चंद सेकेंड को बाहर आने वाली गांगेय डॉल्फिन का दीदार होगा आसान
अब पर्यटकों को गांगेय डॉल्फिन का दीदार करना आसान होगा। गांगेय डॉल्फिन की गिनती 18 नवंबर से शुरू का जा रही है। इसमें गंगा और उसकी सहायक नदियों में डॉल्फिन की खोज की जाएगी।
पटना, जेएनएन। चंद सेकेंड के लिए पानी से बाहर आना और गायब हो जाना। अठखेलियां करती डॉल्फिन को देखने के लिए हमें कितनी मशक्कत करनी पड़ती है। घंटों खड़े रहकर एक बार डॉल्फिन का दीदार कितना कौतूहल पैदा करता है, पर अब गांगेय डॉल्फिन को देखना आसान होगा। राष्ट्रीय जलीय जीव गांगेय डॉल्फिन की गिनती 18 नवंबर से शुरू होने जा रही है। दो टीमें गंगा नदी और एक टीम गंगा की सहायक नदी गंडक और घाघरा में डायरेक्ट काउंट मेथड से लाइव गिनती करेंगी।
सांस लेने के लिए करती है जंप
माना जाता है कि डॉल्फिन दो से तीन मिनट में सांस लेने के लिए पानी से ऊपर जंप करती है। गिनती के लिए विशेषज्ञों के साथ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन विभाग की टीम तैयार हो गई है। पहली बार एक साथ पूरे बिहार में डॉल्फिन की गिनती होने जा रही है। यह टीम डॉल्फिन के साथ-साथ अन्य जीव-जंतुओं एवं गंगा नदी की गतिविधियों का भी सर्वे करेगी।
प्रशिक्षित टीमें करेंगी खोज
बिहार में गंगा 460 किमी लंबे भाग में है। बिहार के चौसा में प्रवेश करती है और कटिहार के मनिहारी के बाद झारखंड में प्रवेश करती है। जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के बिहार प्रभारी डॉ. गोपाल शर्मा मोकामा से चौसा के बीच गांगेय डॉल्फिन की गिनती करेंगे। टीम में शामिल सदस्यों को प्रशिक्षित कर दिया गया है। 18 नवंबर को पटना के गांधीघाट से चौसा जाएंगे और फिर चौसा से पटना वापस आएंगे। फिर गांधीघाट से मोकामा के लिए यह टीम रवाना होगी।
बताया जाएगा सावधानियों के विषय में
भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रो. सुनील चौधरी के नेतृत्व में दूसरी टीम विक्रमशिला डॉल्फिन अभयारण्य होते हुए मोकामा से कटिहार के मनिहारी घाट तक डॉल्फिन की गिनती करेगी। तीसरी टीम गंडक और घाघरा में डॉल्फिन की गिनती करेगी। भारतीय वन्य जीव ट्रस्ट के उप निदेशक डॉ. समीर कुमार इस टीम का नेतृत्व करेंगे। आरण्य भवन में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिर्वतन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अंतिम प्रशिक्षण दिया गया। डॉ. गोपाल शर्मा ने गिनती के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
सर्वे के दौरान हर टीम के अगले हिस्से में टीम लीडर रहेगा।
उसके दोनों तरफ 90 डिग्री पर दो विशेषज्ञ रहेंगे। इसके साथ नाव में किनारे-किनारे टीम के अन्य सदस्य रहेंगे। वे भी डॉल्फिन पर नजर रखेंगे तथा अन्य प्रकार के जीव-जंतु सहित गतिविधियों पर नजर रखेंगे। दो किलोमीटर पर एक स्लॉट बनाया गया है। राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक डीके शुक्ला का कहना है कि महानंदा नदी में भी डॉल्फिन हैं। इस नदी में अगले चरण में डाल्फिन की गिनती कराई जाएगी।
1200 गांगेय डॉल्फिन का है अनुमान
फिलहाल संबंधित विभाग के पास जो आंकड़े हैं, उनके मुताबिक बिहार के हिस्से में करीब 1200 गांगेय डॉल्फिन होने का अनुमान है। हालांकि यह आंकड़ा अलग-अलग तरीके से जुटाया गया है। इसलिए इसकी सटीकता को लेकर संशय बना रहता है। इस बार जो सर्वे हो रहा है, उससे डॉल्फिन की वास्तविक संख्या को लेकर ज्यादा सटीक जानकारी मिल सकेगी।