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पटना PMCH में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल, अबतक 13 मरीजों की मौत

मरीज के परिजनों द्वारा मारपीट से आक्रोशित पटना के पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। इससे अस्पताल में हाहाकार मच गया है अबतक 13 मरीजों की मौत हो गई है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 03:19 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 11:14 PM (IST)
पटना PMCH में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल, अबतक 13 मरीजों की मौत
पटना PMCH में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल, अबतक 13 मरीजों की मौत

पटना [जेएनएन]। राजधानी के पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल,पीएमसीए में सोमवार की सुबह मरीज की मौत से गुस्साये परिजनों ने जूनियर चिकित्सकों के साथ जमकर मारपीट की जिससे नाराज जूनियर डॉक्टरों ने कामकाज ठप कर दिया और हड़ताल पर चले गये। इससे अस्पताल में हाहाकार मचा हुआ है। हड़ताल से अबतक 13 मरीजों की मौत हो गई है।

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डॉक्टरों ने मरीज के परिजनों पर मारपीट का आरोप लगाते हुए सभी आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग की है।
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष शंकर कुमार का कहना है कि रविवार देर रात शिशु विभाग में एक बच्चे को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया।

सोमवार सुबह बच्चे की तबीयत में थोड़ा सुधार हुआ तो परिजनों ने कहा बच्चे को इलाज के लिए बाहर ले जाना चाहते हैं। इस पर हमारे डॉक्टरों ने कहा कि लिखित में दे दीजिए, इसके बाद बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। डॉक्टरों की इस बात पर परिजन भड़क गए और मारपीट करने लगे। मारपीट में एक डॉक्टर घायल हो गया।
उन्‍होंने कहा कि हर बार सरकार आश्वासन देती है कि आगे ऐसा नहीं होगा, लेकिन डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता है। हमारी मांग है कि मारपीट करने वाले लोगों की जल्द गिरफ्तारी हो और डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सरकार सख्त कदम उठाए।

हड़ताल के बाद राज्य के कोने- कोने से आने वाले गंभीर मरीजों को इमरजेंसी के गेट पर ही सुरक्षा गार्ड भर्ती करने से मना करने लगे। जैसे ही कोई मरीज एंबुलेंस से उतारा जाता ट्रॉली मैन बता देते कि अस्पताल में हड़ताल है। कहीं बाहर ले जाएं, यहां देखने वाला कोई नहीं है।

इमरजेंसी के गेट पर ही निजी अस्पतालों के दलाल सक्रिय हो गए। जैसे ही कोई एंबुलेंस इमरजेंसी के गेट पर आकर लगती  वे मरीज के परिजनों का घेर लेते और कहने लगे कि यहां पर कोई डॉक्टर देखने वाला नहीं है। आप किसी निजी अस्पताल में ले जाइए नहीं तो मरीज की मौत हो जाएगी।

जो मरीज किसी तरह अस्पताल में चला भी जाता, तो उसे देखने वाला कोई नहीं था। डॉक्टर हड़ताल की बात कहकर बाहर भेज देते थे। अस्पताल में भर्ती करने के लिए भी सोमवार को विधायक एवं सांसदों की पैरवी अधीक्षक के पास होती रही।
भर्ती से पहले ही लौटा दिये गए मरीज
हड़ताल के बाद पीएमसीएच में अधिकांश मरीजों को इमरजेंसी में भर्ती करने से पहले ही लौटा दिया गया। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों से सैकड़ों गंभीर मरीज आते रहे लेकर अधिकांश को लौटा दिया गया। घोसवरी से आए हरी महतो को पेट में काफी दर्द था। उनके परिजन घर से गंभीर स्थिति में पीएमसीएच में एंबुलेंस से लेकर आए थे।

यहां पर इमजेंसी में पंजीयन हुआ लेकिन किसी डॉक्टर ने नहीं देखा तो वे वापस निजी अस्पताल में लेकर चले गए। इसके अलावा कुछ मरीजों ने सही तरीके से इलाज नहीं होने के कारण दम तोड़ दिया।

सोमवार को अस्पताल में पांच से अधिक मरीजों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। इनमें एक की मौत बच्चा वार्ड व चार की इमरजेंसी में हुई। इसके अलावा जेडीए की हड़ताल के कारण पांच मरीजों का ऑपरेशन टालना पड़ा। ओपीडी में भी मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ। बहुत कम लोगों का पीएमसीएच में इलाज हुआ।
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद के अनुसार मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल की ओर से सीनियर डॉक्टरों का लगाया गया है। इसके अलावा सिविल सर्जन से भी डॉक्टरों की मांग की गई है। जरूरत पडऩे पर बाहर से भी डॉक्टर मंगाए जाएंगे।


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