Move to Jagran APP

सत्ता संग्राम: कोसी की धार में डूबती-उतराती रही है सुपौल की सियासत

सुपौल संसदीय क्षेत्र की सियासत कोसी की धार में डूबती-उतराती रही है। सालों गुजर गए, पर यहां की तकदीर नहीं बदली। इस बार भी बाढ़ बड़ा मुद्दा होगा।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 07:15 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 09:02 PM (IST)
सत्ता संग्राम: कोसी की धार में डूबती-उतराती रही है सुपौल की सियासत
सत्ता संग्राम: कोसी की धार में डूबती-उतराती रही है सुपौल की सियासत

पटना [अरविंद शर्मा]। परिसीमन ने सहरसा संसदीय क्षेत्र का नाम बदलकर सुपौल कर दिया। कुछ क्षेत्र इधर-उधर हो गए, किंतु वोटरों की किस्मत और कोसी वहीं की वहीं रह गई। कोसी हर साल तबाही लेकर आती है। लोग डूबते-उतराते सुरक्षित ठिकाने तलाशते हैं। पनाह लेते हैं। पानी उतरने के बाद फिर उतनी ही दमदारी से जातियों में विभक्त होकर नेताओं को मौका देते हैं। बूथों तक पहुंचते हैं। जनप्रतिनिधि चुनते हैं और अगले पांच साल तक अपनी किस्मत को कोसते हैं।

loksabha election banner

बाढ़ के ईर्द-गिर्द घूमती राजनीति

सुपौल संसदीय क्षेत्र में सदियों से बाढ़ की त्रासदी जारी है और दशकों से राजनीति। यहां के लोगों ने भोली सरदार से लेकर रंजीत रंजन तक 16 सांसद चुने। सबके वादों पर भरोसा किया। मौका दिया। कोई केंद्र में कद्दावर मंत्री बना तो कोई मंडल कमीशन का कर्णधार। देशभर में चर्चा हुई। शाबाशी भी मिली। किंतु किसी ने इलाके की नसीब नहीं बदली। अबकी फिर मौका है त्रासदी से मुकाबले के लिए प्लेटफॉर्म तैयार करने का।

ललित नारायण मिश्र से बीपी मंडल तक की कर्मभूमि

बिहार के राजनीतिक इतिहास में सुपौल और सहरसा के अंचल को सर्वाधिक उर्वर माना जाता है। ललित नारायण मिश्र से लेकर बीपी मंडल तक का यह कर्म क्षेत्र रहा है। इसे कभी राजेंद्र मिश्र, लहटन चौधरी, अनूपलाल मेहता, बीएन मंडल, गुणानंद ठाकुर, चिरंजीव झा, विनायक प्रसाद यादव, कमलनाथ झा, सीके पाठक, सूर्यनारायण यादव, दिनेशचंद्र यादव और विश्वमोहन कुमार ने प्रतिनिधित्व किया है। वर्तमान में केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्री आरके सिंह की जन्मभूमि है। जदयू के कद्दावर नेता एवं मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव का भी यही कार्यक्षेत्र है।

बिजेंद्र, बब्‍लू व रंजीत के इर्दगिर्द घूमती राजनीति

सुपौल की राजनीति बिजेंद्र यादव, रंजीत रंजन और नीरज कुमार बब्लू के इर्दगिर्द घूमती है। बदले समीकरण में यहां कांग्रेस और जदयू में लड़ाई के हालात हैं। क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों से चार पर जदयू का कब्जा है। एक-एक पर भाजपा एवं राजद हैं। पिछले चुनाव में महज कुछ हजार वोटों से हार को जदयू जीत में तब्दील करने की जुगत में है। इसी साल 24 मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुपौल के लिए 880 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास किया, जिसमें कोसी नदी के तटबंध की मरम्मत एवं सिंचाई परियोजनाएं शामिल हैं।

रंजीत के मुकाबले कौन

कांग्रेस-राजद के गठबंधन जितना ही तय है कि सुपौल से कांग्रेस की अगला प्रत्याशी वर्तमान सांसद रंजीत रंजन ही होंगी। वे इस क्षेत्र को दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। इसलिए सवाल उठना लाजिमी है कि रंजीत के मुकाबले के लिए कौन आएगा। भाजपा-जदयू गठबंधन में यह सीट जदयू के हिस्से में जा सकती है। ऐसे में बिजेंद्र प्रसाद यादव को बड़ा दावेदार बताया जा रहा है। बिजेंद्र के इनकार पर उनके करीबी दिलेश्वर कामत पर दोबारा दांव लगाया जा सकता है। वे 2014 के चुनाव में रंजीत से करीब 60 हजार वोटों से हार गए थे।

राजग में सीटों का फेरबदल होता है और भाजपा के हिस्से में सुपौल चला जाता है तो छातापुर विधायक नीरज कुमार बब्लू की दावेदारी भी प्रबल मानी जा रही है। कोसी के 14 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के अकेले विधायक नीरज की पत्नी नूतन सिंह भी कोसी क्षेत्र से ही विधान पार्षद हैं। वैसे बब्लू की नजर मधेपुरा पर है।

2014 के महारथी और वोट

रंजीत रंजन: कांग्रेस: 332927

दिलेश्वर कामत: जदयू: 273255

कामेश्वर चौपाल: भाजपा: 249693

अमन कुमार: बसपा: 21233

सुरेश आजाद: जय हिन्द पार्टी: 14754

विधानसभा क्षेत्र

निर्मली (जदयू), पिपरा (राजद), सुपौल (जदयू), त्रिवेणीगंज (जदयू), छातापुर (भाजपा), सिंहेश्वर (जदयू)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.