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एक स्वास्थ्य सेवक के भरोसे पीएचसी की इमरजेंसी सेवा

स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड कर छह बेड से 30 बेड का तो कर दिया गया पर..

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 07:00 AM (IST)
एक स्वास्थ्य सेवक के भरोसे पीएचसी की इमरजेंसी सेवा
एक स्वास्थ्य सेवक के भरोसे पीएचसी की इमरजेंसी सेवा

फुलवारीशरीफ (पटना)। स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड कर छह बेड से 30 बेड का कर दिया गया। अस्पताल को नया भवन भी मिल गया। चार माह पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 30 बेडों से सुसज्जित सीएचएस भवन का उद्घाटन किया था। तभी अस्पताल को नए भवन में शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन अस्पताल में न तो चिकित्सक बढ़ाए गए और न ही स्टाफ। सीएचएस प्रभारी डॉ. महेंद्र का कहना है कि छह बेड के पीएचसी अस्पताल को 24 घटा सेवा देने के लिए कम-से-कम सात डॉक्टरों की जरूरत है। लेकिन, हैरानी की बात है कि केवल तीन चिकित्सकों के सहारे अस्पताल की पूरी व्यवस्था चल रही है। जिस अनुपात में अस्पताल को चिकित्सक और स्टाफ चाहिए, उतनी उपलब्धता है। हालत यह है कि अस्पताल में न तो ए ग्रेड की कोई नर्स है और न ही ड्रेसर। बिना फार्मासिस्ट और वार्ड अटेंडेंट के अस्पताल चल रहा है। एक कर्मी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दिन में तो चिकित्सक रहते हैं, लेकिन शाम होते ही सभी चिकित्सक अपने घर चले जाते हैं। पूरी रात एक स्वास्थ्य सेवक के भरोसे अस्पताल चलता है। जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य सेवक के फोन करने पर खुद प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी रात में अस्पताल पहुंचते हैं। फुलवारीशरीफ प्रखंड की 14 पंचायतों के साथ ही नगर परिषद के 28 वार्ड और पटना, दानापुर के कई इलाकों के लोग इस अस्पताल से लाभान्वित होते हैं। ऐसी हालत में जरूरी संसाधन की कमी से यह अस्पताल लोगों की उम्मीदें नहीं पूरी कर पा रहा है। अस्पताल को नया भवन और उपकरण तो मिल गए, लेकिन डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ के अभाव में इसका कोई फायदा नहीं दिख रहा है। लाचारी में लोग निजी अस्पतालों में जाकर इलाज कराने को मजबूर हैं। इससे सबसे ज्यादा दिक्कत गरीब तबके के लोगों को हो रही है।

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सीएचएस में जरूरी संसाधनों की कोई कमी नहीं है, लेकिन चिकित्सक और स्टाफ की कमी से मरीजों को पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पाती है। इसकी वजह से यहा काम करने वाले स्टाफ को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वरीय पदाधिकारी को अवगत कराने के बावजूद इसका अब तक कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है। - डॉ. महेंद्र, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी


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