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बिहार सरकार की वेबसाइट पर इंदिरा गांधी के खिलाफ बातों से बढ़ा सियासी तापमान

राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के स्टेट प्रोफाइल सेगमेंट में आपातकाल का संदर्भ लेकर इंदिरा गांधी पर की गयी कड़ी टिप्पणी से सियासी जंग छिड़ गई है। हालांकि, सोमवार को इसे वेबसाइट से हटा दिया गया, लेकिन विवादित हिस्से को हटाये जाने के बाद विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2016 10:23 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2016 11:39 AM (IST)
बिहार सरकार की वेबसाइट पर इंदिरा गांधी के खिलाफ बातों से बढ़ा सियासी तापमान

पटना। राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के स्टेट प्रोफाइल सेगमेंट में आपातकाल का संदर्भ लेकर इंदिरा गांधी पर की गयी कड़ी टिप्पणी से सियासी जंग छिड़ गई है। हालांकि, सोमवार को इसे वेबसाइट से हटा दिया गया, लेकिन विवादित हिस्से को हटाये जाने के बाद विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है।

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विपक्ष का आरोप है कि सरकार इतिहास बदलने की कोशिश कर रही है। जयप्रकाश पर आपातकाल के दौरान अत्याचार किए गए, यह सच्चाई है। इसे सरकारी वेबसाइट से हटाकर सरकार आखिर क्या संदेश दे रही है? विपक्ष का आरोप है कि महागठबंधन में शामिल घटक दलों को सत्ता के लिए सबकुछ कबूल है।

इस मसले पर करेंगे मुख्यमंत्री से बात : अशोक चौधरी

महागठबंधन सरकार में साझीदार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि सरकारी वेबसाइट पर इंदिरा जी पर की गई टिप्पणी के मसले पर वे जल्द ही मुख्यमंत्री से बात करेंगे। कहा कि इंदिरा गांधी इस देश की नहीं बल्कि विश्व की नेता थीं। उन्होंने इस मुल्क से गरीबी मिटाने का मसला हो या फिर बैंक के राष्ट्रीयकरण का या देश पर आए किसी संगठन का, तमाम मामलों में अपनी भूमिका का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। उन्हें लेकर इस देश में सम्मान की सोच है।

कभी लालू तो कभी कांग्रेस के दबाव में नीतीश : सुशील मोदी

भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि वह किसी के दबाव में काम नहीं करते, लेकिन उनकी सरकार कभी लालू प्रसाद तो कभी कांग्रेस के दबाव में फैसले ले रही है।

उन्होंने कहा कि क्या यह सच नहीं है तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जेपी को जेल में डालकर ऐसी यातना दी कि उससे मिली असाध्य बीमारी उनकी मृत्यु का कारण बनी? क्या कांग्रेस जेपी की मौत के लिए जिम्मेवार नहीं है?

कहा, महागठबंधन की सरकार क्या सत्ता बचाने के लिए इतिहास बदलना चाहती है? सरकार यह बताये कि आपातकाल के अत्याचारों से संबंधित जो दस्तावेज अभिलेखागार में है क्या उसे जला दिया जाएगा?

सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार खुद को लोहिया और जेपी का शिष्य बताते हैं, लेकिन उन्होंने पहले लोहिया के गैरकांग्रेसवाद को धोखा देकर महागठबंधन बनाया, अब उनकी सरकार आपातकाल के नायक जेपी के इतिहास को मिटाने का अपराध कर रही है।

जेपी बिहार नहीं, पूरे देश के नायक : नंदकिशोर

भाजपा नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि आपातकाल भारतीय इतिहास का काला अध्याय रहा है। आपातकाल की मुखालफत करने वाले जेपी बिहार ही नहीं पूरे देश के नायक बने थे। जेपी के साथ आपातकाल में जिस तरह का दमनात्मक रवैया तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनाया, उसे इतिहास भूल नहीं सकता।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई, जार्ज फर्नांडीस, सुशील कुमार मोदी सहित कई नेताओं ने जेल यातनाएं सहीं। कहा, बिहार का इतिहास न तो जेपी आंदोलन को भूल सकता है और न ही इंदिरा गांधी के दमन को।

कांग्रेस ने किया सत्ता के लिए समझौता : पासवान

केंद्रीय मंत्री व लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह कांगे्रस के लिए शर्म की बात है। कांगे्रस गठबंधन की सरकार में शामिल है। उसकी सरकार की तरफ से कांगे्रस की बड़ी नेता स्व इंदिरा गांधी पर टिप्पणी की गयी है। इतनी बड़ी बात पर चुप्पी से स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस ने सत्ता के लिए समझौता कर लिया।

गलती का हो चुका सुधार, नहीं हो राजनीति

इस विवाद पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि उन्होंने वेबसाइट पर कुछ पढ़ा ही नहीं, इसलिए कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि यदि वेबसाइट पर कोई गलती हुई है तो उसे सुधार लिया गया है। इसपर विपक्ष को राजनीति नहीं करनी चाहिए।

यह लिखा था

'जेपी ने लगातार इंदिरा गांधी और उनके छोटे बेटे संजय गांधी की निरंकुशता का विरोध किया। जनता ने जब जेपी का समर्थन करना शुरू कर दिया तो घबराकर इंदिरा गांधी ने 1975 में देश में आपातकाल लगाने से पहले उनको गिरफ्तार करवा दिया। उन्हें दिल्ली के तिहाड़ जेल में रखा गया जहां देश भर के खूंखार कैदियों को रखा जाता है।

भारत को स्वाधीन कराने में जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी के पिता जवाहर लाल नेहरू के साथ ही लड़ाई लड़ी पर इंदिरा के शासनकाल में उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया। इतना कठोर व्यवहार अंग्रेजों ने 1917 में चंपारण में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से भी नहीं किया था।


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