पुलिस को बनाना होगा भीड़ हिंसा का वीडियो, अब तमाशा देखने वाले भी जाएंगे जेल Patna News
अब भीड़ की हिंसा के दौरान तमाशा देखना और हाथ साफ करना भी महंगा पड़ेगा। सेंट्रल रेंज के आइजी ने निर्देश दिया है कि हिंसा का वीडियो अब संबंधित थाने की पुलिस को बनाना होगा।
By Edited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 11:00 PM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 09:16 AM (IST)
पटना, जेएनएन। उन्मादी भीड़ की हिंसा का वीडियो अब संबंधित थाना इलाके की पुलिस को हर-हाल में बनाना होगा। यदि कैमरा नहीं हो तो मोबाइल का इस्तेमाल करें। यही नहीं अब भीड़ हिंसा के दौरान तमाशा देखने वाले भी जेल जाएंगे। यह आदेश सेंट्रल रेंज के आइजी संजय सिंह ने सोमवार को जारी किया।
उन्होंने कहा कि अफवाह पर किसी की जान ले लेना, पिटाई कर देना जघन्य अपराध है। ऐसे में उन्मादी भीड़ की हिंसा में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। इस तरह के मामले में शामिल लोगों पर कानून का शिकंजा ठीक तरीके से कसने की आवश्यकता है। आइजी ने इस संबंध में अपने क्षेत्र के सभी एसपी को पत्र जारी किया है। अब भीड़ की हिंसा के मामले में उसका वीडियो पुलिसकर्मी बनाएंगे ताकि इसके फुटेज के आधार पर इसमें शामिल लोगों की शिनाख्त कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई हो सके। आइजी ने पुलिसकर्मियों को यह भी निर्देश दिया है कि अब इस तरह के मामले में अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी। जो भी प्राथमिकी होगी वह नामजद होगी। अज्ञात होने पर पुलिस सुस्त हो जाती है। इसका लाभ इसमें शामिल लोगों को मिल जाता है।
जबकि नामजद होने पर कार्रवाई निश्चित हो जाएगी। सजा भी स्पीडी ट्रायल के तहत दिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले में यदि कोई भी व्यक्ति तमाशा देखते पकड़ा गया या ऐसे लोग वीडियो फुटेज में दिख गए तो वे लोग भीड़ की हिंसा में शामिल माने जाएंगे और जेल जाएंगे। उन्होंने लोगों से अपील की है कि इस तरह की घटना यदि कहीं होती है तो तुरंत संबंधित इलाके की पुलिस को सूचना दें और भीड़ के हत्थे चढ़े व्यक्ति को बचाने का प्रयास करें।
तमाशा नहीं देखें। क्योंकि कई मामलों भीड़ के हत्थे चढ़े लोगों के इर्द -गिर्द इतनी संख्या में लोग जमा हो जाते हैं कि उस शख्स को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है और उसकी मौत हो जाती है। गौरतलब है कि हाल के दिनों में बच्चा चोरी सहित अन्य तरह का अफवाहे फैलाकर कई लोगों की हत्या और पिटाई करने की घटनाएं हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि अफवाह पर किसी की जान ले लेना, पिटाई कर देना जघन्य अपराध है। ऐसे में उन्मादी भीड़ की हिंसा में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। इस तरह के मामले में शामिल लोगों पर कानून का शिकंजा ठीक तरीके से कसने की आवश्यकता है। आइजी ने इस संबंध में अपने क्षेत्र के सभी एसपी को पत्र जारी किया है। अब भीड़ की हिंसा के मामले में उसका वीडियो पुलिसकर्मी बनाएंगे ताकि इसके फुटेज के आधार पर इसमें शामिल लोगों की शिनाख्त कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई हो सके। आइजी ने पुलिसकर्मियों को यह भी निर्देश दिया है कि अब इस तरह के मामले में अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी। जो भी प्राथमिकी होगी वह नामजद होगी। अज्ञात होने पर पुलिस सुस्त हो जाती है। इसका लाभ इसमें शामिल लोगों को मिल जाता है।
जबकि नामजद होने पर कार्रवाई निश्चित हो जाएगी। सजा भी स्पीडी ट्रायल के तहत दिलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले में यदि कोई भी व्यक्ति तमाशा देखते पकड़ा गया या ऐसे लोग वीडियो फुटेज में दिख गए तो वे लोग भीड़ की हिंसा में शामिल माने जाएंगे और जेल जाएंगे। उन्होंने लोगों से अपील की है कि इस तरह की घटना यदि कहीं होती है तो तुरंत संबंधित इलाके की पुलिस को सूचना दें और भीड़ के हत्थे चढ़े व्यक्ति को बचाने का प्रयास करें।
तमाशा नहीं देखें। क्योंकि कई मामलों भीड़ के हत्थे चढ़े लोगों के इर्द -गिर्द इतनी संख्या में लोग जमा हो जाते हैं कि उस शख्स को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है और उसकी मौत हो जाती है। गौरतलब है कि हाल के दिनों में बच्चा चोरी सहित अन्य तरह का अफवाहे फैलाकर कई लोगों की हत्या और पिटाई करने की घटनाएं हो चुकी हैं।
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