आरक्षण के खिलाफ भारत बंद पर गरमाई सियासत, जानिए किसने क्या कहा
आरक्षण के विरोध में आंदोलन पर बिहार की राजनीति गरमा गई है। सभी दलों ने आरक्षण के विरोध को गलत ठहराया है। हालांकि, वे सवर्णों को भी आरक्षण दिए जाने के पक्ष में दिखे।
पटना [जेएनएन]। एसएसी-एसटी कानून के विरोध में सवर्ण संगठनों के भारत बंद का बिहार में व्यापक असर दिखा। इसपर राजनीति गरमा गई है। राजनीतिक दलों ने सवर्णों के आरक्षण का विरोध तो नहीं किया है, लेकिन आरक्षण के विरोध को गलत करार दिया है।
राजद ने विरोध को बताया गलत
राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने सवर्णों के भारत बंद पर कहा कि जो एससी-एसटी एक्ट के विरोध में होगा, समझिए वह दलित विरोधी है और वह सामाजिक न्याय का भी विरोधी है। उन्होंने कहा कि जो पहले वाला एक्ट था, राजद उसका समर्थक रहा है।
जदयू ने कहा: दलित आरक्षण का विरोध न्यायसंगत नहीं
सवर्णों के भारत बंद पर जदयू नेता अशोक चौधरी ने कहा कि उन्हें आर्थिक स्थिति के अनुसार आरक्षण मिलना चाहिए। लेकिन जिन्हें आरक्षण मिल रहा है, सवर्ण उनका विरोध नहीं करें। उन्होंने कहा कि दलितों या सवर्णो के भारत बंद और हंगामा से देश का विकास रुकेगा।
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के विरोध से कुछ होने वाला नहीं है। आरक्षण राष्ट्रीय विमर्श की चीज है। उन्होंने कहा कि जो लोग संशोधन के खिलाफ बोलते हैं उन्हें बताना चाहिए कि वे संविधान मानते हैं या नहीं।
बीजेपी ने कहा- बंद के बारे में जानकारी नहीं
बंद के बारे में भाजपा नेता सह बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी आंदोलन की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सभी वर्गों का साथ और विकास चाहती है और सब के लिए सरकार काम कर रही है।
पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने भी कहा कि ऐसे किसी आंदोलन की जानकारी उन्हें नहीं है। जहां तक सवाल विरोध करने का है, तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने कानून बना दिया है। उसका सबको सम्मान करना चाहिए।
मांझी बोले: दलितों के विरोध में न करें आंदोलन
सवर्णों के भारत बंद पर हम पार्टी के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने कहा कि गरीब सवर्णों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। केंद्र सरकार गरीब सवर्णों के लिए भी नीति बनाए। लेकिन सवर्ण भी दलित आरक्षण के विरोध में आंदोलन नहीं करें।