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बिहार में पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब खाली करना होगा सरकारी बंगला, सियासत तेज

पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला छोड़ना पड़ेगा। कोर्ट के इस फैसले पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। जानिए किसने क्या कहा...

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 03:35 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 08:24 PM (IST)
बिहार में पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब खाली करना होगा सरकारी बंगला, सियासत तेज
बिहार में पूर्व मुख्यमंत्रियों को अब खाली करना होगा सरकारी बंगला, सियासत तेज

पटना, जेएनएन। पटना हाईकोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी अब उत्तरप्रदेश की तरह सरकारी बंगला खाली करना पड़ेगा। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये सुविधा असंवैधानिक और आम जनता के गाढ़ी कमाई के पैसे का दुरुपयोग है।

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हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पद से हटने के बाद इस तरह की सुविधा देना बिल्कुल गलत है। बता दे कि बिहार में जीतन राम मांझी, राबड़ी देवी, लालू प्रसाद, सतीश प्रसाद सिंह,जगन्नाथ मिश्रा को पूर्व सीएम की हैसियत से आजीवन सरकारी बंगला मिला है।

पटना हाईकोर्ट के निर्णय पर राजद सांसद मनोज झा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुख्यमंत्रियों के और भी आवंटित आवास की जांच करने की जरूरत है कि मुख्य सचिव के नाम पर आवंटित बंगले में कौन रह रहा है?

इस सबकी जांच होनी चाहिए।

वहीं, राजद नेता भोला यादव ने पूर्व सीएम राबड़ी देवी के बंगला खाली करने पर कहा कि कोर्ट के आदेश का हम सम्मान करते हैं। हम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे।

राज्य के पूर्व सीएम डॉ जगन्नाथ मिश्रा ने कहा कि जनता के बीच रहने के कारण सुरक्षा की जरुरत होती है इसीलिए बंगले में रहते थे और सरकारी सुविधाएं लेते थे। 

राज्य के स्वास्थ्यमंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि कोर्ट के फैसले का हम सभी सम्मान करते हैं।सभी को कोर्ट के फैसले को मानना चाहिए। वहीं बिहार सरकार में मंत्री जयकुमार सिंह ने भी कहा कि कोर्ट के फैसले का सभी को सम्मान करने की जरूरत है।

हम के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि कोर्ट के आदेश पर मैं बंगला खाली करने के लिए  तैयार हूं, लेकिन विधायक होने के नाते मुझे एक बंगला एलॉट किया जाए। उन्होंने कहा कि मैं जिस बंगले में रह रहा हूं वही बंगला मुझे दे दिया जाए। साथ ही कहा कि सरकार को हाईकोर्ट के फैसले पर उपरि अदालत में जाना चाहिये।


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