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शिवसेना ने उठाए CM नीतीश के सुशासन पर सवाल तो बिहार में गरमाई सियासत, JDU बोला- अपना घर तो देखिए

शिवसेना ने अपने मुख्‍यपत्र सामना में बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार तथा उनके शासन में कानून-व्‍यवस्‍था पर सवाल उठाए हैं। इसपर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है। जेडीयू व बीजेपी ने हमलावर होते हुए शिवसेना को बिहार के लिए चिंतित होने के बदले अपना घर देखने की नसीहत दी है।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 03:24 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 09:44 PM (IST)
शिवसेना ने उठाए CM नीतीश के सुशासन पर सवाल तो बिहार में गरमाई सियासत, JDU बोला- अपना घर तो देखिए
बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार। फाइल तस्‍वीर।

पटना, स्टेट ब्‍यूरो। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में बिहार की कानून-व्‍यवस्‍था को लेकर राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की नीतीश सरकार (Nitish Government) पर जमकर हमला किया गया है। हाल ही में मुजफ्फरपुर में हथियार के बल पर 10वीं की एक छात्रा के साथ सामूहिक दुष्‍कर्म तथा एक आइपीएस अधिकारी के भाई व शिक्षक के बेटे की हत्या की वारदातों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि अपराधियों के मन में पुलिस का डर नहीं है तथा पुलिस भी घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेती है। इसपर बिहार में राजनीति गरमा गई है। जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने कहा है कि शिवसेना दूसरे के घर में तांक-झांक के पहले अपना घर तो देखे। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कहा केि बिहार का सुशासन महाराष्‍ट्र से लाख गुना बेहतर है।

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जेडीयू बोला: बिहार को लेकर चिंतित नहीं हो शिवसेना

बिहार प्रदेश जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने 'सामना' के संपादकीय पर प्रहार करते हुए कहा कि शिवसेना पहले महाराष्ट्र कि स्थिति को तो देखे। नियोजित अपराध जिस तरह से महाराष्ट्र में है, वह किसी अन्य राज्य में नहीं। बिहार में तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व में नियमित रूप से अपराध पर प्रहार किया गया है। मुख्यमंत्री आरंभ से ही अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करते रहे हैं। बिहार में जिस तरह से स्पीडी ट्रायल हुआ वह नजीर है। अब तो मुख्यमंत्री नियमित रूप से पुलिस मुख्यालय जाकर स्थिति की समीक्षा भी कर रहे हैं। बिहार को लेकर शिवसेना को चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है।

महाराष्ट्र से लाख गुना बेहतर बिहार का सुशासन: बीजेपी

बिहार बीजेपी के प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने कहा कि आज की तारीख में बिहार का सुशासन महाराष्ट्र से लाख गुना बेहतर है। अवसरवादी शिवसेना अपने मुख्यमंत्री को सुशासन की ट्रेनिंग लेने बिहार भेजे। राजनीतिक मकसद पूरा करने के लिए घटिया संपादकीय लिखकर संजय राउत खुद को पत्रकार समझने लगे हैं। उनकी सी ग्रेड पत्रकारिता का नमूना सुशांत सिंह राजपूत और दिशा सालियान के मामलों में देश की जनता देख चुकी है। बिहार ने सुशासन और विकास का जो मॉडल पेश किया है, वो देश के लिए नज़ीर है। ठीक इसी तरह शिवसेना का सत्तालोलुप व अवसरवादी चरित्र देश में अनूठा है।

निखिल आनंद ने संजय राऊत पर व्यक्तिगत निशाना साधते हुए कहा है कि आदरणीय भाभी जी को ईडी का नोटिस जाने के बाद से वे नर्वस हैं। वे मामले को राजनीतिक रंग देने और बिहार पर निशाना साधकर कुंठा की अभिव्यक्ति करने के बदले अपनी बेगुनाही साबित करने पर ध्यान दें।

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना में क्‍या लिखा गया है, जानिए

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना में लिखा गया है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में एक शिक्षक के युवा बेटे आशुतोष (22 वर्ष) की घर में घुसकर बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। मृतक का चचेरा भाई आइपीएस अधिकारी है, इसके बावजूद अपराधियों में पुलिस का डर नहीं दिखा। मुजफ्फरनगर में ही 10वीं की एक नाबालिग छात्रा को पिस्‍टल के बल पर अगवा कर उसके साथ सामूहिक दुष्‍कर्म किया गया। इस मामले में पुलिस ने पीड़िता की शिकायत को लेकर लापरवाही बरती। ऐसी घटनाएं केवल मुजफ्फरपुर ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार में हो रही हैं। पटना, दरभंगा, भागलपुर, जहानाबाद, अररिया, सुपौल हो या पूर्णिया, हर जगह बेखौफ अपराधी नंगा नाच कर रहे हैं। बिहार में हत्या, दुष्‍कर्म डकैती व रंगारी आदि संगीन अपराधों के डवैâती, रंगदारी, अपहरण-विवाह, छेड़खानी और दबंगई के आंकड़े उत्‍तर प्रदेश से होड़ करते दिख रहे हैं।

'समाना' के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ उनकी सरकार में सहभागी भारतीय जनता पार्टी (BJP) को भी बढ़ते अपराध से कोई मतलब नहीं दिखता। वे अभी भी अपने राजनीतिक मुद्दों में उलझे दिख रहे हैं। बीजेपी अपने सहयोगी दल के विधायकों को जुटाने की कवायद में उनका व की जनता का विश्वास खो रही है। इस अराजक परिस्थिति का लाभ अपराधी और माफिया तत्‍व उठा रहे हैं। पुलिस भी अपराध को संरक्षण  दे रही है। इससे अपराध का ग्राफ कोरोना महामारी से भी ऊपर चढ़ता दिख रहा है। बिहार में कोरोना (CoronaVirus) से अधिक क्राइम के आंकड़े खतरनाक हैं।


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