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पटनाइट्स का रविवार हुआ किताबों की दुनिया में गुलजार

रविवार की छुट्टी राजधानीवासियों ने किताबों की दुनिया में बिताई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 01:34 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 01:34 AM (IST)
पटनाइट्स का रविवार हुआ किताबों की दुनिया में गुलजार
पटनाइट्स का रविवार हुआ किताबों की दुनिया में गुलजार

पटना। रविवार की छुट्टी राजधानीवासियों ने किताबों की दुनिया में बिताई। राजधानी के गांधी मैदान में लगे दो पुस्तक मेलों ने इसके लिए मुफीद मौका उपलब्ध कराया। सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट (सीआरडी) की ओर से आयोजित पुस्तक मेले का सोमवार को समापन भी होना है। इसके पहले मिली छुट्टी का आनंद लोगों ने किताबों को देखने, परखने और खरीदने के साथ ही कुछ स्पेशल लंच के साथ उठाया। पुस्तक मेले में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में लोगों को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, वरिष्ठ राजनेता और चिंतक प्रेम कुमार मणि जैसे लोगों को सुनने के साथ ही योगाभ्यास का भी मौका मिला। सीआरडी पटना पुस्तक मेला में रविवार को मिट्टी का माधो नाटक की प्रस्तुति की गई। नाटक के लेखक और निर्देशक उदय कुमार थे। नाटक में मजदूरों के जीवन की त्रासदी बदहाली और शोषण को बहुत ही मार्मिक ढंग से दिखाया गया। इस प्रस्तुति में पल्लवी प्रियदर्शी, शिखा राज, वीरेंद्र कुमार ओझा, त्रिभुवन यादव, अनिल सिंह के अभिनय ने दर्शकों की तालिया बटोरीं। इस नाटक में गीत और संगीत का प्रभावी रूप से प्रयोग किया गया। पुस्तक 'माओ त्से तुंग' का लोकार्पण

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पुस्तक मेले के आम सभागार में लेखक कवि नंदन कश्यप की पुस्तक 'माओ त्से तुंग' का लोकार्पण हुआ। इस मौके पर कवि आलोक धन्वा ने कहा है कि अब माओ त्से तुंग को पढ़ने का समय आ गया है। कार्यक्रम में अरविंद सिन्हा, प्रेम कुमार मणि, अमिताभ राय आदि ने विचार रखे।

'भारत की साझी विरासत' पर चर्चा

एसोसिएशन फॉर स्टडी एंड एक्शंस की ओर से 'भारत की साझी विरासत' पर चर्चा का आयोजन किया गया। इस मौके पर आपदा प्रबंधन के उपाध्यक्ष व्यासजी ने कहा कि आज हमारी साझी संस्कृति यानी गंगा-जमुनी तहजीब को खतरा है। बनारस हिदू विश्वविद्यालय में संस्कृत के प्रोफेसर प्रो. फिरोज खान की नियुक्ति पर वहां के छात्र आंदोलन पर उतर आए। यह खतरनाक है। मौके पर कवि मदन कश्यप, प्रो. रघुनंदन शर्मा आदि ने विचार रखे।

साहित्य अपने आप में एक धर्म

पुस्तक मेले के तुलसी मंच पर 'साहित्य और धर्म' विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस मौके पर कथाकार एवं लेखक प्रेम कुमार मणि ने कहा कि ऋगवैदिक काल में धर्म और साहित्य साथ थे। प्रबोधन काल में धर्म और साहित्य के बीच संघर्ष दिखने लगा, क्योंकि धर्म में कर्मकांड का प्रवेश हो गया। वस्तुत: धर्म और साहित्य में कोई संघर्ष नहीं है, क्योंकि साहित्य अपने आप में ही धर्म है। उपन्यासकार अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि साहित्य को धर्माधता के खिलाफ होना चाहिए। पुस्तक मेले में आज

1. साइबर क्राइम, फेक करेंसी और नारकोटिक्स पर अपराध इकाई की ओर से कार्यक्रम

2. रक्तदान शिविर

3. सीआरडी पुरस्कार समारोह


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