प्रशांत किशोर के नीतीश कुमार पर वार से गरमायी बिहार की सियासत, जानिए किसने क्या कहा
प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खरी-खोटी सुनाई तो भाजपा-जदयू ने मिलकर उनपर चौतरफा हमला किया। वहीं विपक्षी दलों ने प्रशांत किशोर की सराहना की।
पटना, जेएनएन। राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) जदयू से निकाले जाने के बाद पहली बार पटना पहुंचे और प्रेस कांफ्रेंस कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जमकर खरी-खोटी सुनाई। जिसके बाद जदयू और भाजपा ने उन पर चौतरफा हमला करते हुए उन पर तीखा प्रहार किया, तो वहीं विपक्षी दलों ने प्रशांत किशोर की सराहना करते हुए उन्हें सुझाव दिए।
प्रशांत किशोर ने सीएम नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि एक साथ गांधी और गोडसे की विचारधारा नहीं चल सकती। प्रशांत ने कहा कि नीतीश कुमार पंद्रह साल की सत्ता का दावा करते हैं, लेकिन क्या बिहार में तरक्की हुई, विशेष दर्जा मिला?
उन्होंने बिहार के विकास के दावे पर सवाल खड़ा करते हुए नीतीश कुमार से पूछा कि विकास के 20 बड़े मानकों में आज भी बिहार की स्थिति साल 2005 जैसी ही है। तो जनता को बताना चाहिए कि क्या विकास किया। प्रशांत किशोर के नीतीश कुमार पर किए गए इस तरह के जुबानी हमले ने बिहार की राजनीति में खलबली मचा दी है। जदयू-भाजपा ने पीके के इन बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
सुशील मोदी ने प्रशांत किशोर को पाखंडी बताया
भाजपा के वरिष्ठ नेता उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने प्रशांत किशोर को पाखंडी बताया और कहा कि जब वह भाजपा और नीतीश के साथ थे, तब गोडसे और गांधी वाले सवाल कहां थे?
जदयू ने कहा- नीतीश को किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है
प्रशांत किशोर के आरोपों का पर जदयू सांसद आरसीपी सिंह ने करारा जवाब देते हुए कहा कि किसी की इतनी हैसियत नहीं कि वो नीतीश कुमार को सर्टिफ़िकेट दे सके। नीतीश कुमार की सियासत को बिहार की जनता जानती है, पूरा देश जानता है। वह कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं करते हैं। सांसद ने कहा कि वर्ष 2005 के बाद से बिहार में कितना विकास हुआ है यह देश ने देखा है। उन्होंने कहा कि बिहार किस हाल में था और आज जहां है, ये किसी से छिपा हुआ नहीं है। कोई कुछ करे यहां फर्क नहीं पड़ता।
भवन निर्माण मंत्री डा. अशोक चौधरी ने भी पीके पर हमला किया है। कहा, अपने कारोबारी फायदे के लिहाज से ये लोग वक्तव्य देते रहते हैं। ऐसे लोगों को आम लोगों से कोई मतलब नहीं रहता है। बेहतर हो कि पीके आइडियालॉजी की बात करें ही नहीं। चौधरी ने पूछा- गुजरात में नरेंद्र मोदी के लिए काम कर रहे थे, उस वक्त यह सिद्धांत कहां था। पीके कह रहे हैं कि नीतीश कुमार गोडसे के लोगों के साथ हैैं। उन्हें यह बताना चाहिए कि जिस समय जदयू के उपाध्यक्ष बने थे, उस वक्त उनका गांधी-गोडसे का सिद्धांत कहां था? उस समय भाजपा के साथ नहीं थे क्या नीतीश? यह नीतीश कुमार ही हैैं जो कथित तौर पर गोडसे के लोगों के साथ रहकर भी गांधीवाद की बात करते हैैं।
लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने कहा कि प्रशांत किशोर ने 2005 के पहले के बिहार को देखा नहीं है। देखे रहते तो फर्क साफ नजर आता। उन्होंने कहा कि इतने बड़े रणनीतिकार हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में उन्होंने कांग्रेस को 27 से नौ विधायक पर पहुंचा दिया। वह उस हालत में जबकि परम्परागत विरोधी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक मंच पर आ गई थी। उत्तर प्रदेश के सपा और कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता आज भी पीके की तथाकथित रणनीति को याद कर सिहर उठते हैं। सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महानता है कि वह हर किसी को सम्मान देते हैं। पीके को जदयू ने सम्मान दिया। लेकिन, वह इसे संभाल नहीं सके। जल्द ही भ्रम में जीने लगे। असल में पीके की दशा टिटहरी की तरह है। यह चिडिय़ां राम में पैर ऊपर करके सोती है। इस मुगालते में कि आसमान उसके पैरों पर ही टिका है। दिन में वह चिडिय़ां ऐलान भी करती है कि उसने ही आसमान को धरती पर गिरने से रोक दिया।
जदयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने प्रशांत किशोर पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद स्वीकार नहीं करना चाहिए था। यह राजनीतिक अनैतिकता है। त्यागी ने कहा कि मैं चाहता हूं साल 2020 के चुनाव में पराजित होने वाली पार्टी में उनका भी नाम हो। अब तक एक घंटे भी उन्होंने राजनीति के लिए नहीं दिया था। उधर, जदयू नेता अजय आलोक ने सबसे कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'कोई ऐसी बात तब ही करता है, जब वह मानसिक रूप से अस्थिर हो। एक तरफ वह कहते हैं कि नीतीश कुमार मेरे पिता की तरह हैं, तो दूसरी तरफ पिता की जो कमियां नहीं हैं, उसी के बारे में बता भी रहे हैं।'
कांग्रेस ने कहा-अब बीजेपी-जदयू को हराने में लगाएं ऊर्जा
प्रशांत किशोर के बयान पर कांग्रेस ने कहा कि वे एक तरफ़ नीतीश कुमार को पितातुल्य बता रहे हैं और जिन्हें वो पिता कह रहे हैं उन्होंने तो अपने बॉस के कहने पर उन्हें ही पार्टी से निकाल दिया। अब जब वो जदयू से बाहर हो गए हैं तो उनपर निशाना साध रहे हैं। एेसे में तो अब उन्हें भाजपा-जदयू को हराने में अपनी ऊर्जा लगानी चाहिए।
राजद ने कहा-प्रशांत ने जदयू को आईना दिखा दिया
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि प्रशांत किशोर राजद के लिए कोई मसला नहीं हैं, क्योंकि पीके एक इवेंट मेनेजर हैं। आज वो गांधी और गोडसे की बात कर रहे हैं तो कल तक वो उन्हीं दोनों के साथ काम कर रहे थे। तिवारी ने कहा कि ये बात तो है कि प्रशांत किशोर ने जदयू को आईना दिखा दिया है।
उधर, राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि जदयू और भाजपा को पीके की बात शालीनता से स्वीकार करनी चाहिए। पीके की बातों पर आग-बबूला नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जदयू के कई नेताओं की नाराजगी के बावजूद नीतीश कुमार सार्वजनिक मंच से पीके के साथ अपने संबंधों का उल्लेख कर चुके हैैं। एक बिहारी होने के नाते बिहार की जमीनी हकीकत के बारे में उन्हें जानकारी है। उसी के आधार पर उन्होंने सरकार और नीतीश कुमार का मूल्यांकन किया है।
मांझी बोले- प्रशांत किशोर एक सजग नागरिक
हम सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने प्रशांत किशोर को एक सजग नागरिक बताया है। उन्होंने कहा अगर प्रशांत महागठबंधन में शामिल होते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा आज देश में दो राजनैतिक धारा हैं एक गांधीवाद की दूसरी गोडसेवाद की। प्रशांत किशोर गांधीवाद के पक्ष में खड़े हैं ऐसी स्थिति में सबकी जवाबदेही बनती है कि सब मिलकर मदद करें और उनके बिहार के विकास के दिए जा रहे उनके सुझाव पर काम करें।