Move to Jagran APP

योग के जादू में बिसर गई सियासत

योग के लिए सचमुच रविवार का दिन महायोग का था। विश्व के 173 देश पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे थे। इतिहास के पन्नों पर इस दिन का स्वर्ण अक्षरों में अंकित होना तय था। शायद इसीलिए हर कोई इसका गवाह बनने को लालायित-बेताब था।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2015 03:46 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2015 03:51 PM (IST)
योग के जादू में बिसर गई सियासत

पटना। योग के लिए सचमुच रविवार का दिन महायोग का था। विश्व के 173 देश पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे थे। इतिहास के पन्नों पर इस दिन का स्वर्ण अक्षरों में अंकित होना तय था। शायद इसीलिए हर कोई इसका गवाह बनने को लालायित-बेताब था। सोने पर सुहागा यह कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की अगुवाई में योगाभ्यास करने का मौका मिल रहा था। पटना के मोइनुल हक स्टेडियम के मुख्य द्वारों से भीड़ अंदर कुछ इस तरह से प्रवेश करने को आतुर थी, जैसे ट्रेन छूट रही हो।

loksabha election banner

उत्साह से सराबोर स्टेडियम का कण-कण

उत्साह-उमंग से सराबोर, हवाओं से गले मिल पेड़-पौधे करतल ध्वनि का संदेश देने को आतुर, अविस्मरणीय उत्सव में शामिल आगंतुकों को पांव पखारने को दूब कार्यकर्ताओं-सेवादारों से आतिथ्य सत्कार में पीछे नहीं थी। वर्दीधारियों की पैनी नजर हर ओर तो थी ही, सहयोग में भी दरियादिली की कमी न थी।

तय समय से पहले ही पहुंचने लगे थे लोग

साढ़े पांच बजे ही मुख्य द्वार पर भीड़ लग चुकी थी। अंदर पहुंच जगह पाने को कदम तेज हो गए थे। प्रवेश के लिए स्टेडियम के दोनों द्वार खोल दिए गए थे। अंदर भी उल्लास तैर रहा था। कारपेट पर लोग बैठ मंच को निहार रहे थे। कुम्हरार के विधायक अरुण कुमार सिन्हा माइक थामे भीड़ को निर्देशित कर रहे थे। बांसुरी की धुन, भारत माता की जय, की गूंज फिजा में तैर रही थी। 6.20 बजे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आगमन के साथ ही शोर आसमानी हो गया। भीड़ उनकी एक झलक पाने को 'आरक्षितÓ जगह की परवाह किए बगैर उनकी तरफ बढ़ चली। मंच पर चढ़ उन्होंने सबका अभिवादन किया। संदेश भी दिया।

योग के अमृतपाण में खो बैठक सुधबुध

अमित शाह के आने के साथ ही एक बार लगा कि राजनीतिक रंग हावी हो जाएगा। पर योग के जादू में राजनीति खो गई। सियासत पीछे छूट गई। योग का अमृतपान करने में दर्शक सुधबुध खो बैठे। दरअसल, आम लोगों से राजनीतिक कार्यकर्ता कम न थे, फिर भी वे योग के अनुशासन की डोर में बंधे दिखाई दिए।

निर्धारित समय पर शुरू हुआ योगाभ्यास

योगाभ्यास निर्धारित समय से करीब 7.30 बजे प्रणव गान से शुरू हुआ। प्रार्थना-ओम् संगच्छध्वं संवदध्वं, सं वो मनांसि जानताम् देवा भागं यथा पूर्वे, सज्जानाना उपासते, से आगे बढ़ते हुए मुख्य प्रशिक्षक भाई दयाशंकर, बिस्मिल्ला, रेशमा, अजीत, की अगुवाई में सर्वप्रथम योग के माध्यम से आतिथ्य सत्कार, भूनमन अभ्यास हुआ।

शिथिलीकरण के तहत ग्रीवा चालन (चार तरह से गर्दन का व्यायाम) कटि चालन, घुटना संचालन के अभ्यास कराए गए। खड़े होकर किए जाने वाले आसन के तहत ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अद्र्धचक्रासन और त्रिकोणासन कराए गए।

बैठकर किए जाने वाले आसनों के तहत भद्रासन, अद्र्ध उष्ट्रासन, शशकासन वक्रासन कराए गए। पेट के बल लेटकर किए जानेवाले आसनों के तहत भुजंगासन, शलभासन, मकरासन के अभ्यास हुए। पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों में सेतुबंधासन, पवनमुक्तासन व शवासन तो बैठकर किए जाने वाले प्राणयाम के तहत कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, प्रणव का अभ्यास कराए गए। अंत में संकल्प पाठ और शांति पाठ के साथ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम का समापन हुआ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.