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जाको राखे साइयां: मरम्‍मत के दौरान चल पड़ी ट्रेन, ट्रैक पर लेटकर ऐसे बचाई जान

कहते हैं कि जिसकी रक्षा खुदा करता है, उसे कोई नहीं मार सकता। यह पटना में तब चरितार्थ हुआ, जब मरम्‍मत के दौरान ट्रेन चल पड़ी और रेलकर्मियों ने ट्रैक पर लेटकर जान बचा ली।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 18 Feb 2018 11:49 AM (IST)Updated: Sun, 18 Feb 2018 04:58 PM (IST)
जाको राखे साइयां: मरम्‍मत के दौरान चल पड़ी ट्रेन, ट्रैक पर लेटकर ऐसे बचाई जान
जाको राखे साइयां: मरम्‍मत के दौरान चल पड़ी ट्रेन, ट्रैक पर लेटकर ऐसे बचाई जान

पटना [जेएनएन]। रेलवे की इस लापरवाही से तीन रेलकर्मी मौत के मुंह में जाते-जाते बचे। घटना पटना के राजेन्द्र नगर कोचिंग कांप्लेक्स में हुई। जनशताब्दी एक्सप्रेस के मेंटेनेंस के दौरान ट्रेन ट्रैक पर अंडरगियर का काम कर रहे कर्मियों पर चलने लगी। रेलकर्मियों ने लेटकर जान बचाई।

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यह है मामला

जानकारी के अनुसार शनिवार को जनशताब्‍दी एक्‍सप्रेस के मेंटेनेंस का काम चल रहा था। इस दौरान एक अधिकारी के कहने पर कर्मचारी ने इंजन के आगे रखा लाल झंडा को हटा लिया और ट्रेन चालक को आगे बढऩे का इशारा कर दिया। जैसे ही ट्रेन आगे बढ़ी, ट्रैक पर अंडरगियर का काम कर रहे कर्मियों ने लेटकर जान बचाई।

उनकी मदद के लिए अन्य कर्मी भी शोर मचाने लगे। तेज आवाज होने पर चालक ने गाड़ी रोक दी। यदि तीनों कर्मचारी ट्रैक पर लेट नहीं जाते तो उनकी जान जा सकती थी।

कर्मचारियों की मानें तो पिट संख्या 1 में जनशताब्दी एक्सप्रेस के डी 3 एवं डी 10 के नीचे रखरखाव कार्य हो रहा था। डी 10 के नीचे पीके यादव व आरके पासवान काम कर रहे थे। डी 3 के नीचे अनिल सिंह, विजय सिंह, रामाशीष महतो, सर्वेंद्र, दीपक, सुधीर कुमार काम कर रहे थे। बगैर सूचना के ट्रेन आगे बढ़ गई।

घटना से उमड़ा आक्रोश, बयां की दुर्दशा

घटना के बाद सारे रेलकर्मी एकजुट हो गए और कोचिंग डिपो से जुड़े अधिकारियों व सुपरवाइजरों के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। लेकिन, लापरवाही बरतने वाले सुपरवाइजर के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय कर्मचारियों को फटकार लगाई गई। घटना से आहत कर्मचारियों ने बताया कि पिछले दिनों इसी ट्रेन के मेंटेनेंस के दौरान हरी मांझी नामक कर्मचारी का हाथ कट गया था। उस वक्त भी अधिकारी की लापरवाही उजागर हुई थी।

कर्मचारियों ने बताया कि उनके पास न तो कोई वायरलेस सेट है न टार्च। वे अपने मोबाइल से ही दोनों काम करते हैं। वायरलेस सेट रहने पर काम समाप्त होते ही रेलकर्मी, सुपरवाइजर व ट्रेन का चालक आपस में बात करने के बाद ही ट्रेन को बढ़ाते हैं। वायरलेस सेट नहीं रहने से जान का खतरा बना रहता है।

कर्मियों की कमी, संसाधनों का अभाव

रेलकर्मियों की मानें तो वह काफी दबाव में काम कर रहे हैं। एक-एक टीम से तीन-तीन ट्रेनों का रखरखाव कार्य कराया जा रहा है। कर्मचारी बगैर उपकरण एवं साजो-सामान के रखरखाव का कार्य कर रहे हैं। वाकीटॉकी न रहने से कर्मचारियों को अपनी जान बचाना मुश्किल हो रहा है।


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