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Citizenship Amendment Bill को लेकर बिहार में गरमाई सियासत, पक्ष-विपक्ष के बीच मचा घमासान

बिहार में नागरिकता विधेयक को लेकर राजनीति गरमा गई है। पक्ष-विपक्ष में बयानबाजी तेज हो गई है। जदयू के अंदर भी मतभेद है तो राजद ने इसका विरोध किया है। भाजपा ने स्‍वागत किया है।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 08:56 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 11:13 PM (IST)
Citizenship Amendment Bill को लेकर बिहार में गरमाई सियासत, पक्ष-विपक्ष के बीच मचा घमासान
Citizenship Amendment Bill को लेकर बिहार में गरमाई सियासत, पक्ष-विपक्ष के बीच मचा घमासान

पटना, जेएनएन। नागरिकता विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को लेकर बिहार में राजनीति गरमा गई है। पक्ष-विपक्ष में बयानबाजी तेज हो गई है। जदयू के अंदर भी मतभेद है तो राजद ने इसका विरोध किया है। वहीं, भाजपा (BJP) ने इस विधेयक का स्‍वागत किया है। साथ ही, इशारों-इशारों में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर तंज भी कसा है। 

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जदयू नेताओं के कमेंट से सियासत तेज

दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार को नागरिक विधेयक लोकसभा में रखा और बहुमत के साथ यह पास भी हो गया। इस विधेयक का जनता दल (JDU) ने भी समर्थन किया। वहीं विपक्ष में शामिल दलों ने इसका विरोध किया। लेकिन, बिहार में सियासत तब गरमा गई, जब जदयू में शामिल कई नेताओं ने इस विधेयक का बाहर में विरोध किया और इसे लेकर ट्वीट भी किया।   

बोले प्रशांत किशोर व पवन वर्मा

जदयू के राष्‍ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने सोमवार को कहा था कि यह निराशाजनक है कि जदयू लोकसभा में इस विधेयक का समर्थन कर रहा है। मंगलवार को पूर्व सांसद पवन कुमार वर्मा ने कहा कि जदयू राज्यसभा में इस विधेयक का समर्थन न करे। वर्मा ने मुख्यमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार से आग्रह किया है कि समर्थन के सवाल पर पुनर्विचार करें, क्योंकि यह विधेयक असंवैधानिक और देश की एकता और सद्भाव के खिलाफ है। यह जदयू की धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा के भी खिलाफ है।

जदयू सांसद ने किया बचाव

वहीं, जदयू नेता गुलाम गौस ने एक टीवी चैनल पर आयोजित डिबेट में कहा कि अमित शाह की बात कोई पत्‍थर की लकीर नहीं है। हालां‍कि, जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने उन नेताओं को बचाव करते हुए कहा कि यह पार्टी की राय नहीं है। नागरिकता विधेयक का विरोध प्रशांत किशोर की निजी राय हो सकती है। पार्टी का वही रूख है, जो लोकसभा में जाहिर हुआ। 

भाजपा ने किया स्‍वागत, तेजस्‍वी ने कही यह बात

उधर, भाजपा नेताओं ने इस विधेयक का स्‍वागत किया है। भाजपा नेता गोपाल नारायण सिंह ने प्रशांत किशोर व अन्‍य जदयू नेताओं के सवाल पर कहा कि यह नीतीश कुमार की प्रॉब्लम है। अब नीतीश कुमार ही बता सकते हैं कि उनकी पार्टी के नेता क्‍यों इस तरह के बयान दे रहे हैं। उधर, राजद नेता व पूर्व उप मुख्‍यमंत्री तेजस्वी यादव ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी नागरिकता विधेयक का विरोध करती है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राजद के खुला अधिवेशन में इस विधेयक का विरोध किया। कहा कि हम लोग सिर्फ जनमत पर विश्वास करते हैं। तोड़ने की कोशिश करने वाले लोग खुद ही टूट जाएंगे। उधर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस व विरोधी दल पाकिस्‍तान की भाषा बोल रहे हैं।  

विधेयक को कन्‍हैया ने बताया- विभाजनकारी एवं सांप्रदायिक 

सीपीआइ और कांग्रेस ने मंगलवार को पटना के आयकर गोलंबर पर नागरिक संशोधन विधेयक की प्रतियां जलाईं। इसके पूर्व जनशक्ति प्रेस से प्रतिरोध मार्च निकाला गया। इसमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व अध्यक्ष एवं सीपीआइ नेता कन्हैया कुमार, कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान शामिल हुए। प्रतिरोध मार्च में शामिल लोग नागरिक संशोधन विधेयक विरोधी नारे लगा रहे थे। वे हाथों में सीपीआइ, एआइएसएफ  और तिरंगा झंडा एवं नारों की तख्तियां लिए हुए थे। कन्हैया कुमार ने नागरिक संशोधन विधेयक को विभाजनकारी एवं सांप्रदायिक बताते हुए कहा कि सावरकर के अनुयायियों ने जिन्ना का सपना पूरा कर दिया। अपने ही नागरिकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि भाजपा और आरएसएस हर दिन नफरत फैलाने की नई कोशिश में जुटे हुए हैं। 

बिहार के मुस्लिम संगठनों ने जताया विरोध

इमारत-ए-शरिया में बिहार के मुस्लिम संगठनों की मंगलवार को बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता शरिया के कार्यवाहक नाजिम मौलाना शिब्ली-अल-कासमी ने की। मौलाना ने कहा कि नागरिक संशोधन बिल भारतीय संविधान की आत्मा और उसकी बुनियादी धाराओं के विरुद्ध है। बिल में मुस्लिमों को दरकिनार कर सिर्फ अफगानिस्तान, बांग्लादेश व पाकिस्तान के नागरिकों को शामिल करना केंद्र सरकार की नफरत फैलाने वाली मंशा को झलकाता है। अगर पड़ोसी देश के अल्पसंख्यक व पीडि़त की भलाई के लिए यह बिल लाया गया था तो इसमें नेपाल से आए गोरखा, म्यांमार से आए रोहिंग्या, श्रीलंका से आए तमिल और चीन के प्रताडि़त अल्पसंख्यकों को शामिल करना चाहिए था। बैठक में चार सूत्री मांगों के तहत नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश नहीं करने के साथ इस बिल को वापस लेने, संविधान पर अमल करने और विधेयक द्वारा देश को नए विभाजन की आग में न झोंकने आदि मांगें शामिल हैं। 


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