लार्ड इरविन ने रखी पटना के साइंस कालेज की नींव, यहां पढ़ने वाले छात्र हासिल करते हैं ऊंचा मुकाम
लार्ड इरविन ने 1928 में बनाया था पटना साइंस कालेज बिहार के दो मुख्यमंत्री रहे है यहां के छात्र कभी विदेश से भी पढ़ने और रिसर्च करने के लिए आते थे छात्र कालेज के 94 साल पूरे होने पर पढ़ें ये रिपोर्ट...
पटना, नलिनी रंजन। बिहार के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में पटना के साइंस कालेज का नाम शुमार होता है। पटना विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण इकाई पटना साइंस कालेज के 94 वर्ष पूरे हो गए। लार्ड इरविन ने 15 नवंबर 1927 की इसकी नींव रखी थी। ठीक एक वर्ष बाद 15 नवंबर 1928 से यहां कक्षाएं आरंभ हो गई। तब यह पूरे देश में उच्च शिक्षा में विज्ञान संकाय में स्थान रखता था। गंगा किनारे अवस्थित पटना साइंस कालेज 28.32 एकड़ में फैला है। कालेज के पांच छात्रावासों का नाम विश्व के प्रसिद्ध वैज्ञानिक फैराडे हाउस, कैवेंडिश हाउस, न्यूटन हाउस, रामानुजम भवन और सीवी रमन के नाम पर रखा गया है। यहां से पढ़े दो छात्र बिहार के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस कालेज के छात्र रहे हैं। इससे पहले बिंदेश्वरी दूबे भी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे।
राष्ट्रीय स्तर पर रही है साइंस कालेज के छात्रों की ख्याति
इस कालेज के पढ़े छात्र राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात रहे हैं। गणितज्ञ स्व. वशिष्ठ नारायण सिंह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, भौतिक शास्त्री पद्मश्री प्रो. एचसी वर्मा, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय कैबिनेट सचिव रहे राजीव गौबा, बिहार के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी आमिर सुबहानी, एनओयू कुलपति प्रो. केसी सिन्हा, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, राज्यसभा सदस्य अखिलेश सिंह, अमेटी विवि के चांसलर प्रो. सुनील कर्ण इस कालेज के छात्र रहे हैं।
प्रो. जगन्नाथ ठाकुर, पूर्व डीजीपी अभयानंद, पूर्व शिक्षा सचिव स्व. मदन मोहन झा, पीएमओ के अधिकारी अमरजीत झा, सांख्यिकी के प्रो. अमरेंद्र मिश्र, भूगर्भशास्त्री प्रो. आरसी सिन्हा, डा. लाला सूर्यनंदन, पटना हाईकोर्ट कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि रंजन आदि भी यहां के छात्र रहे हैं। पटना साइंस कालेज के सैंकड़ों छात्र-छात्राएं यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता अर्जित कर देश-विदेश में अपनी सेवा दे रहे हैं।
कालेज के कई शिक्षकों का ऊंचा नाम
पटना साइंस कालेज का परिसर अशोक राजपथ पर पटना विश्वविद्यालय और पटना एनआइटी के बीच है। यहां के शिक्षकों को भी काफी सम्मान से देख जाता है। जीव विज्ञान के शिक्षक रविंद्र कुमार सिन्हा, भौतिकी के एचसी वर्मा और गणित के केसी सिन्हा की किताबें पढ़कर बिहार के छात्र अपनी प्रतिभा का परचम लहराते रहे हैं।
विभिन्न ब्लाक में बंटे हैं भवन
पटना साइंस कालेज के भवन विभिन्न ब्लॉक में बंटे हुए है। यहां के प्रशासनिक भवन में गणित, हिंदी व अंग्रेजी की पढ़ाई होती है। इसके अतिरिक्त विभिन्न ब्लॉक में बॉटनी, केमिस्ट्री, जियोलॉजी, फिजिक्स, स्टैटिस्टिक्स और जूलॉजी में ऑनर्स की पढ़ाई होती है। यहां हाल में ही डाल्फिन रिसर्च सेंटर का भी शुभारंभ किया गया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न संकायों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं।
स्मारक फाउंडेशन पिलर में दिखेगी कलाकृति
94वीं वर्षगांठ पूरे होने के बाद अब पटना साइंस कालेज परिसर में स्मारक फाउंडेशन पिलर का निर्माण हो रहा है। इस पिलर में ऐतिहासिक कलाकृतियों का निर्माण होगा। पिलर का लोकार्पण दिसंबर महीने में होगा। यह मुख्य प्रशासनिक भवन के पीछे वाले हिस्से में बन रहा है। पिलर का नाम व आवश्यक बिंदुओं को लेकर कवायद हो रही है। पटना साइंस कालेज के प्राचार्य प्रो. एसआर पद्मदेव ने बताया कि कालेज का गौरवशाली इतिहास रहा है।
एक वक्त रिसर्च के लिए विदेश से आते थे छात्र
स्थापना के समय देशभर में चुनिंदा संस्थानों में पटना साइंस कालेज का नाम था। यहां नामांकन व रिसर्च के लिए विदेश से छात्र आते थे। यहीं नहीं राज्य के बाहर के छात्र भी यहां नामांकन के लिए काफी मशक्कत करते थे। अब भी यहां नामांकन के लिए काफी मारामारी होती है। यहां के कई भवन हेरिटेज भवन बन चुके हैं।