बिहार कांग्रेस में घमासान: लालू या अशोक चौधरी, आखिर क्या है वजह? जानिए
बिहार कांग्रेस का घमासान अब खुलकर सामने आ गया है। राष्ट्रीय पार्टी की अंदरूनी कलह के बीच एक ओर प्रदेश अध्यक्ष की सीट की जिच चल रही है तो दूसरी ओर पार्टी टूट की कगार पर खड़ी है।
पटना [काजल]। राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस का बिहार में विवादों से नाता टूटने का नाम ही नहीं ले रहा है। इस बार के विधानसभा चुनाव में सालों बाद बेहतर प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस में बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है।
एक ओर जहां प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी नेताओं में खींचतान चल रही है तो वहीं पार्टी में फूट की संभावना भी जारी है। कई नेता तो अपनी नाराजगी खुलकर बयां कर रहे हैं तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी भी कैमरे के सामने अपनी तकलीफ का इजहार किया। इन तमाम मुद्दों को लेकर कांग्रेस के नेता दिल्ली जाकर दो बार राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मिल चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई निदान नहीं निकल पाया है।
वहीं अब आलाकमान पर पार्टी के कई नेता सीधा आरोप लगा रहे हैं और राजद से नाता तोड़ने की सलाह दे रहे हैं। पार्टी के नेताओं का कहना है कि बिहार में महागठबंधन की टूट के लिए लालू यादव ही जिम्मेदार हैं, उन्होंने अपने परिवार के लिए अपने बेटों के लिए ही बिहार में महागठबंधन तोड़ दिया जिससे सबका नुकसान हुआ है।
इसके बावजूद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी दो टूक में कहा है कि राजद से गठबंधन जारी रहेगा। पटना पहुंचे दिग्विजय सिंह ने कहा कि पार्टी में सब ठीक-ठाक है और राजद से गठबंधन जारी रहेगा।
मजबूत विपक्ष के लिए राजद-कांग्रेस का साथ रहना जरूरी
दरअसल, एक मजबूत विपक्ष को मजबूत करने की कोशिश में एनडीए विरोधी दलों को एकजुट रहना मजबूरी है और राजद और कांग्रेस इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। सोनिया गांधी ने राजद अध्यक्ष लालू यादव को इसकी अगुआई करने की भी बात कही थी। एेसे में बिहार में कांग्रेस का राजद के साथ रहना मजबूरी है लेकिन बिहार के नेता नहीं चाहते कि कांग्रेस लालू के साथ रहे।
राजद की रैली में की गई उपेक्षा
नेताओं ने राजद की रैली में अपनी पार्टी की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा था कि लालू परिवार ही रैली में शामिल रहा हमें कोई महत्व नहीं दिया गया। नेताओं ने तो यहां तक कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तस्वीर भी कहीं किसी पोस्टर में नहीं दिखी और रैली में नेताओं को पीछे बैठाया गया।
खुद को असहज महसूस कर रहे अशोक चौधरी
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी भी अब खुद को असहज महसूस कर रहे हैं और उन्होंने अब साफ शब्दों मे पूछा है कि मुझे पार्टी में रखना है या नहीं रखना आलाकमान तय करके बता दे। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जब से मैं अध्यक्ष बना हूं, तब से अंदर के लोगों की साजिश का सामना कर रहा हूं।
चौधरी ने कहा कि जो बच्चा स्कूल में फेल होकर डांट खाता है और कहा कि मै तो उस बच्चे से भी गया गुजरा हूं, मैं फेल नहीं, बल्कि 99 फीसदी नंबर लेकर आया हूं, तब भी मार ही खा रहा हूं।
हटाए जा सकते हैं प्रदेश अध्यक्ष पद से
अब अशोक चौधरी को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाने की भी चर्चा जोरों पर है। नेताओं के मुताबिक राहुल गांधी के विदेश दौरे से लौटते ही इसपर फैसला हो सकता है। एेसे में अध्यक्ष पद को लेकर होड़ मच गई है। एक ओर विधान पार्षद दिलीप चौधरी ने खुद को अध्यक्ष पद का दावेदार बताया है तो वहीं एक अन्य नेता अखिलेश सिंह ने भी अध्यक्ष पद की दावेदारी की बात कही है।
दो धड़ों में बंटी प्रदेश कांग्रेस
बिहार में प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी कलह खुलकर सतह पर आ गयी है जहां एक ओर एक धरा अशोक चौधरी के पक्ष में दिख रहा है तो दूसरा अशोक चौधरी के खिलाफ। बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के समर्थक अब यहां तक कहने लगे हैं कि अशोक चौधरी ने कांग्रेस को बिहार में मजबूत बनाया है और अशोक चौधरी पर कार्रवाई होती है, तो कांग्रेस पूर्व की अवस्था में भी लौट सकती है।
इस बीच बक्सर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा कि मैं भी राहुल गांधी से कहूंगा कि नौजवानों को मौका दें। मैं पूरे बिहार के ब्राह्मणों को गोलबंद करने का काम करूंगा। जबकि उधर, पटना में विधान पार्षद दिलीप चौधरी ने कहा कि मैंने सीपी जोशी के सामने अपना दावा रखा है। मैंने वर्षों से कांग्रेस की सेवा किया है। आलाकमान अब नहीं मेरे बारे में सोचेगा, तब कब सोचेगा।
अशोक चौधरी पर पार्टी तोड़ने का लगाया आरोप
पार्टी विधायकों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात कर बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी पर पार्टी तोड़ने की कोशिशों का आरोप लगाया है। इस पर बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा कि कुछ कांग्रेस नेता यह 'दुष्प्रचार' करके उनके खिलाफ बगावत को हवा दे रहे हैं कि वह प्रदेश में पार्टी तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
अशोक चौधरी ने बताया, ''बिहार प्रदेश कांग्रेस में संकट के पीछे एआईसीसी के कुछ नेता हैं...जो मेरे खिलाफ यह दुष्प्रचार करके बगावत को हवा दे रहे हैं कि मैं नीतीश कुमार की जदयू के पक्ष में कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश कर रहा हूं। मेरे स्थान पर अपनी पसंद के व्यक्ति को बिठाने के लिए विक्षुब्धों को 'हवा' दी जा रही हैं।''
आलाकमान ने दिल्ली बुलाकर की थी नेताओं से बात
कांग्रेस आलाकमान ने बिहार कांग्रेस चीफ अशोक चौधरी और कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह को दिल्ली बुलाया गया था। पहले पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुलाया और फिर बाद में उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बारी-बारी से नेताओं से मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम का जायजा लिया। सोनिया गांधी ने बदलते घटनाक्रम पर नाराजगी जाहिर करते हुए इन नेताओं से पार्टी में बगावत को थामने के लिए कहा।
जदयू ने कहा-कांग्रेस विधायकों का स्वागत है
जदयू नेता संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस के नेता आगे की राजनीति को लेकर चिंतित हैं। उन्हें पता है कि वह लालू के साथ रहेंगे, तो अगली बार चुनाव में जीत नहीं पायेंगे। ऐसे में कांग्रेस के हर विधायक का जदयू में स्वागत है। इसका जवाब देते हुए कांग्रेस की ओर से कहा गया कि जदयू स्वयं कांग्रेस में अपने आपको विलय कर ले और नीतीश कुमार बिहार कांग्रेस की कमान संभाले।
लालू ने कहा- मैं कांग्रेस के चिरकुट नेताओं से बात नहीं करता
राजद सुप्रीमो लालू यादव ने बिहार कांग्रेस नेताओं को छुटभैये नेता बताते हुए उन्हें चिरकुट करार दिया है। लालू ने कहा है कि वह चिरकुट नेताओं की बात पर ध्यान नहीं देते और उन पर कुछ बात करना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि मैं छोटे नेताओं से बात नहीं करता। इन छुटभैये नेताओं की क्या औकात है, जो इनसे बातचीत की जाए। लालू ने कहा कि उनकी बातचीत कांग्रेस के बड़े नेताओं से होती है।
कांग्रेस में फूट की अफवाह जोरों पर
राज्य में कांग्रेस के 27 विधायकों में से 14 पाला बदलकर सत्तारूढ़ जदयू के पाले में जा सकते हैं। इन विधायकों ने अपना एक धड़ा बना लिया है। हालांकि दलबदल से बचने के लिए इस धड़े को अभी भी चार विधायकों की दरकार है क्योंकि इस तरह के विभाजन के लिए कम से कम दो-तिहाई विधायकों का समर्थन चाहिए।
लालू के साथ सहज नहीं महसूस कर रहे कांग्रेस नेता
माना जा रहा है कि कई बागी विधायक महागठबंधन टूटने के बाद लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाले राजद के साथ सहज महसूस नहीं कर रहे हैं। उसका एक बड़ा कारण यह है कि लालू प्रसाद के परिजनों के नाम भ्रष्टाचार के नए मामलों में आए हैं। ऐसे में कांग्रेस का राजद के साथ खड़े होते दिखना इन नेताओं को असहज कर रहा है।
इसके अलावा जातिगत समीकरणों के लिहाज से भी 2015 में महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने से सबसे ज्यादा फायदा राजद को हुआ। उसके 80 विधायक चुनकर आए। ऐसे में कांग्रेस को समर्थन देने वाले सवर्ण जातियों के एक तबके में पार्टी के प्रति नाराजगी के सुर उभरे।