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बुलेट ट्रेन से जा सकेंगे प्रयागराज, 320 किमी होगी स्पीड, जानें और क्या है खास

पटना से भी बुलेट ट्रेन चलेगी। अब देश के कई शहरों में जाना आसान होगा। खास बात ये है कि गंगा में डुबकी लगाने के लिए अब चंद मिनट में प्रयागराज जाया जा सकेगा।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 10:48 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 10:48 AM (IST)
बुलेट ट्रेन से जा सकेंगे प्रयागराज, 320 किमी होगी स्पीड, जानें और क्या है खास
बुलेट ट्रेन से जा सकेंगे प्रयागराज, 320 किमी होगी स्पीड, जानें और क्या है खास

पटना, जेएनएन। जापान की तर्ज पर भारत में भी बुलेट ट्रेनों का रोमांच नए दौर में पहुंच गया है। मुंबई-अहमदाबाद की तर्ज पर देश के अन्य 12 रूटों पर बुलेट ट्रेन चलाने के लिए सर्वे किया जा रहा है। इसमें पटना-प्रयागराज रूट भी शामिल है। नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन नई दिल्ली से गाजियाबाद वाया हापुड़, वाराणसी तक बुलेट ट्रेन की संभावनाओं को खंगाल रहा है। सब कुछ ठीक रहा तो 720 किमी की दूरी महज महज तीन घंटे में पूरी होगी।

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छोटी दूरी के शहरों पर फोकस

केंद्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने बताया कि विशेषज्ञों की टीम देश में 12 रूटों की सर्वे रिपोर्ट भारत सरकार को सौपेंगी। इसमें नई दिल्ली -मुरादबाद-वाराणसी पर विशेष फोकस है। बुलेट ट्रेन का रूट, यात्रियों की संख्या, दो स्टेशनों के बीच की दूरी, क्षेत्र की आर्थिक स्थिति एवं जमीन की गुणवत्ता और उपलब्धता का आंकलन किया जा रहा है। ये ट्रेनें 320 किमी प्रति घंटा की गति से दौड़ेंगी। रेल मंत्रलय ने देश के ऐसे 12 रूटों का चयन किया है, जो सबसे तेज एवं व्यस्त गलियारों में माने जाते हैं। इस कड़ी में जर्मनी की सर्वे टीम ने मैसूर-चेन्नई रेलखंड पर प्रथम चरण की रिपोर्ट बना ली है। नई दिल्ली-भोपाल, नई दिल्ली-मुंबई, पुणो-मुंबई, हैदराबाद-चेन्नई, प्रयागराज-पटना, बंगलुरु-चेन्नई-तिवेंद्रम समेत कई ट्रैकों पर फिजिबिलटी रिपोर्ट बनाई जा रही है।

हापुड़ से भी गुजरेगी बुलेट ट्रेन

नई दिल्ली-कानपुर-प्रयागराज रूट का कई बार सर्वे हो चुका है। उधर, नई दिल्ली-वाराणसी के बीच दोहरीकरण करने के साथ ही ट्रैक की क्षमता को बढ़ाया गया है। इस ट्रैक पर 180 से 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार वाली सेमी बुलेट ट्रेन आजमाई जा चुकी है। विशेषज्ञों की मानें तो बुलेट के लिए नया कॉरीडोर भी बनाया जा सकता है।

ये है बुलेट ट्रेन

ये ट्रेनें 300 किमी प्रति घंटा से ज्यादा रफ्तार से दौड़ती हैं। ट्रेन का इंजन पूरी तरह एरोडायनमिक होता है। यह अत्यंत सुरक्षित माना गया है। जापान में सबसे पहले 1964 में बुलेट ट्रेन चली थी। आज तक किसी यात्री की मौत नहीं हुई। अब चीन, फ्रांस, दक्षिण कोरिया में बुलेट ट्रेन यात्र का अहम जरिया है। भारत में फस्र्ट एसी के किराए से डेढ़ गुना होगा।

36 ट्रेनों में लगाईं गईं सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन

चलती ट्रेन में स्वच्छता की पहल के तहत ईस्ट कोस्ट रेलवे ने 36 ट्रेनों में 91 सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें लगाई हैं। एक सेनेटरी नैपकिन की कीमत पांच रुपये रखी गई है। यात्री वेंडिंग मशीन में 5 रुपये का सिक्का डालकर नैपकिन प्राप्त कर सकेंगे। एक वेंडिंग मशीन में लगभग 75 पैड्स आ सकते हैं। जिन ट्रेनों में यह सुविधा लागू की गई है वह सभी महत्वपूर्ण हैं और यह पुरी, भुवनेश्वर और विशाखापत्तनम से चलती हैं। सोमवार को रेलवे ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी।

पुरी से चलने वाली 10 ट्रेनों (पुरुषोत्तम एक्सप्रेस, पुरी-अहमदाबाद एक्सप्रेस, तपस्वनी एक्सप्रेस, पुरी-दुर्ग एक्सप्रेस, उत्कल एक्सप्रेस, जगन्नाथ एक्सप्रेस, नीलांचल एक्सप्रेस, पुरी-चेन्नई एक्सप्रेस, पुरी-अजमेर एक्सप्रेस, पुरी-शिरडी एक्सप्रेस) के 35 कोचों में यह वेंडिंग मशीनें लगाई गई हैं। भुवनेश्वर से चलने वाली 15 ट्रेनों (भुवनेश्वर-हीराखंड एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस ग्रुप ऑफ ट्रेन्स, प्रशांती एक्सप्रेस, धनबाद गरीब रथ एक्सप्रेस, भवानीपटना लिंक एक्सप्रेस, जन शताब्दी एक्सप्रेस, भुवनेश्वर-तिरुपति एक्सप्रेस, बंेगलुरु कैंट एक्सप्रेस, बालांगीर इंटर सिटी, नई दिल्ली दूरंतो समेत अन्य ट्रेनें शामिल हैंे


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