PFI पर प्रतिबंध के बाद बिहार में सियासत तेज, भाजपा ने किया स्वागत, जदयू ने कहा-यह राजनीति से प्रेरित
पीएफआइ (Popular Front of India) पर प्रतिबंंध के बाद बिहार में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। भाजपा ने जहां इसका स्वागत किया है वहीं राजद और जदयू ने इसकी आलोचना की है। कहा है कि यह एक समाज को डराने-धमकाने का प्रयास है।
पटना, आनलाइन डेस्क। पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई है। भाजपा ने जहां इस कदम का स्वागत किया है तो सत्ता पक्ष के नेताओं ने इसे राजनीत से प्रेरित बताया है। जदयू और राजद नेताओं ने इस प्रतिबंध की आलोचना की है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया है, बाय-बाय पीएफआइ। बता दें कि केंद्र सरकार ने इस संगठन पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया है।
सुशील मोदी ने शिवानंद और कांग्रेस पर साधा निशाना
भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यह कदम स्वागतयोग्य है। इस क्रम में उन्होंने शिवानंद तिवारी के बयान की चर्चा की। कांग्रेस की नीतियों पर हमला करते हुए कहा कि ये केवल वोट बैंक की राजनीति करते हैं। देश की सुरक्षा से इन्हें कोई मतलब नहीं। विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि तुष्टिकरण और वोट बैंक के लालच में देशविरोधी गतिविधियों का समर्थन करना और केंद्र सरकार की आलोचना करना विपक्ष की आदत हो गई है। भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने कहा कि कभी सिमी ने देश को आतंक की आग में झोंकने की साजिश रची। अब यही काम पीएफआइ कर रही थी। इसपर प्रतिबंध के निर्णय का स्वागत है। साथ ही तथाकथित धर्मनिरपेक्ष व तुष्टिकरण की राजनीति करनवाले राजनीतिक दलों को चेतावनी है कि राष्ट्रविरोधी संगठनों के साथ गठजोड़ की राजनीति नहीं करें।
पटना एसएसपी के बयान के साथ
मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि जब कार्रवाई हुई थी तो पटना एसएसपी ने बयान दिया था। हमारा स्टैंड उनके साथ है। यह एकपक्षीय कार्रवाई है। एक समाज को डराने-धमकाने का प्रयास है। आठ साल से केंद्र में भाजपा के लोग हैं। क्या भारत सरकार की एजेंसियां आठ साल सोई रही। वहीं मंत्री जमा खान ने इसे राजनीतिक फायदे के लिए उठाया गया कदम बताया है। उन्होंने कहा कि समुचित जांच के बाद ही प्रतिबंध लगाना चाहिए था। भाजपा को ऐसे कदमों के लिए 2024 में जनता जवाब देगी।
आरएसएस की फंडिंग की बाबत क्यों नहीं होती बात
वहीं पूर्व विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने भी इस कार्रवाई की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कभी किसी ने पूछा कि आरएसएस का सालाना बजट क्या है। सोर्स आफ इनकम क्या है। ये लोग देशप्रेम और देशद्रोह का लाइसेंस निर्गत करते हैं। राजद नेता रामबली चंद्रवंशी ने कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार को इमानदारी से इमानदारी से धर्मनिरपेक्षता के चश्मे से देखना चाहिए। प्रतिबंध लगाना कोई समाधान नहीं है। प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि नफरत और तनाव लगाने वाले संगठनों पर पाबंदी लगनी चाहिए। देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए यह खतरा है। जिनकी गतिविधियां गैरकानूनी है उनपर प्रतिबंध लगना ही चाहिए।