PM मोदी सरकार से JDU का किनारा, बिहार में गरमाई सियासत; HAM बोला- हमारे साथ आइए
शपथ ग्रहण के एक दिन पहले तक जेडीयू केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल होने की बात कह रहा था। लेकिन उसने अंतिम समय में यू-टर्न लिया। इससे बिहार में सियासत गरमा गई है।
पटना [जेएनएन]। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (PM Modi Government) में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के शामिल नहीं होने के फैसले पर बिहार में राजनीति गर्म हो गई है। जेडीयू सुप्रीमो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के यह कहने के बावजूद कि पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा है, विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। उधर, कांग्रेस (Congress) ने इसपर अभी तक चुप्पी साध रखी है।
हैरान करने वाला जदयू का यू टर्न
विदित हो कि एक दिन पहले तक जेडीयू केंद्र सरकार में शामिल होने की बात कर रहा था। बीते 21 व 23 मई को खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की बात कही थी। शपथ ग्रहण के ठीक एक दिन पहले बुधवार को भी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा था कि जेडीयू का मंत्रिमंडल में शामिल होना तय है। हालांकि, मंत्री कौन बनेगा यह पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार तय करेंगे। इसके बाद ठीक शपथ ग्रहण के पहले नीतीश कुमार ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकर कर दिया। जेडीयू का अचानक का यह यू-टर्न हैरान करने वाला है।
'हम' बोला: अब महागठबंधन में आ जाएं नीतीश कुमार
नरेंद्र मोदी सरकार में जेडीयू के शामिल नहीं होने पर महागठबंधन (Grand Alliance) के घटक दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने तंज कसते हुए कहा कि बिहार के गांवों की शादी में जैसे दूल्हा के फूफा रूठते हैं, वैसे ही नीतीश कुमार एनडीए में रूठ गए हैं। कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने अहंकार की वजह से नीतीश कुमार को नीचा दिखा रही है। इसी वजह से जेडीयू को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। दानिश ने कहा कि जेडीयू को महागठबंधन के साथ आकर सशक्त विपक्ष की भूमिका का निर्वहन करना चाहिए।
पहले ही कौर में मक्खी गिर गई: शिवानंद
नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की नई सरकार से जेडीयू के बाहर रहने के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD)के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने छह सांसदों वाली पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और 16 सांसदों वाली पार्टी जेडीयू को एक ही तुले पर तोल दिया। यह अंधेर नगरी वाली बात हो गई। पहले ही कौर में मक्खी गिर गई।
शिवानंद ने कहा कि सबको लग रहा था कि केंद्र की नई सरकार में जेडीयू को कम-से-कम तीन मंत्री पद मिलेंगे। एक दिन पहले ही नीतीश कुमार की अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात हुई थी। किंतु चाय पर सिर्फ एक सांसद को बुलाया गया। उन्होंने कहा कि प्रचंड जीत की गर्मी और बीजेपी के बदले रुख से नीतीश कुमार को अहसास हो गया कि बाद में उन्हें कहां-कहां झुकना पड़ सकता है। इसलिए उन्होंने सरकार को बाहर से समर्थन देना ज्यादा अच्छा समझा।
शिवानंद ने नीतीश को राजनीति का चतुर खिलाड़ी बताया और आशंका भी जताई कि यह तो अभी शुरुआत है। आगे और भी खराब स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
उधर, आरजेडी विधायक रामानुज प्रसाद ने कहा कि यह नीतीश कुमार के आने-जाने की सियासत का परिणाम है। चुनाव के दौरान पहले वे अपने काम की मजदूरी मांग रहे थे, लेकिन बाद में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नाम पर वोट मांगने लगे। जब उन्होंने मोदी के नाम पर वोट मांगे तो वोट भी तो मोदी को ही मिले। ऐसे में मंत्रिमंडल का फैसला तो माेदी ही करेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव में जेडीयू तो आन घोषणा पत्र तक नहीं ला सका।
कांग्रेस बोली: एनडीए में आगे भी जारी रहेगी खींचतान
केंद्र सरकार से जेडीयू के बाहर रहने के फैसले पर बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति देखनी है, जहां अगले साल चुनाव होने हैं। इस हिसाब से उन्हें जातीय समीकरण साधना है। यह तभी संभव होगा जब कम से कम जेडीयू के तीन सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता। एक-दो से काम नहीं चलेगा।
कादरी के मुताबिक बाद में अगर बात बन भी जाती है तो यह भी मायने रखेगा कि जेडीयू के मंत्रियों को मंत्रालय क्या-क्या मिल रहे हैं। विधानसभा चुनाव में तैयारी के लिहाज से जेडीयू को वैसे मंत्रालय चाहिए, जिनसे बिहार के बड़े समुदाय को प्रभावित किया जा सके। नीतीश खुद कृषि मंत्री रह चुके हैं। जाहिर है, खींचतान आगे भी जारी रहेगी।
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