Move to Jagran APP

बिहार के नौ शहरों में नई जेल बनाने की तैयारी, हर एक में रखे जा सकेंगे एक हजार कैदी

बिहार के नौ शहरों में एक हजार क्षमता की नौ काराओं का निर्माण होगा जमीन चिह्नित करने की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों को सौंपी गई इसके अलावा मंडल कारा जमुई औरंगाबाद और भभुआ में नए कारा उप भवन का निर्माण भी अंतिम चरण में

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 09:10 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 09:10 AM (IST)
बिहार के नौ शहरों में नई जेल बनाने की तैयारी, हर एक में रखे जा सकेंगे एक हजार कैदी
बक्‍सर केंद्रीय कारा का प्रवेश द्वार। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Home Department News: बिहार की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी हैं। कोरोना काल में यह एक बड़ी समस्‍या बन गई थी। इसे देखते हुए राज्‍य सरकार (Government of Bihar) प्रदेश में एक हजार क्षमता की नौ काराओं का निर्माण कराएगी। इसके अलावा मंडल कारा जमुई, औरंगाबाद और भभुआ में नए कारा उप भवन का निर्माण भी अंतिम चरण में है। पटना में पालीगंज और अरवल में भी मंडल उपकारा का निर्माण चल रहा है। यह जानकारी गृह विभाग के प्रभारी मंत्री बिजेंद्र यादव ने गुरुवार को विधान परिषद में संजय प्रकाश के एक सवाल पर दी। कई केंद्रीय कारा में भी भवनों को नए सिरे से बनाए जाने की तैयारी चल रही है, जिसमें बक्‍सर केंद्रीय कारा भी शामिल है।

loksabha election banner

मंत्री ने सदन को बताया कि नई काराओं का निर्माण वहीं हो रहा है, जहां हाई कोर्ट के आदेश पर न्यायालय की स्थापना संभावित है। इनमें राजगीर, रजौली, मढौरा, महाराजगंज, हथुआ, चकिया, पकड़ी दयाल, महनार और सिमरी बख्तियारपुर हैं। इन सभी काराओं की क्षमता एक-एक हजार बंदी को रखने की होगी। कारा निर्माण के जमीन चिह्नित करने के लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।

मंत्री ने बताया कि राज्य की जेलों में कैदी रखने की क्षमता 46619 है, जिसके विरुद्ध जेलों में 56444 कैदी बंद हैं। इनमें से 90 फीसद बंदियों को कोविड वैक्सीन का पहली और 15 फीसद को दूसरी डोज दी जा चुकी है। कोविड को देखते 20 काराओं को क्वारंटाइन जेल घोषित किया गया है। वहां सीमित समय के लिए कैदी रखे जाते हैं। क्वारंटाइन की अवधि पूरी होने पर उन्हें मूल कारा में भेज दिया जाता है। इसके अलावा बंदियों की संख्या कम हो इसके लिए उन्हें जमानत पर छोडऩे की कार्यवाही न्यायालय द्वारा की जा रही है। दूसरी ओर सरकार भी परिहार पर उन्हें छोडऩे का काम करती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.