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नमी अधिक होने का हवाला दे टाल रहे धान की खरीद

मसौढ़ी प्रखंड में नमी का हवाला देकर किसानों को टाला जा रहा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Dec 2017 10:12 PM (IST)Updated: Sat, 16 Dec 2017 10:12 PM (IST)
नमी अधिक होने का हवाला दे टाल रहे धान की खरीद
नमी अधिक होने का हवाला दे टाल रहे धान की खरीद

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चंद्रशेखर,

पटना । मसौढ़ी प्रखंड में धान की खरीदारी की जटिल प्रक्रिया से किसान परेशान हैं। नमी का बहाना बना किसानों को वापस लौटा दिया जा रहा है। उनसे सुखवन के नाम पर 15 से 20 फीसद अतिरिक्त धान जमा करने को कहा जा रहा है। कुछ किसानों को यह कहकर वापस भेज दिया जा रहा है कि आपका धान रजिस्टर पर चढ़ा दिया गया है। अभी काफी नमी है इसे और सुखाकर लाएं। धान खरीदने के आंकड़ों में तो इसे शामिल कर लिया जा रहा है परंतु ऐसे किसानों को अभी तक भुगतान से वंचित रखा जा रहा है। धान भी किसान के ही दरवाजे पर सुखाया जा रहा है। परेशान किसान बाहर में साहूकार के हाथ 1100 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल धान बेच दे रहे हैं। वहीं साहूकार इनके धान को दूसरे तरीके से पैक्स के माध्यम से 1550 रुपये प्रति क्विंटल बेच लेंगे। किसानों को यह पता नहीं कि आज सरकार धान खरीद रही है और कल उनके खाते में इसकी राशि भेज दी जा रही है। पैक्स अध्यक्ष इस बात को छिपा ले रहे हैं।

: जटिल प्रक्रिया से किसान हैं परेशान :

जिले में किसानों से धान खरीदने की रफ्तार काफी धीमी है। धान खरीदने की जटिल प्रक्रिया से परेशान किसान अपने धान को गांव के ही साहूकारों के हाथों औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर हैं। अशिक्षित किसानों को पहले इंटरनेट के जरिये ऑनलाइन निबंधन कराना पड़ रहा है। इस मामले में उनकी अशिक्षा काफी आड़े आ रही है। निबंधन के बाद भी धान बेचना उन्हें टेढ़ी खीर ही नजर आने लगा है। किसान जब पैक्स के पास धान बेचने जा रहे हैं तो उसके धान में 30 फीसद तक नमी बताकर वापस धान को सुखाकर लाने को कहा जा रहा है। पड़ताल के बाद जो कारण नजर आया वह यह है कि पैक्स का गोदाम काफी छोटा है जिसमें 200 मीट्रिक टन धान रखना संभव नहीं है। अभी तक राइस मिलर के साथ पैक्स को टैग नहीं किया गया है। किस राइस मिलर के गोदाम में धान गिराना है उन्हें पता नहीं। प्रशासन की ओर से राइस मिलर टैग होते ही धान की खरीदारी जोर पकड़ने लगेगी। इस बीच किसानों के धान की नमी भी सूख जाएगी। जिन किसानों से धान की खरीदारी हुई है उनसे सुखवन के नाम पर 15 से 20 किलो प्रति क्विंटल अतिरिक्त लिया जा रहा है। इस नए कर से किसान अधिक परेशान हैं। परेशान होकर 70 फीसद से अधिक किसान अपने धान को साहूकारों के हाथ बेच दे रहे हैं।

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मुट्ठी भर किसान ही पैक्सों के जरिये बेच रहे हैं धान :

हालत यह है कि पिछले साल पूरे जिले में मात्र 17,815 किसानों ने ही निबंधन कराया था। इतने ही किसानों से 10 लाख 21 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदारी की गई थी। औसतन एक किसान से लगभग 58 क्विंटल धान खरीदा गया था। आंकड़ों की बाजीगरी की पोल इसी से खुल जाती है। इस बार पूरे जिले से 35445 किसानों ने ऑनलाइन आवेदन दिया था जिनमें 19939 आवेदन ही वैध पाए गए जिसमें 14 दिसंबर तक 13415 किसानों का ही निबंधन हो सका था। कुछ और किसानों के निबंधन की संख्या बढ़ सकती है।

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: आंकड़ों की हो रही बाजीगरी :

मसौढ़ी प्रखंड तो एक बानगी है। पूरे जिले में पैक्स अध्यक्ष अधिकारियों के दबाव पर आंकड़ों की बाजीगरी कर रहे हैं। पारदर्शिता के लिए सरकार ने प्रतिदिन ऑनलाइन रिपोर्ट भेजने का निर्देश दे रखा है। पैक्स अध्यक्ष रिपोर्ट को बढ़ा-चढ़ाकर दे रहे हैं। 16 दिसंबर तक मसौढ़ी प्रखंड की सात पंचायतों से लगभग 3000 क्विंटल धान खरीदने का दावा किया जा रहा है। जब पंचायतवार अलग-अलग आंकड़ा लिया गया तो पता चला कि पांच पंचायतों द्वारा ही धान की खरीद की जा रही है। सबसे अधिक सब्दुल्लाचक पंचायत के खरांठ में 755 क्विंटल धान की खरीद की गई है। इसके अलावा अन्य चार पंचायतों द्वारा क्रमश: 400, 210, 120 एवं 200 क्विंटल ही धान की खरीदगी हुई है। पूरे प्रखंड के पांच पंचायतों से अभी तक मुश्किल से 1600 क्विंटल ही धान की खरीद की गई है। ऐसा मानना है प्रखंड सहकारिता अधिकारी शंभू सिंह का। हालांकि प्रखंड सहकारिता अधिकारी यह भी दावा कर रहे हैं कि अगले सप्ताह से 10 से अधिक पंचायतों के पैक्स अध्यक्षों एवं मसौढ़ी व्यापार मंडल की ओर से धान की खरीद शुरू हो जाएगी। किसानों के धान की नमी भी कम होने लगी है। पहले जहां 30-35 फीसद तक नमी थी अब घटकर 25 फीसद तक पहुंचने लगी है। आंकड़ों में बताया गया कि पैक्स अध्यक्ष किसानों से धान का वजन करवाकर अपने यहां रिपोर्ट कर ले रहे हैं। किसानों को दस दिन तक धान की नमी को सुखाने को बोला जा रहा है। 10 दिन के अंदर उनके साथ राइस मिलर टैग हो जाएंगे तब धान का वजन करवाकर इसे अपने गोदाम में रखने के बजाय सीधे मिल में भेज देंगे।

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: बोले, पैक्स प्रखंड अध्यक्ष :

धान में अभी नमी अधिक है इस कारण खरीदारी की रफ्तार धीमी है। मसौढ़ी प्रखंड की 10 पंचायतों के पैक्सों के द्वारा धान की खरीदारी की जा रही है। इनमें से खरांठ, कराय, चपौर, दौलतपुर-ढलकोचक, देवरिया-बड़कीबाग, भदौरा, लखनौर-बेदौली, नादौल पंचायतों के पैक्सों में खरीदारी जारी है। सभी पैक्सों के पास गोदाम हैं जिसमें पर्याप्त मात्रा में धान का भंडारण हो सकता है।

- सदय कुमार, प्रखंड अध्यक्ष

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: पैक्स अध्यक्षों की परेशानी :

मसौढ़ी प्रखंड के अध्यक्षों ने बताया कि उनलोगों को धान की खरीदारी पर कोई कमीशन नहीं मिलता। किसानों के घर से धान लाने से लेकर अपने गोदाम में रखने, वहां से मिल में ले जाने व चावल कुटवाने तथा इसके बाद एसएफसी के गोदाम में पहुंचाने तक की जिम्मेदारी है। इस दौरान उनसे तीन जगह पोलदारी, तीन जगह ले जाने में ट्रक अथवा ट्रैक्टर का भाड़ा देना होता है। बोरे की सिलाई भी उन्हें करवानी पड़ती है। इसके लिए उन्हें अलग से 185 रुपये प्रति क्विंटल मिलता है। किसानों को वे धान की जो कीमत चुका रहे हैं उसके लिए सहकारिता बैंक उनसे 9.5 फीसद ब्याज ले रहा है। यह राशि भी उन्हें इसी 185 रुपये प्रति क्विंटल वाली राशि से देनी पड़ती है।

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: क्या है स्थिति :

पैक्स का दावा- 200 मीट्रिक टन धान रखने का है गोदाम

हकीकत - 180 वर्ग फीट के गोदाम में 200 मीट्रिक टन धान रखना संभव नहीं

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नियम - हर गोदाम तक ट्रक व ट्रैक्टर पहुंचने का हो रास्ता

हकीकत - मसौढ़ी के दौलतपुर पंचायत के ढलकोचक गोदाम तक साइकिल जाना भी मुश्किल

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दावा - 14 में 10 पैक्स पंचायतों में धान की खरीद शुरू होने का

हकीकत - अभी 5 पंचायतों में ही धान की खरीद हुई है शुरू

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आंकड़े - सात पंचायतों में 16 दिसंबर तक 3000 क्विंटल धान खरीदने का

हकीकत - पांच पंचायतों के पैक्स अध्यक्षों द्वारा मात्र 1510 क्विंटल ही हुई है धान की खरीद


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