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लाल आतंक के आगे बौना साबित हो रही रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था

बिहार में कुछ रेलखंडों की सुरक्षा व्यवस्था पर लाल आतंक का साया दिखने लगा है। इन रेलखंडों पर रेल पुलिस की मजबूरी है कि वो ट्रेन के अंदर तो ध्यान दे सकती है, लेकिन पहाड़ों पर नहीं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 07 Dec 2017 09:38 AM (IST)Updated: Thu, 07 Dec 2017 02:30 PM (IST)
लाल आतंक के आगे बौना साबित हो रही रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था
लाल आतंक के आगे बौना साबित हो रही रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था

पटना [चन्द्रशेखर]। बिहार के दानापुर मंडल अंतर्गत किउल-झाझा व किउल-जमालपुर रेलखंडों पर नक्सली सक्रिय हैं। पहले  नक्सलियों का आतंक स्थानीय स्तर पर तो सिर चढ़कर बोलता ही था, अब रेलवे ट्रैक पर भी उनका 'लाल आतंक' साफ-साफ दिखने लगा है। 

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पिछले कुछ वर्षों के दौरान नक्सलियों ने राज्य व केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए खाकी के साथ-साथ इस क्षेत्र से गुजर रही ट्रेनों को भी साफ्ट टारगेट बना लिया है। दो माह पहले दो-दो ट्रेन को हाइजैक करने की कोशिश की गई। नक्सलियों के आगे हर बार रेलवे विवश रही।

रेल पुलिस के साथ सबसे बड़ी मजबूरी है कि वह ट्रेन के अंदर की सुरक्षा पर तो ध्यान दे सकती है परंतु पहाड़ी व जंगली क्षेत्र में रेलवे ट्रैक के साथ-साथ पहाड़ों व जंगलों में छिपे नक्सलियों पर कैसे नजर रखे?

कौन सा क्षेत्र है अधिक संवेदनशील

नक्सलियों का सबसे अधिक प्रभाव किउल-झाझा रेलखंड के बंसीपुर से लेकर झाझा स्टेशन तक है। किउल-जमालपुर रेलखंड के किउल से अभयपुर तक का क्षेत्र अधिक संवेदनशील है। पहाड़ी व जंगली क्षेत्र होने के कारण नक्सली दानापुर मंडल में इस क्षेत्र को सबसे अधिक साफ्ट टारगेट पर रखते हैं।

पांच साल पहले नक्सलियों ने झाझा रेल थाना पर ही हमला कर दो पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी और नक्सलियों ने थाने के कोत में रखा असलहे भी लूटने की कोशिश की थी। हालांकि कोत की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों की ओर से जवाबी फायङ्क्षरग होने पर असलहे लूटने में उन्हें सफलता नहीं मिली थी।

इसके थोड़े ही दिन पहले नक्सलियों ने जसीडीह सवारी गाड़ी को सिमुलतला के पास रोककर ट्रेन का एस्कार्ट कर रहे पांच जवानों व कनीय पुलिस अधिकारियों की हत्या कर उनके असलहे लूट लिए थे। इस दौरान दो यात्रियों की भी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद जमुई के पास नक्सलियों ने धनबाद पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस को रोककर ट्रेन पर बमबारी की थी। काफी देर तक लाल आतंक से यात्री परेशान रहे थे।

किसी तरह पुलिस फोर्स भेजकर ट्रेन को उनके चंगुल से मुक्त कराया गया था। इसके बाद से तत्कालीन रेल पुलिस महानिरीक्षक ने किउल से जसीडीह के बीच केवल डंडे के साथ ही ट्रेनों को एस्कार्ट करने का आदेश दिया था। तब से आज तक अधिकांश ट्रेनों का एस्कार्ट डंडे के सहारे ही किया जा रहा है।

आरपीएफ असलहे के साथ एस्कार्ट करती भी है तो कम से कम नौ की संख्या में पर्याप्त असलहे के साथ वे होते हैं। पिछले सप्ताह भी साउथ बिहार एक्सपे्रस समेत दो टे्रनों को हाइजेक करने की कोशिश की थी। काफी देर तक यात्री लाल आतंक के दहशत में दुबके रहे थे। 

दूसरा जो सबसे साफ्ट टारगेट पर है वह किउल-जमालपुर रेलखंड के किउल-अभयपुर रेलखंड। इस रेलखंड पर भी नक्सलियों ने पिछले पांच साल के दौरान ट्रेनों व रेल पटरियों को दर्जनों मर्तबा निशाना बनाया है। शाम के बाद इस रूट से गुजरने वाली ट्रेनों के यात्री दहशत में ही यात्रा करने को मजबूर होते हैं।

तत्कालीन एसपी भी पुलिस मुख्यालय को भेज चुके हैं त्राहिमाम संदेश

साढ़े तीन साल पहले जमुई के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने पुलिस मुख्यालय को त्राहिमाम संदेश भेजकर सीआरपीएफ की सात कंपनी फोर्स देने की मांग की थी। तत्कालीन एसपी ने अपने संदेश में स्पष्ट तौर पर जिक्र किया था कि नक्सलियों का आतंक इस कदर जिले में बढ़ गया है कि उनके परिजन या बच्चे अधीक्षक आवास से बाहर नहीं निकल सकते हैं।

कुछ हो जाने पर जनता की सुरक्षा क्या करेंगे अपनी सुरक्षा भी करने में असमर्थ हैं। इसके बाद ही वहां पांच-पांच कंपनी सीआरपीएफ के जवानों को भेजा गया और जबरदस्त रूप से नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन सफाया चलाया गया। 

स्थानीय पुलिस सीआरपीएफ के साथ मिलकर चला रही है सफाया अभियान

किउल-झाझा व किउल-जमालपुर क्षेत्र के नक्सली ठिकानों पर स्थानीय पुलिस एवं सीआरपीएफ संयुक्त रूप से अभियान चला रही है। सीआरपीएफ के अभियान में कई हार्डकोर नक्सली मारे गए हैं और बहुतेरे सीखचों में कैद हो चुके हैं। पिछले सप्ताह की घटना के बाद दोनों ही क्षेत्र में सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। 

नक्सली रेलवे ट्रेक अथवा ट्रेन में नहीं होते हैं कि रेल पुलिस उनके खिलाफ कोई अभियान चला सके। नक्सली पहाड़ों व जंगलों में होते हैं जिनके खिलाफ स्थानीय पुलिस व सीआरपीएफ सघन अभियान चला रही है। इस अभियान के कारण नक्सलियों की रीढ़ टूट चुकी है।

कहा-आरक्षी महानिरीक्षक, रेल पुलिस, पटना ने

हताशा में वे ट्रेन अथवा रेलवे ट्रैक पर हमला कर भाग जाते हैं। रेल पुलिस यात्रियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है और अपने काम में बखूबी लगी हुई है। रनिंग ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। रनिंग ट्रेनों में आपराधिक घटनाओं पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। 

अमित कुमार, आरक्षी महानिरीक्षक, रेल पुलिस पटना


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