। वह जेल में बंद है।

वहीं, दूसरा प्रमोद सहनी 15 वर्ष का है। उसका मामला जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है। वह बाल सुधार गृह में बंद है। पीड़िता और उसके परिजन में एक अभियुक्त को सजा सुनाए जाने के बाद अब न्यायालय से जल्द ही दूसरे अभियुक्त को सजा सुनाए जाने की उम्मीद है। एक आरोपी को सजा मिलने के बाद पीड़ित परिवार का दर्द कुछ कम हुआ, लेकिन अभी संपूर्ण न्याय की आस लगाये बैठे हैं। 

सीतामढ़ी के परसौनी थाना क्षेत्र के एक गांव में 22 जनवरी 2017 की रात एक किशोरी से चार आरोपियों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। कांड में राजू तिवारी, मेघू राय, पप्पू राय एवं मोहन राय में नामजद किए गए। करीब एक पखवारे तक इलाज के बाद पीड़िता की स्थिति में सुधार आया। बाद में चारों आरोपियों ने एक-एक कर कोर्ट में सरेंडर कर दिया। सभी अभी जेल में हैं। मामले की सुनवाई चल रही है।

दूसरी घटना 15 अगस्त 2015 की है। डुमरा थाना क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के बाद गला रेतकर हत्या कर दी गई और शव को परोरी में पुल के नीचे फेंक दिया गया। मामले में पीड़िता के पिता के बयान पर तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

रामपुर परोरी के एक आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर रिमांड होम भेज दिया। फिलहाल वह जमानत पर बाहर है। जबकि दो अन्य आरोपितों रामपुर परोरी के मंगल महतो और कहचरीपुर के मोहन कुमार अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

पश्चिमी चंपारण के बेतिया में जहां की धरती ने मां सीता को अपने स्नेह का आंचल प्रदान कर शरण प्रदान की, आज उसी चंपारण में कई ऐसी बेटियां हैं जो रोज निर्भया बन रही हैं और उनको अब भी न्याय के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है।

जिले में कई ऐसी घटनाएं हुई जिसने आम आवाम को हिला कर रख दिया। पोखरभिंडा में जहां एक सिरफिरे आशिक ने दो बहनों को जिन्दा जल दिया वही नए साल के जश्न के दूसरे दिन गोपालपुर में एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया,जिससे वह असमय काल के गाल में समां गयी।

दिल्ली की निर्भया की तरह यहाँ भी कई बेटियां हवस के भेड़ियों की दरिंदगी का शिकार होती हैं। मामला उस वक्त सुर्खियों में आता है जब उनकी हालत ख़राब हो जाती है। 2 जनवरी 2017 को जिले के गोपालपुर में सामूहिक दुष्कर्म के बाद युवती की हत्या की हत्या कर दी गई थी। 10 जनवरी को योगपट्टी में चाकू का भय दिखा कर दुष्कर्म किया गया।

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10 जनवरी को ही बैरिया में 5 वर्षीय बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को हैवानों ने अंजाम दिया। 21 जनवरी शिकारपुर में 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया। 18 अप्रैल पोखरभिंडा गांव में सिरफिरे आशिक ने दो बहनो को पेट्रॉल छिड़क जिन्दा जला दिया। इससे दोनों की मौत हो गई। इन सारे मामलो में कुछ आरोपी पकडे गए तो कुछ अब भी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं।कई मामले ऐसे हैं जिसमे अब तक केश ही शुरू नहीं हुआ।

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इस मामले पर अधिवक्ता डॉ. संगीता शाही का कहना है कि समाज के सहयोग से दिल्ली की एक निर्भया को तो न्याय मिल गया। लेकिन, अभी कई निर्भया को न्याय दिलाने में आमलोगों की सहभागिता जरुरी है। ताकि घिनौनी हरकत करने वाले लोगों को सजा दिलाई जा सके।

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मुजफ्फरपुर के एसएसपी विवेक कुमार कहते हैं कि दुष्कर्म के अधिकतर मामले में आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है। कई को स्पीडी ट्रायल के तहत सजा दिलाई गई है। इस तरह के मामले को दबाने व समझौता कराने वाले लोगों पर भी कार्रवाई की जा रही है।

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