पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के सरेंडर पर गरमाई सियासत, आमने-सामने आए पक्ष-विपक्ष
बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा ने आर्म्स एक्ट के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े रूख के बाद सरेंडर किया। इसके बाद बिहार में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है।
पटना [राज्य ब्यूरो]। मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीडऩ कांड के बाद समाज कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाली मंजू वर्मा के आत्मसमर्पण के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी का खेल शुरू हो गया है। सत्तापक्ष मंजू वर्मा के आत्मसमर्पण को जहां बिहार में कानून का राज बता रहा है, वहीं विपक्ष ने इसे राज्य में रसूखदार लोगों को मिल रहे सरकारी संरक्षण का परिणाम करार दिया है।
जदयू विधान पार्षद व पार्टी प्रवक्ता उपेंद्र प्रसाद ने कहा कि मंजू वर्मा का आत्मसमर्पण बिहार में कानून के राज का उदाहरण है। मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा के आत्मसमर्पण से यह साबित हो गया है कि नीतीश कुमार की सरकार में कानून अपना काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार न किसी को फंसाती है और न किसी को बचाती है। कहा कि मंजू वर्मा के फरार होने के बाद बिहार पुलिस ने सभी कानूनी हथियारों को आजमाया, जिसके कारण मंजू वर्मा को आत्मसमर्पण करना पड़ा है। पुलिस ने मंजू वर्मा के घर की कुर्की कर उन्हें आत्मसमर्पण को मजबूर किया।
दूसरी ओर राजद उपेंद्र प्रसाद के इस बयान से बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखता। राजद के विधान पार्षद सुबोध राय ने कहा कि बिहार में पुलिस रसूखदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई सरकार के इशारे के बाद ही करती है। सुबोध राय ने मंजू वर्मा के आत्मसमर्पण को सर्वोच्च न्यायालय की कड़ी फटकार का परिणाम बताया। कांग्रेस नेता बिनोद शर्मा ने कहा कि मंजू वर्मा का इस तरह बेगूसराय की एक अदालत में आत्मसमर्पण करना यह बताता है कि उन्हें सरकार का संरक्षण प्राप्त है।
बता दें कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीडऩ कांड की एक अन्य अभियुक्त शाहिस्ता परवीन उर्फ मधु ने भी मंगलवार को ही मुजफ्फरपुर स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया है।