Move to Jagran APP

पीएम नरेन्द्र मोदी ने डीएम इनायत खान के प्रयासों का सराहा, जानें क्यों हो रही शेखपुरा की तारीफ

शेखपुरा जिले के पिछड़ेपन को दूर करने मेंं डीएम इनायत खान के प्रयासों की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिलों में चयनित शेखपुरा में समुदाय आधारित गतिविधियों की बदौलत पोषण के सूचकांकों में बदलाव देखा गया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 08:13 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 08:13 PM (IST)
पीएम नरेन्द्र मोदी ने डीएम इनायत खान के प्रयासों का सराहा, जानें क्यों हो रही शेखपुरा की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और शेखपुरा की डीएम इनायत खान। जागरण आर्काइव।

जासं, शेखपुरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के आकांक्षी जिलों (एसपिरेशनल डिस्ट्रिक्ट) में शामिल बिहार के शेखपुरा जिले के पिछड़ेपन को दूर करने मेंं डीएम इनायत खान के प्रयासों की सराहना की है। शनिवार को वर्चुअल बातचीत में उन्होंने शेखपुरा में कुपोषण के क्षेत्र में किए गए बेहतर कामों को सराहा और कहा कि अति पिछड़े जिले को आकांक्षी जिले के रूप में चिह्नित करने से यहां बेहतर काम होने लगा है। 

loksabha election banner

नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिलों में चयनित शेखपुरा में समुदाय आधारित गतिविधियों की बदौलत पोषण के सूचकांकों में बदलाव देखा गया है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे 2015 -16 की अपेक्षा 2019-20 में कई स्तर पर सूचकांक में अपेक्षित परिणाम दिखाई दिए हैं। कुपोषण के क्षेत्र में यहां गंभीर रूप से लोगों में दुबलापन और अल्पवजन को दूर करने की वजह से सूचकांक में बदलाव आया हैं। 

कुपोषण में बदलाव के आंकड़े

- गंभीर रूप से दुबलेपन में कमी आई है, सूचकांक 10.8 प्रतिशत से घटकर 7.7 हुआ है।

- दुबलेपन में भी कमी आई है, सूचकांक 28.9 प्रतिशत से घटकर 16.3 हुआ है।

- अल्प वजन का सूचकांक 51.7 प्रतिशत से घटकर 37.6 हुआ है।

पीरामल फाउंडेशन ने किया काम

शेखपुरा के आकांक्षी जिला के रूप में चिह्नित होने पर नीति आयोग के प्रतिनिधि के तौर पर पीरामल फाउंडेशन ने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में यहां काम किया। कुपोषण के क्षेत्र में बदलाव की पहल हुई। संस्था के जिला प्रभारी रहे विशाल कुमार बताते हैं कि जनजागरूकता और कुपोषण से लड़ने के लिए सभी उचित दवाएं और पौष्टिक आहार को जन-जन पहुंचाने के लिए प्रेरित करने की पहल ने इस बड़े बदलाव को अंजाम दिया है।

आंगनबाड़ी में गोद भराई की रस्म

इसपर काम करने वाले बरबीघा के प्रभारी रहे नीरज कुमार ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोद भराई की रस्म गर्भवती महिलाओं के लिए की गई। यहां हरी साग, सब्जी, फल, आयरन की गोली इत्यादि देकर गोद भराई की रस्म होती थी और गर्भवती सहित गांव की सभी महिलाओं को पौष्टिक आहार सेवन करने के लिए प्रेरित किया जाता है। नवजात शिशु के छह माह के होने पर अन्नप्राशन समारोह का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर नवजात को अन्न ग्रहण कराया जाता था। इसको सामाजिक बदलाव के रूप में रेखांकित करने के लिए समारोह आयोजित किए जाते हैं और वहां भी बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए सभी तरह के पौष्टिक आहार प्रदर्शित किए जाते हैं। नवजात शिशु को छह महीने तक मां के दूध पर ही रखने के लिए जागरूक किया जाता है।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व मेला का भी असर

स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम श्याम कुमार निर्मल ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व मेला का आयोजन हर माह किया जाता है। इसमें गर्भवती महिलाओं के सभी तरह की फ्रीजांच की व्यवस्था होती है। यहां हीमोग्लोबिन जांच, ब्लड प्रेशर जांच इत्यादि जांच कर कुपोषण से लड़ने के लिए दवाइयों को भी उपलब्ध कराया जाता है और खानपान का ख्याल रखने के लिए प्रेरित किया जाता है। 

तकनीक का सहारा 

पोषण माह के आयोजन से घर-घर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से पोषण के बढ़ावा देने के लिए संदेश दिया गया सहजन का पौधा, हाथ धुलाई का प्रदर्शन, पोषण ट्रैकर ऐप के माध्यम से बच्चों की निगरानी की गई। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.