इस लालू फॉर्मूला से दूर होगी ट्रेनों की लेटलतीफी, रेलवे कर रहा लागू ...जानिए
देश में ट्रेनों की लेटलतीफी बड़ी समस्या है। लेकिन, अब ऐसा शायद नहीं हो। ट्रेन परिचालन को समय पर करने के लिए रेल मंत्रालय लालू के जमाने का 'जीरो बेस फॉर्मूला' लागू करने जा रहा है।
धनबाद [बलवंत कुमार]। ट्रेनों की लेटलतीफी को दूर करने के लिए रेल मंत्रालय ने पूर्व रेल मंत्री व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में लागू 'जीरो बेस टाइम टेबल' को लागू करने जा रहा है। ट्रेनों के परिचालन में विलंब की स्थिति को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हाई लेवल मीटिंग जल्दी ही होने वाली है। उसमें इसपर विचार किया जाएगा।
पूर्व मध्य रेलवे (हाजीपुर) के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि जीरो बेस प्रणाली को लागू करने को लेकर लोको पायलट को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। दैनिक रूप से ट्रेनों की निगरानी की जा रही है। इस कारण ट्रेनों के टाइम टेबल के प्रकाशन में इस बार विलंब होगा।
क्या है योजना, जानिए
भारत में ट्रेनों के परिचालन में विलंब बड़ी समस्या है। इससे निबटने के लिए अब रेलवे ने पुरानी प्रणाली को फिर से अपनाने का फैसला किया है। यह तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के समय की 'जीरो बेस प्रणाली' है। इसके तहत प्रीमियम ट्रेनों को शुरुआती स्टेशन से सबसे पहले चलाया जाना है। फिर, मेल-एक्सप्रेस और उनके बाद पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है जीरो बेस टाइम टेबल से जुड़ी इस योजना को लागू करने से 95 से 100 फीसद तक ट्रेनों के परिचालन समय पर होने लगेगा।
जारी होगा नया टाइम टेबल
रेलवे पैसेंजर ट्रेनों से लेकर मालगाडिय़ों तक की निगरानी कर रहा है। इनके परिचालन से प्राप्त डाटा का विश्लेषण कर नया टाइम टेबल जारी किया जाएगा। ट्रेनों के समय में परिवर्तन भी होगा। इस नये टाइम टेबल में ब्लॉक लेने और ट्रैक मरम्मत के लिए भी समय दे दिया जाएगा। लंबी दूरी के ट्रेनों का ठहराव समय कम होगा। कोच में जल्द पानी भरने और चालक तथा गार्ड बदलने का समय भी कम होगा। ट्रेनों पर लगे गति प्रतिबंध को हटाया जाएगा।
स्टेशन मास्टर से गार्ड तक जवाबदेह
जीरो बेस प्रणाली में जिस स्टेशन से ट्रेन खुल रही है और अगले ठहराव तक पहुंचने में ट्रेन के लिए जो समय निर्धारित है, उसके अनुपालन में स्टेशन मास्टर, चालक, गार्ड और कंट्रोल रूम तक लगे रहते थे। यानी समय की पाबंदी पर जवाबदेही भी तय की गई थी। ऐसा फिर किया जाएगा।