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गर्भवती महिलाएं 10 म‍िनट करें भ्रामरी, दूर होंगी प्रसव की जटिलताएं, बिहार में हुए शोध में हुआ प्रमाणित

गर्भपात समय पूर्व प्रसव एक्लेम्पिसिया व हाइपरटेंशन की समस्या से मिलती राहत। बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य निरंजनानंद के निर्देशन में डा. विभा सिंह ने किया था अध्ययन। हर दिन 10 मिनट की भ्रामरी से होते हैं कई फायदे

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 08:23 AM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 08:23 AM (IST)
गर्भवती महिलाएं 10 म‍िनट करें भ्रामरी, दूर होंगी प्रसव की जटिलताएं, बिहार में हुए शोध में हुआ प्रमाणित
10 मिनट का भ्रामरी प्राणायाम देता है कई फायदे। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। प्रसव जटिलताओं को देखते हुए इसे महिला का दूसरा जन्म माना जाता है। इसी कारण केंद्र व राज्य सरकार सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित कराने को तमाम सुविधाएं मुहैया करा रही हैं। चिकित्सा विज्ञान के साथ यदि हर दिन दो बार पांच से सात मिनट भ्रामरी प्राणायाम और पौष्टिक-संतुलित आहार लेकर प्रसव की तमाम जटिलताओं से बचा जा सकता है। मुंगेर स्थित बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य पद्म भूषण निरंजनानंद सरस्वती व सदर अस्पताल की तत्कालीन स्त्री रोग विशेषज्ञ पटना की सिविल सर्जन डा. विभा कुमारी सिंह ने 438 मरीजों पर अध्ययन कर भ्रामरी प्राणायाम की उपयोगिता साबित की है। यह जानकारी सोमवार को स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने अपने व्याख्यान के दौरान दी थी। 

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चिंतामुक्त रखता है भ्रामरी 

डा. विभा कुमारी सिंह ने बताया कि बार्सिलोना और आस्ट्रेलिया में आपरेशन थिएटर में मरीज को ले जाने के पूर्व भ्रामरी प्राणायाम कराया जाता था। स्वामी निरंजनानंद ने जब इसकी जानकारी दी, उन्होंने सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं पर इसका प्रभाव देने के लिए अध्ययन में सहयोग मांगा। एक वर्ष में 438 प्रसव के मामले आए थे, इनमें से शुरुआती तीन माह में जांच को आई 112 महिलाओं को दिन में दो बार पांच से सात मिनट भ्रामरी प्राणायाम करने को कहा गया। इनमें से 106 महिलाओं को न तो प्रसवपूर्व कोई समस्या हुई और न ही प्रसव में। सभी के बच्चे भी शारीरिक व मानसिक रूप से ज्यादा स्वस्थ थे। 

भ्रामरी का ऐसे होता असर   

गर्भावस्था के दौरान महिला का न्यूरो-इंडोक्राइनल सिस्टम असामान्य हो जाता है। यही कारण है कि शुगर, बीपी समेत कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं। भ्रामरी प्राणायाम से मस्तिष्क में कंपन होता है, जिससे सेरेब्रल कार्टेक्स व हाइपोथैलेमस को उत्प्रेरित करता है और सभी ग्रंथियों को नियंत्रण करने वाली पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland) सक्रिय होकर पूरे अंत:स्रावी तंत्र को सुचारू रूप से संचालित करने लगती है। विभिन्न हार्मोन के नियंत्रित व संतुलित होने से गर्भपात, समय पूर्व  प्रसव, प्रसवपूर्व रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, एक्लेम्पिसिया व अन्य जटिलताओं की आशंका काफी कम हो जाती है। भ्रामरी से तनाव कम करने वाला मेलाटानिन हार्मोन (Melatonin Hormone) जो 24 घंटे में सिर्फ एक बार रात दो से सुबह 4 बजे के बनता है, वह हर बनने लगता है। इससे गर्भवती तनाव मुक्त रहती हैं और उच्च रक्तचाप, अनिद्रा, कुपोषण जैसी जटिलताएं कम होती हैं। 

    जटिलता        भ्रामरी 112 में    बिना भ्रामरी 326 में 

  • गर्भपात                  02             26 
  • समय पूर्व प्रसव,      03             17 
  • एक्लेम्पिसिया,        00             02 
  • गंभीर निमोनिया     01             06 
  • हाइपरटेंशन         00              81

भ्रामरी करने वाली 112 में से छह ऐसी गर्भवती को समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिनके जननांग पथ में कोई जटिलता थी या जिन्होंने नियमित रूप से इसका अभ्यास नहीं किया था। इसके अलावा लगातार गर्भपात की समस्या से जूझ रही तीन में से दो महिलाओं का सफल प्रसव कराया गया।  

ऐसे किया जाता है भ्रामरी प्राणायाम 

सुखासन में बैठकर अंगूठे से कान, तर्जनी को माथे व मध्यमा से आंखें बंद करें। शरीर में सांस भरें और मुंह बंद रखते हुए गले से भौंरे जैसी आवाज निकालें। इससे निकलने वाला कंपन सभी अंतस्रावी गंथ्रियों को सक्रिय करता है। 


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