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केके पाठक को शराबबंदी की कमान सौंपने पर सियासत शुरू, विपक्ष ने पूछा- सक्षम थे तो हटाया क्‍यों था

तेजतर्रार और कड़क आइएएस अधिकारी केके पाठक (IAS KK Pathak) को उत्‍पाद विभाग का अपर मुख्‍य सचिव बनाया गया है। इसके साथ ही सियासत भी शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार के इस निर्णय पर सवाल खड़े किए हैं तो सत्‍ता पक्ष इसका स्‍वागत कर रहा है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 10:31 AM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 02:01 PM (IST)
केके पाठक को शराबबंदी की कमान सौंपने पर सियासत शुरू, विपक्ष ने पूछा- सक्षम थे तो हटाया क्‍यों था
सीएम नीतीश कुमार और आइएएस अधिकारी केके पाठक। फाइल फोटो

पटना, आनलाइन डेस्‍क। तेजतर्रार और कड़क आइएएस अधिकारी केके पाठक (IAS KK Pathak) को मद्य निषेध विभाग का अपर मुख्‍य सचिव बनाया गया है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने शराबबंदी पर समीक्षा बैठक के अगले दिन उनके नाम पर मुहर लगा दी। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Central Deputation) से लौटने के बाद उन्‍हें मद्य निषेध विभाग की बड़ी जिम्‍मेदारी दी गई है। सामान्‍य प्रशासन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। लेकिन इसके साथ ही सियासत भी शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार के इस निर्णय पर सवाल खड़े किए हैं तो सत्‍ता पक्ष इसका स्‍वागत कर रहा है।  

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राजद और कांग्रेस ने सरकार से पूछे सवाल 

कांग्रेस और राजद (Congress and RJD) ने इसको लेकर सरकार पर तंज कसा है। कांग्रेस प्रवक्‍ता राजेश राठौर ने कहा है कि जिस अधिकारी को नीतीश कुमार वर्षों पहले हटा दिए थे, उन्‍हें फिर से लाना उनकी मजबूरी है या जरूरी है। या फिर असफल शराबबंदी का ठीकरा अधिकारी पर फोड़ना चाहते हैं। वहीं राजद नेता विजय प्रकाश ने कहा कि जिस अधिकारी को असक्षम समझ कर उत्‍पाद विभाग से हटाया गया था, उन्‍हें फिर से सक्षम समझकर फिर से लाया गया है। उन्‍होंने पूछा है कि यदि वे सक्षम व्‍यक्ति तो किस कारण से हटाया गया। और यदि वे असक्षम थे तो फिर किस आधार पर वापस लाया गया। इधर जदयू नेत्री सुहेली मेहता ने कहा कि मुख्‍यमंत्री का यह स्‍वागतयोग्‍य कदम है। इससे

बता दें कि कशव कुमार पाठक (केके पाठक), 1990 बैच के आइएए अधिकारी हैं। ये उत्‍तरप्रदेश के रहने वाले हैं। ये केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे। अपने कड़क अंदाज के लिए प्रसिद्ध केके पाठक जब गोपालगंज के डीएम थे, तब इनका जलवा दिखा था। बताया जाता है कि उनकी वजह से तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री लालू प्रसाद के करीबियों को दिक्‍कत होने लगी। तब पाठक का तबादला सचिवालय कर दिया गया। इनके साथ कुछ विवादों का नाता भी जुड़ा था।   


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