Ram Vilas Paswan Death News: राम विलास पासवान- आधी सदी लंबी रही राजनीतिक यात्रा, जानिए जीवन की कुछ खास बातें
Ram Vilas Paswan Death News राम विलास पासवान का जन्म बिहार के खगड़िया जिले के पिछड़े शहरबन्नी गांव में हुआ था। 50 साल से अधिक लंबी राजनीतिक यात्रा के दौरान उनके जीवन की कुछ खास बातें जानिए इस खबर में।
पटना, जेएनएन। Ram Vilas Paswan Death News: लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक एवं केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) में मंत्री रहे रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) का गुरुवार को निधन हो गया। वे बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे। अपनी आधी सदी लंबी राजनीतिक यात्रा के दौरान रामविलास पासवान ने न केवल सर्वाधिक वोटों जीतने का रिकार्ड बनाया, बल्कि उनके नाम पर छह प्रधानमंत्रियों के साथ बतौर कैबिनेट मिनिस्टर (Cabinet Minister) काम करने का भी रिकार्ड दर्ज है।आइए जानते हैं उनके जीवन की कुछ खास बातें।
खगड़िया से शुरू हुआ जीवन का सफर
बिहार के खगड़िया जिले के पिछड़े शहरबन्नी गांव में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान ने कोसी कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की। फिर वे 1969 में बिहार में डीएसपी बने, लेकिन पुलिस की नौकरी में मन नही लगा तो राजनीति में कूद गए।
दो शादियां कीं, पहली पत्नी को दिया तलाक
राम विलास पासवान ने दो शादियां की थीं। उन्होंने 1960 के दशक में राजकुमारी देवी से शादी की, जिन्हें उन्होंने 1981 में तलाक दे दिया था। पहली पत्नी से उषा और आशा दो बेटियां हैं। 1983 में उन्होंने एक पंजाबी हिंदू रीना शर्मा से विवाह किया, जिनसे उन्हें एक बेटा चिराग पासवान और एक बेटी है।
साल 1969 में पहली बार बने विधायक
पासवान 1969 में पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने। आगे 1974 में पहली बार लोकदल के महासचिव बनाए गए। आपातकाल के दौरान जेल गए। फिर साल 1977 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने चार लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज कर वर्ल्ड रिकार्ड बनाया था।
बिहार की राजनीति के बड़े दलित चेहरा
वे बिहार की राजनीति के दलित चेहरा भी थे। बाबू जगजीवन राम के बाद बिहार में दलित नेता के तौर पर पहचान बनाने के लिए उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की।
समाजवादी धारा के रहे बड़े नेता
राम विलास पासवान समाजवादी धारा के बड़े नेताओं में शामिल रहे। वे आपातकाल के विरोध में हुए लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जेपी आंदोलन की उपज थे।
छह प्रधानमंत्रियों के रहे कैबिनेट मिनिस्टर
राम विलास पासवान ने 2019 में चुनावी राजनीति में अपने 50 वर्ष पूरे किए थे। इस दौरान उन्होंने छह प्रधानमंत्रियों की मंत्रिपरिषद में केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी निभाई। पासवान ने विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकारों में मंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई।
गुजरात दंगे के विरोध में छोड़ा था एनडीए
2002 में गुजरात दंगे के बाद विरोध में वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से बाहर निकल गए तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में शामिल हो गए। दो साल बाद ही यूपीए की सरकार बनने पर वे मनमोहन सिंह की सरकार में रसायन एवं उर्वरक मंत्री बनाए गए। यूपीए 2 के कार्यकाल में कांग्रेस के साथ उनके रिश्तों में दूरी आ गयी। तब 2009 के लोकसभा चुनाव में वे हाजीपुर में हार गए थे। उन्हें मंत्री पद नहीं मिला।
2014 में फिर एनडीए में वापसी, बने मंत्री
2014 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जेडीयू के अपने पाले में नहीं रहने पर रामविलास पासवान का स्वागत किया और बिहार में उन्हें सात सीटें दी, जिनमें एलजेपी ने छह सीटों पर जीत दर्ज की। रामलिवास पासवान, उनके बेटे चिराग पासवान और भाई रामचंद्र पासवान भी चुनाव जीत गए। राम विलास पासवान मंत्री बनाए गए। पीएम मोदी की वर्तमान सरकार में खाद्य, जनवितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री के रूप में रामविलास पासवान ने जन वितरण प्रणाली में सुधार लाने के अलावा दाल और चीनी क्षेत्र में संकट का प्रभावी समाधान किया। वर्तमान में वे राज्यसभा सदस्य थे।
कोरोना काल में तबीयत बिगड़ी
करोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन के दौरान लोगों के बीच खाद्यान्न व अन्य सामानों की आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए वे कार्यरत रहे। इस दौरान वे अपना नियमित मेडिकल चेक-अप नहीं करा सके। इससे उनकी तबीयत बिगड़ गई। फिर अस्पताल गए तो वहां से वापस नहीं लौट सके।
चिराग ने किया इमोशल ट्वीट- मिस यू पापा
बीते कुछ समय से खराब तबीयत के कारण उन्होंने एलजेपी की कमान बेटे चिराग पासवान के हाथों में सौप दी थी। राम विलास पासवान की मौत के बाद चिराग पासवान ने पिता के साथ की एक पुरानी तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है- Miss You Papa!