Raghuvansh Prasad Singh Death News : नीतीश कुमार ने कहा, जमीन से जुड़े नेता थे रघुवंश बाबू
Raghuvansh Prasad Singh Death News मुख्यमंत्री ने रघुवंश सिंह के पुत्र सत्यप्रकाश से फोन पर बात कर सांत्वना दी । जानिए रघुवंश बाबू ने नीतीश कुमार को क्या लिखा था आखिरी पत्र में
पटना, जेएनएन। Raghuvansh Prasad Singh Death News : पूर्व केंद्रीय मंत्री व प्रख्यात समाजवादी नेता डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरा शोक जताया है। उन्होंने शोक संदेश में कहा कि रघुवंश बाबू जमीन से जुड़े नेता थे। उनके निधन से मुझे व्यक्तिगत रूप से दु:ख पहुंचा है। उनके निधन से राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक तथा समाजवाद के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने रघुवंश प्रसाद सिंह के पुत्र सत्यप्रकाश सिंह से बात कर उन्हें सांत्वना दी।
कर्पूरी ठाकुर के मंत्रिमंडल में थे
मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबी अवधि तक रघुवंश प्रसाद सिंह ने वैशाली लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल अत्यंत ही सराहनीय रहा। इसके पूर्व कर्पूरी ठाकुर के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे।
कल वैशाली में होगा अंतिम संस्कार
उनके निधन की खबर मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने दिल्ली स्थित बिहार के स्थानिक आयुक्त एवं अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे रघुवंश बाबू के परिजनों से संपर्क कर उनके पार्थिव शरीर को पटना लाने की व्यवस्था करें। कोविड काल के लिए वर्तमान में लागू दिशा-निर्देश के तहत निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुरूप राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। कल वैशाली के पानापुर में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
नीतीश कुमार को लिखा था आखिरी पत्र
बता दें कि गत तीन-चार दिनों से पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह राजद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखने को लेकर चर्चा में थे। गत शनिवार (12 September) को भी एम्स, दिल्ली से सीएम नीतीश को लिखे गए पत्र को जारी किया गया था। हालांकि पत्र 10 सितंबर को ही लिखा गया था। अपने आखिरी पत्र में रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने क्षेत्र और दुनिया के पहले गणतंत्र वैशाली को लेकर चिंता व्यक्त किया था।
उन्होंने शनिवार को लिखे पत्र में वैशाली के तालाबों को जल-जीवन-हरियाली अभियान से जोडऩे, विश्व के प्रथम गणतंत्र के सम्मान में महात्मा गांधी सेतु रोड में हाजीपुर के पास भव्य द्वार बनाकर मोटे अक्षरों में विश्व का प्रथम गणतंत्र वैशाली द्वार अंकित कराने, राष्ट्रकवि दिनकर की वैशाली से संबंधित कविताओं को जगह-जगह मोटे अक्षरों में लिखवाने , बज्जीनां सत अपरीहानियां धम्मा के अनुसार सातो धर्मो का उल्लेख जगह-जगह बड़ी दीवार पर पाली, हिंदी और अंग्रेजी में लिखवाने तथा वैशाली के उद्धारक जगदीशचंद्र माथुर की प्रतिमा लगाने का आग्रह किया था।
पूर्व के पत्र में थे ये तीन आग्रह
इसके पहले लिखे पत्र में मनरेगा के तहत सभी किसानों के खेतों में काम कराने की व्यवस्था कराने का अाग्रह किया था। कहा था कि इसमें आधी मजदूरी सरकार की ओर से और आधी किसानों की ओर से देने का प्रावधान किया जाए। वे भगवान बुद्ध ने वैशाली छोड़ते समय स्मृति के रूप में एक भिक्षा पात्र दिया था, जो अभी अफगानिस्तान में है। रघुवंश ने सीएम को लिखा कि भिक्षा पात्र को वापस लाएं। उनका तीसरा आग्रह था कि
दुनिया में वैशाली की पहचान गणतंत्र की जननी के रूप में हो, वैशाली को सम्मान मिले। कहा था कि 26 जनवरी को मुख्यमंत्री खुद यहां राष्ट्रीय ध्वज फहराएं और राजकीय समारोह का आयोजन हो।