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Cancer Survivor Day: प्रेमलता ने कैंसर से लड़कर जीती जिंदगी की जंग, जानिए

पटना की डॉ. प्रेमलता ने कैंसर से लड़कर जिंदगी की जंग जीती है। कैंसर पीडि़तों के लिए वे आशा की किरण हैं। वे ऐसे मरीजों को बीमारी से लड़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 04 Jun 2017 09:35 AM (IST)Updated: Sun, 04 Jun 2017 10:30 PM (IST)
Cancer Survivor Day: प्रेमलता ने कैंसर से लड़कर जीती जिंदगी की जंग, जानिए
Cancer Survivor Day: प्रेमलता ने कैंसर से लड़कर जीती जिंदगी की जंग, जानिए

पटना [नीरज कुमार]। विषम परिस्थितियों में साहस और धैर्य दिखाना चाहिए। इसी की बदौलत आप हर कठिनाई से उबर सकते हैं। यह कहना है एएन कॉलेज की प्रो. डॉ. प्रेमलता का। उन्हें वर्ष 2000 में स्तन कैंसर हुआ था। उन्होंने न केवल कैंसर पर काबू पाया, बल्कि कई मरीजों को कैंसर से लडऩे के लिए प्रोत्साहित भी किया है। कई लोग उनसे प्रोत्साहित होकर कैंसर से लड़ रहे हैं।

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वर्ष 2000 में डॉ. प्रेमलता सिन्हा के ब्रेस्ट कैंसर की पहचान हुई थी। शुरू में वह काफी डर गईं, लेकिन हिम्मत नहीं हारीं। बीमारी की पहचान होने पर तत्काल पटना के कुर्जी अस्पताल में ऑपरेशन किया गया। इसके साथ ही बायोप्सी जांच कराई गई। जांच में कैंसर की पुष्टि हुई।

इसके बाद डॉ. प्रेमलता ने मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल जाने का निर्णय लिया। वहां देश के प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएच आडवानी से संपर्क किया। उन्होंने पूरी जांच करने के बाद कीमोथिरेपी करने की सलाह दी।

वर्ष 2001 में वे न्यूयॉर्क इलाज के लिए चली गईं। वहां पर उन्होंने विश्व प्रसिद्ध स्लोन मेमोरियल कैटरिन हॉस्पिटल के चिकित्सकों से दिखाया तो बताया गया कि मुंबई के चिकित्सकों द्वारा किया गया इलाज सही है। अब आगे रूटीन चेकअप कराने की जरूरत है। तभी से रूटीन चेकअप किया जा रहा है। अब स्थिति सामान्य है।

डॉ. प्रेमलता के पति डॉ. एलबी सिंह वर्तमान में महावीर कैंसर संस्थान में अधीक्षक हैं। डॉ. एलबी सिंह का कहना है कि कैंसर की बीमारी का पता चलने पर पूरा परिवार डर गया था। पूरे परिवार के लिए यह कठिन समय था, लेकिन सभी ने साहस से काम लिया।

बिना समय गंवाए इलाज प्रारंभ हो गया। इसका सबसे बड़ा लाभ मिला की बीमारी पर नियंत्रण पा लिया गया। अगर बीमारी की पहचान देर से होती तो उस पर नियंत्रण पाना काफी मुश्किल हो सकता था। 

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डॉ. सिंह का कहना है कि पिछले 17 वर्षों में काफी संख्या में कैंसर के मरीज आए। वे जानने चाहते हैं कि इसका इलाज संभव है या नहीं। सभी डॉ. प्रेमलता को देखकर हैरानी जताते हैं कि उन्होंने किस तरह बीमारी पर नियंत्रण पाया है। वे पटना के कैंसर के मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा स्रोत हैं।  


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