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पटना के इस कॉलेज ने बुर्के पर लगाया बैन, मचा हंगामा तो जल्दी-से बदल दी नोटिस

पटना स्थित एक महिला कॉलेज ने छात्राओं के लिए ड्रेस कोड जारी करते हुए बुर्का पहनकर कॉलेज आने पर प्रतिबंध लगा दिया। जिसके बाद हंगामा शुरू हुआ तो कॉलेज प्रशासन ने बुर्का शब्द हटा लिया

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 11:11 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 06:32 PM (IST)
पटना के इस कॉलेज ने बुर्के पर लगाया बैन, मचा हंगामा तो जल्दी-से बदल दी नोटिस
पटना के इस कॉलेज ने बुर्के पर लगाया बैन, मचा हंगामा तो जल्दी-से बदल दी नोटिस

पटना, जेएनएन। पटना स्थित जेडी वीमेंस कॉलेज ने नया ड्रेस कोड लागू किया है जिसके तहत कॉलेज ने छात्राओं के लिए ड्रेस कोड के पालन करने को लेकर सख्ती दिखाते हुए बुर्का तक पहनकर कॉलेज आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। कॉलेज प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि अगर इन नियमों का छात्राएं पालन नहीं करेंगी तो उन्हें 250 रुपए फाइन देना हाेगा। इसके बाद छात्राओं ने इसपर आपत्ति जाहिर की और इससे संबंधित नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

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मचा हंगामा तो प्राचार्या ने बैन लगाने की बतायी ये वजह

हंगामे के बाद कॉलेज प्रशासन ने नोटिस से बुर्का शब्द हटा दिया है, लेकिन ड्रेस कोड को सख्ती से अनुपालन करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में कॉलेज की प्राचार्या का कहना है कि बुर्के की आड़ में छात्राएं ड्रेस पहनकर नहीं आती थीं। इसके साथ ही बुर्का पहनकर किसी युवक के या किसी तरह के अज्ञात के कॉलेज परिसर में घुस आने की आशंका को देखते हुए ही बुर्का पहनकर कॉलेज आने पर पाबंदी लगाई गई थी। लेकिन, अब इसपर हो रहे विवाद को देखते हुए कॉलेज ने नोटिस से बुर्का शब्द हटा दिया है। लेकिन, ड्रेस कोड को लेकर कोई बदलाव नहीं  किया गया है।

इसके पहले ड्रेस कोड से बुर्का हटाने वाली नोटिस पर कॉलेज की नाराज छात्राओं ने कहा कि शायद ये पटना का पहला महिला कॉलेज है, जहां बुर्का को बैन किया गया है। छात्राओं ने कहा है कि इसका हम विरोध करेंगे। 

छात्राओं ने जताई थी आपत्ति

कॉलेज के इस नियमपर बहुत सारी छात्राओं को आपत्ति है। उनका कहना है कि बुर्के से कॉलेज को क्या दिक्कत है? ये नियम तो बस थोपने वाली बात है। इस मामले में कॉलेज की प्राचार्या डॉक्टर श्यामा राय ने कहा कि ये घोषणा हमने पहले ही की थी। नए सेशन के ओरिएंटेशन के समय में छात्राओं को बताया गया था। हमने ये नियम छात्राओं में एकरूपता लाने के लिए किया है। शनिवार के दिन वो अन्य ड्रेस पहन सकती हैं, शुक्रवार तक उन्हें ड्रेस कोड में आना है।

उन्होंने कहा कि कॉलेज में पिछले दो दिनों से एक नोटिस सर्कुलेट हो रहा है। इसमें ये साफ लिखा गया है कि शनिवार को छोड़कर सभी छात्राओं को निर्धारित ड्रेस कोड में ही कॉलेज आना है। इतना ही नहीं कॉलेज परिसर और क्लास रूम में बुर्का वर्जित है।

वहीं, वर्ल्ड इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक स्टडीज़ फॉर डायलॉग की डीजी डॉक्टर जीनत शौकत अली कहती हैं कि बुर्का शब्द कहीं पर भी कुरान में नहीं आया है। कॉलेज अगर किसी के विशेष पहनावे पर रोक लगाता है तो यह व्यक्ति के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो सकता है।

उन्होंने कहा कि इस्लाम में कहीं नहीं कहा गया है कि बच्चियां बुर्का पहनकर पढ़ने जाएं। बस महिलाओं को सम्मानजनक तरीके से कपड़े पहनने को कहा गया है। छोटी-छोटी बातों को तूल देने की बजाय बच्चियों को पढ़ाने पर जोर देना चाहिए।

इस मामले में पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभाकर टेकरीवाल का कहना है कि कॉलेज में ड्रेस कोड तय है, तो पालन करना चाहिए। कोर्ट के लिए तय ड्रेस कोड का पालन वकील करते हैं। कोर्ट में कोई बुर्का पहन कर नहीं आता। लिहाजा, कॉलेज के मामले में भी आपत्ति का औचित्य नहीं है। कानूनन भी इसे अवैध नहीं ठहराया जा सकता।

इस मामले पर कार्यवाहक नाजिम, इमारत-ए-शरिया, मौलाना शिबली अलकासमी ने कहा है कि इसकी तहकीक जाएगी। अगर पाबंदी लगी है तो फिर इसका विरोध किया जाएगा। जेडी वीमेंस कॉलेज का यह कदम गलत है। यह प्राचार्या की मानसिकता को दर्शाता है। एक खास तबके को निशाना बनाया जा रहा है। यह समाज को तोड़ने वाला कदम है।


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