कृष्ण शब्द हैं तो राधा अर्थ
भादो शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को श्री राधा रानी का अवतरण पर्व यानी राधाष्टमी बुधवार को मनाई गई
पटना सिटी। भादो शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को श्री राधा रानी का अवतरण पर्व यानी राधाष्टमी बुधवार को अनुमंडल के विभिन्न मंदिरों में मनाया गया। वैश्विक आपदा की वजह से मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर रोक रही।
लल्लू बाबू का कूचा स्थित राधा बल्लभ संप्रदाय मंदिर में अवतरण पर्व पर वक्ताओं ने पर्व की महत्ता पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि राधा और कृष्ण अलग-अलग होते हुए भी एक ही हैं। कृष्ण शब्द हैं तो राधा अर्थ। कृष्ण ज्ञान हैं तो राधा भक्ति हैं। कृष्ण फूल हैं तो राधा सुगंध। कृष्ण सागर हैं तो राधा तरंग। राधा आत्मा हैं तो कृष्ण शरीर। मंदिर के सेवायत ब्रजेश गोस्वामी ने कहा कि कलियुग में राधा नाम गुणकारी है। इस मौके पर राधा बल्लभ महिला मंडल द्वारा भजन-कीर्तन किया गया। पर्व में मोहल्ले तथा आसपास के श्रद्धालु बाहर से ही दर्शन किए। उधर गुरहट्टा पानी टंकी के अलावा अन्य राधाकृष्ण मंदिरों व वैष्णव मंदिरों में राधाष्टमी मनाई गई।
लोभ पर विजय प्राप्त करना ही शौच धर्म
पटना। जैनियों के 10 दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान पर्युषण पर्व के चौथे दिन बुधवार को उत्तम शौच धर्म की पूजा हुई। एमपी जैन ने बताया कि पर्युषण पर्व के चौथे दिवस उत्तम शौच नामक दिवस है। व्यक्ति का लोभ पर विजय प्राप्त करना ही 'शौच धर्म' कहलाता है। यह पवित्रता का प्रतीक है। यह पवित्रता संतोष के माध्यम से आती है। व्यक्ति शौच धर्म के जरिये लोभ पर विजय प्राप्त करता है। लोभ कई तरह का होता है, जैसे धन का लोभ, यश का लोभ, इंद्रियों का लोभ आदि। आत्मा की शुद्धि के मार्ग में लोभ सबसे बड़ा अवरोधक है। लोभ के कारण ही हमारा असंतोष बढ़ता है। हमारी इच्छाओं की वृद्धि होती है।
अपने घरों में ही पूजा कर रहे श्रद्धालु : लॉकडाउन के कारण श्रद्धालु अपने घरों में ही पूजा कर रहे हैं। पर्युषण पर्व के अवसर पर जैन मंदिरों में शातिधारा पुजारियों द्वारा श्रद्धालुओं के नाम से की जा रही है। वासोकुंड में विराजमान दिगंबर जैन मुनि आचार्य रत्न विशुद्ध सागर जी महाराज ने ऑनलाइन प्रवचन देते हुए बताया कि आकाक्षा और इच्छा, मानवता के लिए बहुत बड़ा विष हैं।