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सिंगापुर में भारत से अधिक तनाव व अवसाद की समस्या

कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आ‌र्ट्स एंड साइंस में सोमवार को 'प्रतिबल प्रबंधन एवं शक्ति उपचार' पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 06:00 AM (IST)
सिंगापुर में भारत से अधिक तनाव व अवसाद की समस्या
सिंगापुर में भारत से अधिक तनाव व अवसाद की समस्या

पटना । कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आ‌र्ट्स एंड साइंस में सोमवार को 'प्रतिबल प्रबंधन एवं शक्ति उपचार' पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन मनोविज्ञान विभाग ने किया। सेमिनार में सिंगापुर से आए विशिष्ट अतिथि चिन बून ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के विभिन्न उपायों को पावर प्वाइंट से प्रस्तुत किया। युवाओं और छात्रों को अवसाद और तनाव से मुक्त होने के सहज उपायों और उपचार से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि भारत की तुलना में सिंगापुर में अवसाद और तनाव की समस्या अधिक है। इससे दूर करने के लिए योग, स्पर्श थेरेपी, रेकी आदि का सहारा लिया जा रहा है। हजारों साल से योग लोगों का तनाव दूर करता आ रहा है। अब इसका लाभ दूसरे देश भी तेजी से उठा रहे हैं। उन्होंने विभिन्न व्यायामों का प्रदर्शन कर छात्रों को तनावमुक्त रहने की कला सिखाई। सिंगापुर से आए छात्रों के दल ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। विदेशी मेहमानों ने स्थानीय छात्रों से पठन-पाठन की शैली पर भी बातचीत की।

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मुख्य वक्ता महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय वड़ोदरा के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. चितरंजन नारायण दफ्तुआर ने तनाव और अवसाद के लिए रेकी और स्पर्श थेरेपी के लाभ से शिक्षक और छात्रों अवसाद दूर करने की विधि बताई। उन्होंने कहा कि रेकी मनोवैज्ञानिक उपचार विधि है जो पूर्णत: भारतीय है। उसका उल्लेख ऋ ग्वेद में भी मिलता है। इससे तनाव, अवसाद समेत विभिन्न शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार होता है।

सेमिनार का उद्घाटन प्राचार्य प्रो. तपन कुमार शाडिल्य ने किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हर एक व्यक्ति किसी न किसी रूप में अवसाद का शिकार है। तमाम मनोरोगों से बचने के लिए उन्होंने योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी। सेमिनार का संचालन प्रो. जय मंगल देव व धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश कुमार ने किया। मौके पर प्रो. अरुण कुमार झा, प्रो. कीर्ति, प्रो. तारणी जी, प्रो. एमपी सिंह, प्रो. शुभा प्रसाद, प्रो. अशुतोष कुमार सिन्हा, कुलानुशासक डॉ. मनोज कुमार, डॉ. संगीता सिन्हा, डॉ. वंदना मौर्य आदि मौजूद थे।


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