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RJD के 'MY' के दायरे से बाहर निकली राजनीति तो सवर्णों की हो गई बल्‍ले-बल्‍ले

राजद (RJD) के माय (MY) समीकरण के दायरे से राजनीति बाहर क्या हुई बिहार के जन प्रतिनिधियों का सामाजिक चेहरा ही बदल गया। जानें राज्‍यसभा व विधान परिषद में क्‍या है सवर्णों की स्थिति।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 08:00 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 10:51 PM (IST)
RJD के 'MY' के दायरे से बाहर निकली राजनीति तो सवर्णों की हो गई बल्‍ले-बल्‍ले
RJD के 'MY' के दायरे से बाहर निकली राजनीति तो सवर्णों की हो गई बल्‍ले-बल्‍ले

पटना [अरुण अशेष] । राजद (RJD) के माय (MY) समीकरण के दायरे से राजनीति बाहर क्या हुई बिहार के जन प्रतिनिधियों का सामाजिक चेहरा ही बदल गया। सबसे अधिक फर्क राज्यसभा (Rajya Sabha) में राज्य के प्रतिनिधित्व पर पड़ा। इस समय देश के उच्च सदन में बिहार कोटे के सदस्यों में सवर्णों का दबदबा है। राज्यसभा में बिहार के सदस्यों की संख्या 16 है। जदयू (JDU) के शरद यादव का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। फिलहाल 15 सदस्य हैं। राजद के राम जेठमलानी के निधन से रिक्त हुई सीट पर भाजपा (BJP) के सतीशचंद्र दुबे राज्यसभा में जा रहे हैं। इनके शपथ ग्रहण के बाद उच्च सदन में राज्य के सवर्ण सांसदों की संख्या 10 हो जाएगी। इनमें एक मुस्लिम सवर्ण (Muslim Upper Cast) भी शामिल हैं। बाकी पांच सांसद पिछड़े, अति पिछड़े और अनुसूचित जाति के हैं।

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राजद का भी अहम योगदान

यह राजद के सोच में बदलाव का असर है। राज्यसभा में सवर्ण सांसदों की संख्या बढ़ाने में राजद का योगदान एनडीए (NDA) से कम नहीं है। राजद के तीन में से दो सांसद इस बिरादरी के हैं। प्रो. मनोज झा और डाॅ. अशफाक करीम। डाॅ. करीम मुसलमानों की ऊंची जाति से संबंध रखते हैं। अगर भाजपा के रविशंकर प्रसाद की जगह लोजपा के रामविलास पासवान नहीं जाते तो राज्यसभा में बिहार से अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व शून्य हो जाता। बेशक इसका श्रेय भाजपा को जाता है। पासवान 2010 से 2014 तक राज्यसभा सदस्य थे। उस समय वे राजद की मदद से गए थे।

पिछड़ों में तीन व अतिपिछड़ों में एक

पिछड़ों में जदयू के आरसीपी सिंह, कहकशां परवीन और राजद की डॉ. मीसा भारती हैं। अति पिछड़ों में अकेले रामनाथ ठाकुर हैं। शरद यादव का मामला कोर्ट में है, इसलिए उन्हें किसी खाते में नहीं रखा जा सकता है। सवर्णों में बशिष्ठ नारायण सिंह, डॉ. सीपी ठाकुर, आरके सिन्हा, महेंद्र प्रसाद, गोपाल नारायण सिंह, हरिवंश एनडीए के और डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह कांग्रेस के हैं। 

हाल विधान परिषद का

बिहार विधान परिषद में सवर्ण सदस्यों की संख्या करीब एक तिहाई से थोड़ा कम है। परिषद में कुल 75 सदस्य हैं। राज्यपाल कोटे से भरी जाने वाली 12 में से दो सीटें खाली हैं। हालांकि राज्यपाल ने जिस समय मनोनयन किया था तो दोनों सदस्य सवर्ण ही थे-नरेंद्र सिंह और राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह। बाद में नरेंद्र सिंह की जगह लोजपा के पशुपति कुमार पारस को सदस्य बनाया गया। पारस सांसद बने गए। अब यह रिक्त है। अभी प्रभावी संख्या 73 है। इनमें 19 सवर्ण हैं। 


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