अबतक शुरू नहीं हो पाई गेंहू खरीद की प्रक्रिया, अधिकारी बोल रहे- चुनाव के कारण थी व्यस्तता
पटना में अधिकारियों की उदासीनता के कारण मार्केट में गेहूं नहीं मिल रहा है। एेसे में किसानों के साथ व्यापारियों का भी नुकसान हो रहा है।
By Edited By: Published: Thu, 30 May 2019 08:45 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 09:25 AM (IST)
पटना, जेएनएन। घोसवरी और मोकामा प्रखंडों में अभी तक गेहूं खरीद की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। मोकामा प्रखंड की बीसीओ शशिकला कुमारी का कहना है कि खरीद का आदेश एक महीना पूर्व ही आया हुआ है लेकिन लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के कारण इसपर पहल नहीं की गई। इस प्रक्रिया के पूरी होने के बावजूद पैक्सों के अध्यक्ष भी गेहूं खरीद में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। यही वजह है कि खरीद की कोई तिथि निर्धारित नहीं की जा सकी है।
घोसवरी प्रखंड के बीसीओ राजेश कुमार का भी कुछ ऐसा ही कहना है। सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1840 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। किसानों को भी सरकार के यहा गेहूं बेचने में कोई रुचि नहीं है। विपिन महतो, संजय महतो, राजेश सिंह, सुनील सिंह, सूरज यादव समेत कई किसानों ने बताया कि इस क्षेत्र में दलहन की पैदावार प्रमुखता से होती है। गेहूं की पैदावार काफी कम जमीन में की जाती है जिसे किसान अपने साल भर खर्च के लिए रखते हैं। आवश्यकतानुसार बंटाईदार को भी दे दी जाती है। इसी प्रकार पट्टा लगाने वाले जमीन मालिक साल भर के खर्च के लिए गेहूं लेते हैं।
मार्केट में गेहूं नहीं मिलने के कारण व्यापारियों को दूसरे क्षेत्रों से गेहूं मंगाना पड़ रहा है। समर्थन मूल्य अधिक होने के बावजूद किसान प्रति क्विंटल सौ से दो सौ रुपये तक अपना गेहूं निजी खरीदारों और व्यापारियों के हाथों बेच चुके हैं। प्रखंड कृषि पदाधिकारी रविंद्र कुमार का कहना है कि किसी किसान ने क्रय केंद्र नहीं खुलने की शिकायत नहीं की है। वहीं पाटलिपुत्र कोऑपरेटिव बैंक के निदेशक सह व्यापार मंडल के अध्यक्ष गुरजीत सिंह का कहना है कि अभी तक गेहूं क्रय के लिए राशि निर्गत करने का आदेश नहीं मिला है।
घोसवरी प्रखंड के बीसीओ राजेश कुमार का भी कुछ ऐसा ही कहना है। सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1840 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। किसानों को भी सरकार के यहा गेहूं बेचने में कोई रुचि नहीं है। विपिन महतो, संजय महतो, राजेश सिंह, सुनील सिंह, सूरज यादव समेत कई किसानों ने बताया कि इस क्षेत्र में दलहन की पैदावार प्रमुखता से होती है। गेहूं की पैदावार काफी कम जमीन में की जाती है जिसे किसान अपने साल भर खर्च के लिए रखते हैं। आवश्यकतानुसार बंटाईदार को भी दे दी जाती है। इसी प्रकार पट्टा लगाने वाले जमीन मालिक साल भर के खर्च के लिए गेहूं लेते हैं।
मार्केट में गेहूं नहीं मिलने के कारण व्यापारियों को दूसरे क्षेत्रों से गेहूं मंगाना पड़ रहा है। समर्थन मूल्य अधिक होने के बावजूद किसान प्रति क्विंटल सौ से दो सौ रुपये तक अपना गेहूं निजी खरीदारों और व्यापारियों के हाथों बेच चुके हैं। प्रखंड कृषि पदाधिकारी रविंद्र कुमार का कहना है कि किसी किसान ने क्रय केंद्र नहीं खुलने की शिकायत नहीं की है। वहीं पाटलिपुत्र कोऑपरेटिव बैंक के निदेशक सह व्यापार मंडल के अध्यक्ष गुरजीत सिंह का कहना है कि अभी तक गेहूं क्रय के लिए राशि निर्गत करने का आदेश नहीं मिला है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें