गरीब मरीजों को अब नहीं होगा भटकना, सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर करा सकेंगे ये दो महंगे टेस्ट
बड़ी आबादी छोटे से गंभीर उपचार तक के लिए सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर निर्भर है। अब जल्द ही गरीब मरीजों की समस्या दूर होने वाली है। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की जांच शुरू करने की तैयारियां तेज हो गई हैं।
जागरण संवाददाता, पटना: बिहार की बड़ी आबादी छोटे से गंभीर उपचार तक के लिए सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर निर्भर है। ऐसे में लंबे समय से अस्पतालों में एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जांच नहीं होने से गरीब मरीजों को काफी परेशानी हो रही थी। अब जल्द ही उनकी ये समस्या दूर होने वाली है। स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की जांच शुरू करने की तैयारियां तेज हो गई हैं। यह जानकारी सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी सिंह ने दी।
स्त्री रोग विशेषज्ञों को दी जाएगी अल्ट्रासाउंड करने की ट्रेनिंग
सभी अस्पतालों में एक्स-रे शुरू कराने में कोई समस्या नहीं है। इसे तकनीशियन कर करते हैं और डॉक्टर फिल्म देखकर रोग की पहचान कर लेते हैं। वहीं भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अल्ट्रासाउंड जांच सिर्फ रेडियोलाॅजिस्ट या प्रशिक्षण प्राप्त स्त्री रोग विशेषज्ञ ही कर सकती है। सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की संख्या बहुत कम है। ऐसे में सभी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड जांच कराने के लिए हर अस्पताल में एक-एक स्त्री रोग विशेषज्ञ की प्रतिनियुक्ति की जाएगी और उन्हें अल्ट्रासाउंड करने का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। सिविल सर्जन ने बताया कि डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने का कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा और मशीनें लगने के पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा।
बाहर पांच सौ से आठ सौ रुपये होते हैं खर्च
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के बाद से एक बड़ी आबादी छोटे-मोटे इलाज के लिए तो गरीब गंभीर रोगों के इलाज के लिए पूरी तरह से सरकारी व्यवस्था पर निर्भर हैं। गरीब लोगों के लिए बाजार में पांच सौ का एक्स-रे और आठ से 12 सौ में अल्ट्रासाउंड कराना खासा महंगा साबित होता है। ऐसे में बहुत सी गर्भवती महिलाएं जरूरी होने पर भी दो बाहर अल्ट्रासाउंड नहीं करा पा रही थीं। इसके बाद अब सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जांच की व्यवस्था की जा रही है। बीएमएसआइसीएल ने मशीनों की खरीदारी शुरू कर दी है।
एजेंसी का करार खत्म होने के बाद से बंद थी जांच
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पहले शासन काल में सभी अस्पतालों में मुफ्त जांच और दवाओं की व्यवस्था कराई थी। उस समय पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण बाहरी एजेंसियों से ये सेवाएं आउटसोर्स की गई थीं। वर्ष 2018 में एजेंसी का कांट्रैक्ट खत्म होने के बाद बहुत से अस्पतालों में एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जांच बंद हो गई थी। वर्ष 2019 में सरकार ने दोबारा नई एजेंसियों से सेवा आउटसोर्स करने के लिए निविदा निकाली थी। हालांकि, एक साल बाद भी उस पर कोई निर्णय नहीं हो सका। नई सरकार बनने के बाद सरकार अब सभी अस्पतालों में जांच की सुविधा कराने जा रही है।