राहुल, खरगे और प्रियंका की 30 सभाएं, बावजूद इज्जत बचाने लायक भी सीट नहीं
कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी वाड्रा ने मिलकर 30 चुनावी रैलियां कीं। इन रैलियों के बावजूद, पार्टी को सम्मानजनक संख्या में सीटें नहीं मिलीं, जिससे कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। इतनी रैलियों के बाद भी अपेक्षित परिणाम न मिलने से पार्टी के नेतृत्व क्षमता पर भी प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खरगे ने की बिहार में 30 सभाएं
राज्य ब्यूरो,पटना। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कुल मिलाकर 30 सभाएं की। चुनावी जमीन पर कांग्रेस जिस भरोसे की तलाश में उतरी थी, वह न सिर्फ टूटता दिखा बल्कि उसने पार्टी को ऐसी स्थिति में पहुंचा दिया जहां इज्जत बचाने लायक सीट भी हासिल करना मुश्किल हो गया।
राहुल गांधी ने चुनाव के दौरान कुल 16 सभाएं की। इन सभाओं के जरिये उन्होंने करीब 23 उम्मीदवारों के लिए जनता से वोट मांगे। दूसरी ओर प्रियंका गांधी ने चुनाव के दौरान 14 सभाएं की और डेढ़ दर्जन उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया।
हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय मल्लिकार्जुन खरगे ने महज तीन सभाएं की। परंतु इन नेताओं की जहां-जहां सभाएं हुई वहां पार्टी उम्मीदवार बुरी तरह पराजित रहे।
सिर्फ किशनगंज में कांग्रेस का प्रयोग सफल रहा। यही वह एक मात्र सीट है जहां से कांग्रेस जीत दर्ज करा सकी।
चुनाव के परिणाम बताते हैं कि राहुल, प्रियंका और खरगे की सभाओं से भीड़ तो खूब उमड़ी, लेकिन यह भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो सकी।
इसका मूल कारण स्थानीय कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता, टिकट बंटवारे में उपेक्षा और अनेक सीटों पर थोपे गए उम्मीदवार।
कई जिलों में कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ अंदरूनी विरोध सीधे-साफ दिखा, जिसने पार्टी की संभावनाओं को शुरुआती दौर में ही कमजोर कर दिया।
यहां बता दें कि काफी हील-हुज्जत के बाद कांग्रेस को महागठबंधन में 61 सीटों पर लडऩे का मौका बना दिया।
परंतु उसकी बड़ी पराजय ने एक बार फिर साबित कर दिया कि महागठबंधन में कांग्रेस विकासशील इंसान के बाद सबसे कमजोर कड़ी है।

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