भाभीजी का नेटवर्क ध्वस्त नहीं कर पा रही पुलिस और एनसीबी
बड़ी बात है कि गिरोह में एक हजार से अधिक सदस्य हैं जिनकी उम्र 20-25 साल के बीच है। कोई कालेज में पढ़ने वाला विद्यार्थी तो कोई छोटे-मोटे काम करने वाला मगर सभी घूम-घूमकर ब्राउन शुगर हेरोइन और स्मैक की पुडि़या बेचते हैं। इनका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। ऐसे में जांच एजेंसियां आसानी से इनकी पहचान नहीं कर पाती।
पटना। 'भाभीजी' सुनते ही पटना पुलिस और एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) के कान खड़े हो जाते हैं। कई बार गिरफ्त में आई इस महिला का नेटवर्क देश भर में इस कदर फैला है कि उसे पूरी तरह ध्वस्त कर पाना दोनों एजेंसियों के लिए संभव नहीं हो पा रहा। यह गिरोह बिहार में शराबबंदी का फायदा उठाकर धड़ल्ले से ड्रग्स की सप्लाई कर रहा है। इस गोरखधंधे में भाभीजी का वर्चस्व इतना प्रभावी है कि उसने अपने समकक्ष किसी दूसरे को खड़ा होने नहीं दिया। बड़ी बात है कि गिरोह में एक हजार से अधिक सदस्य हैं, जिनकी उम्र 20-25 साल के बीच है। कोई कालेज में पढ़ने वाला विद्यार्थी तो कोई छोटे-मोटे काम करने वाला, मगर सभी घूम-घूमकर ब्राउन शुगर, हेरोइन और स्मैक की पुडि़या बेचते हैं। इनका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। ऐसे में जांच एजेंसियां आसानी से इनकी पहचान नहीं कर पाती।
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करोड़ों की संपत्ति बनाने के
बावजूद रहन-सहन साधारण
अक्टूबर 2019 में भाभीजी को जक्कनपुर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष मुकेश कुमार वर्मा ने जाल बिछाकर अनिसाबाद स्थित एक निजी बैंक की शाखा से उस वक्त गिरफ्तार किया था, जब ब्राउन शुगर की खेप की डिलीवरी लेने के लिए रुपये निकालने आई थी। उसके पास से 10 लाख रुपये नकद मिले थे। गिरफ्तारी के वक्त उसने सस्ती सूती साड़ी पहन रखी थी और पल्लू नाक था। जांच में जब उसकी करोड़ों की संपत्ति और एक दर्जन बैंक अकाउंट में एक करोड़ से ज्यादा कैश होने का पता चला तो पुलिस दंग रह गई। किसी को यकीन नहीं था कि दुबली-पतली कद-काठी और साधारण रहन-सहन वाली महिला के पास चार आलीशान मकान व दो लग्जरी गाडि़यां हो सकती हैं।
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पहले गांजे की पुड़िया बेचता था पति
भाभीजी का असली नाम राधा देवी बताया जाता है। 2015 तक वह पति गुड्डू के साथ चितकोहरा इलाके में करकट के कमरे में चार सौ रुपये किराये पर रहती थी। उसका पति गुड्डू गांजे की पुडि़या बेचता था। गर्दनीबाग थाने की पुलिस ने गुड्डू को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, मगर वह दो महीने बाद जमानत पर छूट गया। पांच अप्रैल 2016 को शराबबंदी होने के बाद राधा ने ड्रग्स (ब्राउन शुगर, स्मैक, हेरोइन आदि) बिक्री की कमान संभाल ली। उसका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं था। महिला होने की वजह से पुलिस को उसपर शक भी नहीं होता, इसलिए वह आसानी से मादक पदार्थों की खेप लाने और पहुंचाने लगी।
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ओडिशा से मंगाती थी
गांजा और असम से ड्रग्स
ड्रग्स की पुड़िया बनाकर 500-500 रुपये में बेचने वाली राधा देवी ने महज एक साल में अपना नेटवर्क बना लिया। वह नए लड़कों को कम समय में अधिक रुपये कमाने का लालच देकर गिरोह में शामिल करने लगी। जब ड्रग्स की मांग बढ़ गई तो वह तस्करी के धंधे में उतर गई। वह खुद ट्रेन से ओडिशा से गांजा व असम से ड्रग्स खरीदने जाती और वहां से छोटी-छोटी खेप लेकर आती थी। इसके बाद उसने एजेंट बहाल कर लिया। उसके एजेंट लग्जरी गाडि़यों से खेप की सप्लाई करते थे। जक्कनपुर थाने के बाद पीरबहोर की पुलिस ने एक एजेंट को पकड़ने में पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन माल के साथ दो विक्रेता ही पकड़ में आ सके।
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स्कूलों और कालेजों
के बाहर घूमते हैं एजेंट
बताया जाता है कि एजेंट को एक पुड़िया 400 रुपये में मिलती है। वे सौ रुपये मुनाफा रखकर सेवन करने वालों को बेचते हैं। इनके एजेंट अक्सर भीड़ वाली जगह पर घूमते रहते हैं। खास कर स्कूलों और कालेजों के बाहर उनका जमावड़ा लगा रहता है। विद्यार्थी बनकर वे छात्रों से दोस्ती करते हैं। एक-दो डोज मुफ्त में देते हैं, फिर जब उसे आदत लग जाती है तो ग्राहक बना लेते हैं। सूत्रों की मानें तो केवल इस साल ब्राउन शुगर के ओवरडोज की वजह से तीन युवाओं की जान चली गई, लेकिन परिवार वालों ने बदनामी के डर से थाने में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई।
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मादक पदार्थों के खिलाफ पटना पुलिस लंबे समय से अभियान चला रही है। ब्राउन शुगर, स्मैक और गांजा के साथ विक्रेताओं व तस्करों की गिरफ्तारी भी हो रही है। भाभीजी गिरोह के बारे में पता लगाया जा रहा है। पुरानी फाइलें देखी जाएंगी।
- अम्बरीश राहुल, सिटी एसपी
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पहले भी एनसीबी भाभीजी और उसके गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस गिरोह पर नजर रखी जा रही है। मादक पदार्थों की बिक्री एवं तस्करी करने वाले आरोपित लगातार पकड़े जा रहे हैं। यह कार्रवाई जारी रहेगी।
- मनीष कुमार, क्षेत्रीय निदेशक, एनसीबी