Move to Jagran APP

'लाइट ऑफ एशिया' है बुद्ध की सोच, जीवन में निरंतरता के लिए जाना होगा विचारों के करीब: राष्ट्रपति

भगवान बुद्ध बोधगया में ज्ञान प्राप्‍ति के बाद राजगीर पहुंचे थे। उनकी स्‍मृति में वहां निर्मित विश्‍व शांति स्‍तूप के स्वर्ण जयंती समारोह में शुक्रवार को राष्‍ट्रपति पहुंचे हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 11:22 AM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 02:40 PM (IST)
'लाइट ऑफ एशिया' है बुद्ध की सोच, जीवन में निरंतरता के लिए जाना होगा विचारों के करीब: राष्ट्रपति
'लाइट ऑफ एशिया' है बुद्ध की सोच, जीवन में निरंतरता के लिए जाना होगा विचारों के करीब: राष्ट्रपति

नालंदा [जेएनएन]। राजगीर की रत्नागिरी पहाड़ी के शिखर पर शुक्रवार को विश्व शांति स्तूप की 50वीं वर्षगांठ में शिरकत करने मुख्‍य अतिथि के रूप में पहुंचे देश के राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि बोधित्सव, सुख, धर्म, शून्यता, चित्त और भगवान बुद्ध के विचार आज के दौर में ज्यादा प्रासंगिक हैं। आज जहां पूरे विश्व में अशांति का माहौल है, ऐसे में जीवन की निरंतरता के लिए जरूरी है कि दुनिया एक बार बुद्ध के विचारों के करीब आए।

loksabha election banner

शांति के बिना नहीं की जा सकती जीवन की कल्पना

राष्‍ट्रपति ने कहा कि शांति के बगैर बेहतर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के विचार हमें इक्कीसवीं सदी में भी प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने बुद्ध की सोच को 'लाइट ऑफ एशिया' कहा। वर्तमान में राष्ट्रपति बदलते वैश्विक परिदृश्य को ध्यान में रखकर जीवन की बेहतरी की निरंतरता पर जोर दे रहे थे। उन्होंने बुद्ध के विचारों का व्यक्तिगत स्तर पर पड़ने वाले प्रभावों के साथ-साथ सामाजिक साझेदारी की बात भी कही।

विश्व शांति के दूत हैं डेलीगेट्स

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी के विचार में बुद्ध के अहिंसा का उपदेश साफ झलकता है। उन्होंने कहा कि बतौर राज्यपाल भी मैं विश्व शांति स्तूप के कार्यक्रम में भाग ले चुका हूं। उन्होंने एशिया, यूरोप, अमेरिका से आए डेलीगेट्स को विश्व शांति का दूत बताया। उन्होंने कहा कि जापानी धर्मगुरु फुजि गुरु जी व महात्मा गांधी दो ऐसी आत्मा है जिन्होंने पूरे विश्व को शांति की राह पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि 45 साल पहले 1974 में तत्कालीन प्रधनमंत्री मोरारजी देसाई के आवास पर मुझे गुरु जी से मिलने का सैभाग्य मिला था। संबिधान बनाने वाले भीम राव अम्बेडकर ने भी बुद्ध के विचारों को समझा था।

पूरे विश्व में विवादों के निपटारे का केंद बने राजगीरः सीएम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि विश्व असहिष्णुता की दौर से गुजर रहा है। ऐसे में बौद्ध धर्म के माध्यम से समाधान तलाशने के लिए यह सम्मलेन काबिले तारीफ है। एक समय था कि विश्व के सभी देशों से लोग शिक्षा प्राप्त करने नालंदा विश्वविद्यालय आते थे। वार्षिकोत्सव के माध्यम से भारत पूरे विश्व को संदेश देना चाहता है कि सभी मन में शांति की भावना लेकर आएं और साथ मिलकर विश्व शांति की पहल करें। फुजि गुरु जी ने निर्माण किया लेकिन इसकी आधारशिला व उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राधा कृष्णन व वीवी गिरी ने किया। आज जब कि हम 50वीं वर्षगांठ मना रहें हैं तो संजोग देखिए कि भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद जी व प्रथम महिला सविता कोविंद भी यहां मौजूद हैं।

देश को पहला रोपवे फुजि गुरु ने दिया

सीएम ने बताया कि देश को पहला रोपवे भी फुजि गुरु जी ने ही दिया था। जिस पर सबसे पहले 1969 में जय प्रकाश नारायण ने यात्रा की थी। नीतीश कुमार ने कहा कि फुजि गुरु जी व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का संबंध किसी से छिपा नहीं है। स्वतंत्रता की लड़ाई के वक़्त ही गुरु जी जापान से भारत आए थे। यह कम लोगों को पता होगा कि जिस बापू की तीन बातों का हम जिक्र करते है, बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो व बुरा मत बोलो उसे बंदर के रूप में फुजि गुरु जी ने ही भेंट किया था।

नालंदा ने पूरे विश्व को दी ज्ञान की रोशनीः सुशील मोदी

उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सभी प्रमुख धार्मिक परंपराएं मूल रूप से प्रेम, दया और क्षमा का संदेश देती हैं। महत्वपूर्ण बात ये है कि ये हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा होनी चाहिए। नालंदा ने पूरे विश्व को ज्ञान की रोशनी दी है। सुशील मोदी ने कहा कि बिहार को सिद्धार्थ प्राप्त हुआ और बिहार ने पूरे विश्व को भगवान बुद्ध दिया। बिहार को मोहनदास करम चंद गांधी प्राप्त हुआ तो बिहार ने पूरे विश्व को महात्मा गांधी दिया। बिहार सभी धर्मों की हृदयस्थली है। सभी धर्मों का संगम है। नालंदा ने पूरे विश्व को ज्ञान की रोशनी दी है। आशा करता हूं कि यह स्तूप पूरे विश्व को शांति का राह दिखाएगी।

कई देशों के प्रतिनिधि कर रहे शिरकत

शांति स्तूप की 50वीं वर्षगांठ के समारोह के लिए गत 17 अक्टूबर को बोधगया से शांति पदयात्रा करते हुए आठ देशों के 40 बौद्ध भिक्षु 22 अक्टूबर को राजगीर पहुंचे। वे उसी रास्ते से राजगीर आए, जिससे बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध आए थे। उनके अलावा अमेरिका, जापान, इटली, अर्जेंटिना, थाईलैंड, भूटान, श्रीलंका, चिली, तिब्बत, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, स्पेन, बुडापेस्ट और इटली के प्रतिनिधि भी राजगीर पहुंचे हैं। विश्व शांति स्तूप परिसर में दो नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं। राजगीर में आयोजित समारोह में विदेशी डेलीगेट्स सहित लगभग 300 वीवीआइपियों ने शिरकत की है।

राज्‍यपाल के साथ कई मंत्री भी मौजूद

आज के समारोह के मुख्‍य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पत्‍नी सविता कोविंद के साथ पहुंचे हैं। उनके साथ राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी हैं। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, कला व संस्कृति मंत्री प्रमोद कुमार, सूचना व जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार, सांसद आरसीपी सिंह और सांसद कौशलेंद्र कुमार भी समारोह में शिरकत कर रहे हैं।

इसके पहले शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दिल्ली से सीधे पटना हवाई अड्डा पहुंचे। एयरपोर्ट पर रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) का बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भव्य स्वागत किया गया। यहां से हवाई जहाज राष्टपति राजगीर में आयोजित समारोह में भाग लेने के लिए रवाना हो गए। राजगीर के विपुलागिरी पर्वत पर राष्ट्रपति को उतरने के लिए हैलीपैड बनाया गया था। बता दें कि राष्ट्रपति मुख्य समारोह स्थल पर पहुंचकर भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना करने के बाद वापस दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.