आरआरआइ से सुरक्षित और संरक्षित होगा रेल परिचालन : डीआरएम
दानापुर में 50 साल पुरानी मैन्युअल पद्धति इलेक्ट्रो मैकेनिकल सिस्टम से ही ट्रेनों का परिचालन हो रहा है।
पटना : दानापुर में 50 साल पुरानी मैन्युअल पद्धति इलेक्ट्रो मैकेनिकल सिस्टम से ही ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा था। जब भी किसी ट्रेन को स्टेशन पर लेना होता था, तब एक-एक करके छह केबिन में लीवर से ट्रेन को ऑपरेट किया जाता था। रूट रिले इंटरलाकिंग (आरआरआइ) का कार्य संपन्न हो जाने के बाद अब ट्रेनों का परिचालन नई पद्धति के आधार पर हो सकेगा। यह पूरी तरह सुरक्षित व संरक्षित पद्धति है। पहले जहां एक ट्रेन को प्लेटफार्म पर लाने में छह केबिन का लीवर फ्रेम अलग-अलग काम करता था, अब एक बटन दबाते ही सारा काम पलक झपकते ही हो जाएगा। इस तरह एक ट्रेन को प्लेटफार्म पर रिसीव करने अथवा प्रस्थान कराने में 5 से 10 मिनट तक का वक्त बचेगा।
दानापुर मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) रंजन प्रकाश ठाकुर ने बताया कि पुरानी पद्धति में काफी खामियां थीं। दानापुर मंडल के किउल, दानापुर व शेखपुरा स्टेशन को छोड़कर तमाम स्टेशनों से आरआरआइ के तहत ही ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है। पिछले 12 वर्षो से दानापुर का आरआरआइ कार्य लंबित था। काफी प्रयास के बाद इसे शुरू किया गया है। इसके पूरा हो जाने से ट्रेनों का परिचालन सुगम व सुरक्षित हो जाएगा। अब यात्रियों को नेउरा या आउटर पर ट्रेनों के अनावश्यक रूप से रोके जाने की शिकायत नहीं मिलेगी। दानापुर के आरआरआइ कार्य में लगभग 50 करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। साढ़े पांच किलोमीटर की दूरी में 1200 किमी तक केबल लगाए जाएंगे। आरआरआइ कार्य में 500 कर्मचारी और 50 वरिष्ठ अधिकारी राउंड-ओ-क्लॉक लगे हुए हैं।
आरआरआइ के फायदे :
रूट रिले इंटरलाकिंग कार्य संपन्न होने के बाद दानापुर स्टेशन को एक नया प्लेटफार्म संख्या-छह मिल जाएगा। पाटलिपुत्र स्टेशन से आने-जाने वालीं ट्रेनें इसी प्लेटफार्म पर रुकेंगी। पहले पाटलिपुत्र से खुलने वाली ट्रेनों को दानापुर लाने में मेन लाइन की ट्रेनों को रोकना पड़ता था। अब दानापुर से पाटलिपुत्र और पाटलिपुत्र से दानापुर तक सीधे प्लेटफार्म संख्या-छह पर ट्रेनें आकर रुकेंगी और यहीं से प्रस्थान भी करेंगी। इससे ट्रेनों के परिचालन में काफी सहूलियत होगी। पहले मालगाड़ी की रैक को मेन लाइन पर लाकर प्लेटफार्म तक लाना पड़ता था। इसके बाद यहां से वापस मालगाड़ी को यार्ड में ले जाना पड़ता था। इसके कारण काफी समय तक प्लेटफार्म व्यस्त रहता था। अब मालगाड़ियां सीधे यार्ड में चली जाएंगी, जिससे मेन लाइन डिस्टर्ब नहीं होगी। पहले छह केबिन के जरिए लीवर से ट्रेनों का रूट तय होता था। हर केबिन पर एक सहायक स्टेशन प्रबंधक की तैनाती होती थी। यह तैनाती तीन शिफ्ट में की जाती थी। अब एक जगह कंट्रोल बनाया जाएगा, जहां से बटन दबाते ही सारे रूट नियंत्रित किए जा सकेंगे। इससे समय के साथ-साथ मैन पावर की भी बचत होगी। आरआरआइ की प्रमुख बातें :
दानापुर यार्ड में 125 प्वाइंट्स बनाए जा रहे हैं। पहले यहां 115 रूट निर्धारित था, जिसे बढ़ाकर 506 रूट किया गया है। जो देश के बड़े-बड़े स्टेशनों पर है। पहले यहा पर शंटिंग सिग्नल 25 था, जिसे बढ़ाकर 85 किया जाएगा। 60 नए सिग्नल बनाए जाएंगे। आरआरआइ के बाद 100 ट्रैक सर्किट कार्यरत होंगे। पहले तीन कालिंग ऑन ही था, जो बढ़कर 43 हो जाएगा। इससे एक साथ कई ट्रेनों को ऑपरेट किया जा सकेगा।
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